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अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेश निरस्त होने पर मृत ASI का पुत्र अनुकम्पा नियुक्ति का पात्र, हाई कोर्ट का आदेश…

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ShivJan 18, 20252 min read

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेश के निरस्त होने…

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा को अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन ने सौंपा ज्ञापन, महंगाई भत्ता बढ़ाने समेत ये हैं प्रमुख मांगें

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रायपुर।     छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के प्रतिनिधियों ने उपमुख्यमंत्री…

नई पुनर्वास नीति का असर: 10 लाख के इनामी नक्सली दंपत्ति ने किया सरेण्डर

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ShivJan 18, 20252 min read

कवर्धा।    छत्तीसगढ़ शासन की ‘‘नई नक्सल आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास…

January 18, 2025

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पत्नी नहीं करती थी पति के धर्म का सम्मान, हाईकोर्ट ने दिया ये बड़ा फैसला

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आज एक अहम मामले की सुनवाई करते हुए एक बड़ा सुनाया है. पति की याचिका को स्वीकार करते हुए तलाक की अर्जी को सही माना है. दरअसल कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि पत्नी द्वारा हिंदू पति के धार्मिक अनुष्ठानों और देवी-देवताओं का उपहास किया जा रहा था, इसलिए हाईकोर्ट ने पत्नी की अपील खारिज कर दी. फैमिली कोर्ट ने पति के तलाक के आवेदन को स्वीकार किया कर लिया है.

प्रकरण के अनुसार मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले के अंतर्गत करंजिया निवासी युवती ईसाई धर्म को मानने वाली है. उसने गांधी नगर बिलासपुर निवासी युवक से 7 फरवरी 2016 को हिंदू रीति रिवाज से विवाह किया था. शादी के कुछ माह बाद से ही पत्नी ने हिंदू रीति रिवाजों और देवी देवताओं का उपहास करना शुरू कर दिया. विकास दिल्ली में नौकरी कर रहा था. पत्नी कुछ माह वहां साथ रहने के बाद वह वापस बिलासपुर आ गई और सेंट जेवियर्स स्कूल में अध्यापिका के रूप में कार्य करने लगी. उसने बाद में वापस ईसाई धर्म अपनाकर चर्च जाना शुरू कर दिया था. इन सब बातों से व्यथित होकर पति ने फैमिली कोर्ट बिलासपुर में तलाक के लिये आवेदन प्रस्तुत किया.

सुनवाई के बाद कोर्ट ने 5 अप्रैल को विकास को तलाक की अनुमति देते हुए उसके पक्ष में डिक्री पारित कर दी. इस आदेश को पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील कर चुनौती दी. जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस संजय जायसवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई.

मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता पत्नी ने खुद स्वीकार किया है कि पिछले 10 वर्षों से उसने किसी भी तरह की पूजा नहीं की है. इसके बजाय वह प्रार्थना के लिए चर्च जाती है. पति ने बताया कि पत्नी ने बार-बार उसकी धार्मिक मान्यताओं को अपमानित किया. ट्रायल कोर्ट द्वारा दर्ज निष्कर्ष हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार हैं, और इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।