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November 16, 2024

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Home » मामूली पेट दर्द के इलाज में डॉक्टरों की लापरवाही के चलते महिला की जान

मामूली पेट दर्द के इलाज में डॉक्टरों की लापरवाही के चलते महिला की जान

रायपुर।      भागीरथी मरकाम पिता मेहत्तर मरकाम ग्राम व पो. कुल्हाड़ीघाट, थाना व तह. मैनपुर, जिला-गरियाबंद (छ.ग.) पिनकोड 493888 का निवासी है। वह एक गरीब व अनपढ़ आदिवासी है, उसने अज्ञानतावश 35 वर्षीय धर्मपत्नि गैंदु बाई मामूली पेट दर्द होने के कारण ईलाज के लिए जिला चिकित्सालय महासमुंद में पदस्थ सर्जन डॉक्टर नरेन्द्र नरसिंग की सलाह पर दिनांक 08/04/2024 को लक्ष्मी नारायणा अस्पताल छुरा (गरियाबंद) ले गया था जहाँ दाखिले  के पश्चात हास्पिटल की संचालक ज्योति नारायण दुबे एवं चिकित्सकों द्वारा सफल ईलाज होने का आश्वासन दिया गया था जिसमें दिनांक 11/04/2024 को सिटी स्केन हेतु राजिम के डायग्नोसिस सेन्टर ले जाया गया था। सिटी स्केन के बाद लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल के संचालक व चिकित्सकों द्वारा कहा गया कि गैंदु बाई को बच्चादानी में कैंसर है, ऑपरेशन कर बच्चादानी बाहर निकालना पड़ेगा अन्यथा मरीज की जान को खतरा है। मौके पर उपस्थित मेरी माताजी फुलवासन बाई से औपचारिकता पूर्ण करने दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाया गया क्योंकि मैं ईलाज हेतु पैसों की व्यवस्था करने अपने गृहग्राम कुल्हाड़ीघाट आ गया था। लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल संचालक द्वारा मेरी पत्नि का ऑपरेशन डॉ. नरेन्द्र नरसिंग एवं निश्चेतना विशेषज्ञ आशिष साहू के द्वारा करवाया गया जिसमें कि कोई भी महिला सर्जन उपस्थित नहीं थी साथ ही मेरी धर्मपत्नि गैंदुबाई का युरिन प्रेग्नेंसी टेस्ट नहीं किया गया और न ही P.V.Examination परवेजाईनल एक्जामिनेशन किया गया एवं मेरी धर्मपत्नि 35 वर्ष की थी जिसके बच्चादानी निकालने के लिए शैल्य चिकित्सा हेतु स्वास्थ्य समिति द्वारा गठित टीम से अप्रुवल नही लिया गया था। मेरी धर्मपत्नि से ऑपरेशन के लिए सहमति पत्र भी नही लिया गया। ऑपरेशन उपरांत मेरी पत्नि को किसी सर्जन की देख-रेख में नहीं रखा गया था। मेरी पत्नि का ऑपरेशन आशिष कुमार साहू द्वारा किया गया है जो कि निश्चेतना विशेषज्ञ है। मेरी पत्नि की बच्चादानी निकालने के बाद बच्चादानी को मेरी माँ को दिखाते हुए कहा गया कि इसे जाँच के लिए आगरा भेजा जावेगा उसके बाद क्या हुआ है उसकी जानकारी आपको दी जायेगी।

