महिला आयोग ने की अलग-अलग 4 मामलों की सुनवाई, बुजुर्ग मां को परेशान करने वाले बेटे-बहू को घर खाली करने के दिये सख्त निर्देश…
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज महिला उत्पीड़न से संबंधित मामलों की सुनवाई की गई. इस दौरान आयोग ने कई मामलों में सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए. आयोग के सदस्य सरला कोसरिया, लक्ष्मी वर्मा, ओजस्वी मंडावी, और सुदीपिका शोरी ने भी सुनवाई में भाग लिया.
बुजुर्ग मां को बेटे-बहू से प्रताड़ना
एक प्रकरण के दौरान बुर्जुग आवेदिका ने बताया कि उसका बेटा-बहू उससे दुर्व्यव्हार करते है और आवेदिका के नाम के मकान में ही निवास कर शारीरिक व मानसिक रूप से अत्याचार कर रहे है. आयोग ने कहा कि ऐसी स्थिति में दोनो अनावेदक (बेटा-बहू) के खिलाफ आवेदिका घरेलू हिंसा का मामला न्यायालय में दर्ज करवा सकती है व आयोग ने अनावेदकगणों को समझाईश देते हुए कहा कि वह तत्काल आवेदिका के मकान को खाली करें अन्यथा उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी.
बच्चे को छीनने का मामला
एक प्रकरण में अनावेदक ने आवेदिका के दोनो बच्चों 2 वर्ष और 4 माह को आवेदिका से छीनकर अपने पास रख लिया था. आयोग के द्वारा तत्काल कार्रवाई करते हुए अनावेदक को बुलाया गया. अनावेदक अपने 2 वर्ष के बच्चे को लेकर उपस्थित हुआ और 4 माह के बच्चे को वह झांसी से 200 कि.मी. दूर अपनी बुआ के पास छोड़ आया है. आयोग की समझाईश पर दोनो पक्ष साथ रहने को तैयार है. अनावेदक को निर्देशित किया गया कि 13.12.2024 को अपने 4 माह के बच्चे को लेकर आयोग में उपस्थित हो, तब प्रकरण पर अंतिम निर्णय लिया जायेगा.
कार्यस्थल पर उत्पीड़न
आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया की उसे कार्यस्थल पर अनावेदकगणों द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा था, आवेदिका अनावेदकगणों की संस्था में 15 वर्षों से कार्यरत् है. स्कूल की अध्यक्ष जो आवेदिका से साथ कार्य कर रही थी उसे अनावेदकगणों ने जांच में गडबडी पाये जाने पर कार्य से निकाल दिया, जिसकी सूचना आवेदिका को नही थी. आवेदिका ने बताया कि अनावेदकगणों द्वारा हिसाब मांगने व हस्ताक्षर को लेकर आवेदिका के साथ गाली-गलौच व मारपीट किया और आवेदिका को 1 माह का वेतन भी नही दिया गया. आयोग ने यह निर्देश दिया कि दोनो पक्ष अपने अपने दस्तावेज लेकर आयोग में उपस्थित हो ताकि प्रकरण का निराकरण किया जा सके.
मकान पर विवाद
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि आवेदिका की मां ने मकान उसके नाम पर रजिस्ट्री किया था, लेकिन अनावेदकगण आवेदिका से गुंडागर्दी करते है इसलिए आवेदिका मकान में नहीं रह पा रही है. अनावेदिका का कहना है कि आवेदिका ने अपनी मां से धोखे से रजिस्ट्री करवाई थी. आयोग ने कहा कि आगामी सुनवाई में स्थिति स्पष्ट करने के लिए सभी अनावेदकगणों को उपस्थित किया जाना अनिवार्य है ताकि प्रकरण का निराकरण किया जा सके.
पति-पत्नी के बीच विवाद
अन्य प्रकरण में दोनो पक्षों को सुना गया जिसमें आवेदिका ने बताया कि आवेदिका के नाम के मकान में अनावेदक (पति) रहता है उनकी 23 वर्ष की पुत्री है. आवेदिका ने कहा कि अनावेदक (पति) उससे दुर्व्यवहार करता है. आयोग के सामने भी अनावेदक ने बत्तमीजी से बात किया जिसे आयोग के सदस्यों ने भी देखा. अगली सुनवाई में आवेदिका और अनावेदक को अपनी पुत्री को आयोग में उपस्थित करने को कहा गया, जिससे प्रकरण का निराकरण किया जा सके.