ऑपरेशन के वक्त पेट की कोई अन्य नस काट दी गई थी उसके बाद पेट की सिलाई भी कर दी गई थी। ऑपरेशन के बाद ज्योति नारायण दुबे ने जब मेरी धर्मपत्नि गैंदु बाई का पेट देखा तो डॉ. आशीष साहू पर नाराज होते हुए कहा कि तुमने पेट इतना लम्बा क्यों चीरा, नाभि के ऊपर कोई बच्चादानी नहीं होती। बच्चादानी निकालने के लिए नाभि के नीचे ही चीर-फाड़ की जाती है, तुम्हें समझ नहीं आ रहा था तो यू-ट्यूब चैनल को देखकर चीर-फाड़ करना था ! हास्पिटल संचालक ज्योति नारायण दुबे द्वारा समय-समय पर अलग-अलग बिमारियों के लिए बाहर से विशेषज्ञों को बुलाया जाता है, लेकिन मेरी पत्नि के ऑपरेशन के लिए कोई विशेष सर्जन को नहीं बुलाया गया था। ऑपरेशन के दो दिन बाद मेरी धर्मपत्नि का पेट फूलने लगा तो तब ज्योति नारायण दुबे द्वारा सोनोग्राफी करवाया गया तब पता चला कि गैंदु बाई के पेट की कोई अंदरोनी नस ऑपरेशन के वक्त कट गई है। तब डॉ. आशीष साहू को ऑपरेशन कर उस नस को सिलने के लिए कहा गया तब आशीष साहू व अन्य डॉक्टरों ने पुनः ऑपरेशन किया लेकिन इस बार जो नस कटी थी उस नस को न सिलकर लेटरिंग की नस को सिलाई कर दिया था जिससे लेटरिंग करने में मेरी धर्मपत्नि को परेशानी हो रही थी तब ज्योति नारायण दुबे द्वारा कहा गया कि मल निकालने के लिए ऑपरेशन कर साईड से एक पाईप लगा दिया जाए तब इन्होने ने मल निकालने के लिए ऑपरेशन कर एक पाईप और लगा दिये और ऑपरेशन के बाद 10 से 11 दिन तक मेरी पत्नि को लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल में ही रखा गया उसके बाद डिस्चार्ज कर दिया गया जिसके बाद हम मेरी पत्नि के मायके ग्राम बहेराबुड़ा चले गये। मेरी पत्नि के स्वास्थ्य में किसी प्रकार का सुधार नही आ रहा था तब मैं लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल संचालक ज्योति नारायण दुबे से संपर्क किया तब मैने सरकारी हास्पिटल गरियाबंद में मेरी पत्नि को ले गया तब वहाँ के डॉक्टर श्री हरीश चौहान ने कहा कि जहाँ ऑपरेशन किया गया है उसे वहाँ लेकर जाओ। तब मेरी पत्नि को लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल छुरा लाया गया उसके बाद ज्योति नारायण दुबे ने रायपुर ले जाओ कहकर नानक अस्पताल में दाखिल करवाया उसके बाद सारोरा भेजा गया, खारोरा से फिर मेकाहारा भेजा गया। जहाँ पर दिनांक 10/05/2024 को मेरी धर्मपत्नि की मौत हो गई। मेरे द्वारा लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल को किये गये भुगतान का विवरण निम्नानुसार है।

लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल छुरा, जिला गरियाबंद में दिनांक 11/04/2024 को फोन पेय से 400000/- सीटी स्कैन राजिम को 4500/- दिनांक 12/04/2024 को फोन पेय 20000/- दिनांक 15/04/2024 को 7000/- नगद काउंटर में 18/04/2024 को 6500/- नगद कुल 438000/- रूपये जमा किया गया तथा नानक हास्पिटल रायपुर आयुष्मान कार्ड के अलावा फोन पेय दिनांक 02/05/2024 को 5000 /- नगद 8000/- फोन पेय दिनांक 04/05/2024 को 10000/- नगद जमा किया, दिनांक 06/05/2024 को 100000/-।

नगद सिटी स्कैन भवानी डायग्नोसिस्ट रायपुर को 60000/- नगद जमा, दिनांक 02/05/2024 को आयुष्मान कार्ड से डिडक्ट का डिटेल्स 32000/- कुल रकम 215000/- भुगतान किया गया। महोदय जी मेरे द्वारा उक्त बातों व घटना की शिकायत दिनांक 22/05/2024 को जिलाधीश एवं पुलिस अधीक्षक गरियाबंद से किया था जिसमें जाँच करने हेतु डॉ. हरीश चौहान व अन्य डॉक्टरों के साथ दिनांक 03/06/2024 को दोप. 2 बजे मेरे गांव कुल्हाड़ीघाट पहुंचकर मेरी माताजी से कहने लगे कि मुझे आपका विडियो बनाना है तब मेरी माँ ने कहा, हमारा विडियो साहब आप क्यों बनाओगे, चलो ठीक है मैं कागज आपको देता हूँ उस कागज को आप किसी अन्य व्यक्ति को आप नही दिखाना और आप उस कागज में हस्ताक्षर कर देना। तब मेरी मों ने विडियो बनाने एवं कागजों में हस्ताक्षर करने से साफ मना कर दिया।

भागीरथी मरकाम ने मांग की है कि ज्योति नारायण दुबे द्वारा लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल वर्षों से संचालित है जिस वजह से शासन प्रशासन में उनकी बहुत अच्छी पकड़ है। आज तक जिले के स्वास्थ्य विभाग के मुखिया के द्वारा लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल का आयुष्मान कार्ड को ब्लैकलिस्ट नही किया गया एवं जिले में संचालित निजी अस्पतालों का भी रूटिंग जाँच भी नहीं किया गया एवं रूटिंग जॉच कर खानापूर्ति किया जाता है। आज तक मुझे किसी भी तरह का मुआवजा नहीं मिला है और जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल को सील कर खानापूर्ति की जा रही है। आपसे विनम्र निवेदन है कि उक्त घटना की जाँच गरियाबंद के किसी भी अधिकारी व डॉक्टरों से न करवाकर अन्य संभाग के डॉक्टर व अधिकारियों से करवाई जाए जिससे मुझे उचित न्याय मिल सके।