Special Story

तीन नर कंकाल मामले में एसपी की बड़ी कार्रवाई, थाना प्रभारी लाइन अटैच

तीन नर कंकाल मामले में एसपी की बड़ी कार्रवाई, थाना प्रभारी लाइन अटैच

ShivNov 16, 20242 min read

बलरामपुर।  छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में 15 नवंबर को एक खेत…

November 17, 2024

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

Home » पहाड़ी कोरवाओं को मिला रोजगार तो समाज के बच्चे पहुँचने लगे शिक्षा के द्वार

पहाड़ी कोरवाओं को मिला रोजगार तो समाज के बच्चे पहुँचने लगे शिक्षा के द्वार

रायपुर-     विशेष पिछड़ी जनजाति के पहाड़ी कोरवा गुरवार सिंह, बिरसराम, करम सिंह कोरबा जिले के वनांचल के सारबाहर,छातीबहार के रहने वाले हैं। आज इन्हें मलाल है कि उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई नहीं की। किसी ने पांचवीं तक तो किसी ने आठवी से पहले ही स्कूल और पढ़ाई से नाता तोड़ लिया था। बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले इन पहाड़ी कोरवाओं का कहना है कि काश उन्होंने उस वक्त पढ़ लिया होता। बीच में पढ़ाई नहीं छोड़ी होती तो आज उन्हें जंगल में बकरी चराना नहीं पड़ता। वे भी किसी स्कूल और अस्पताल में नौकरी कर रहे होते और उन्हें गरीबी से नहीं जूझना पड़ता। हालांकि उनका कहना है कि घर परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी और उन्हें कोई बताने वाला भी नहीं था, इसलिए वे स्कूल नहीं जा सके। अब जबकि पहाड़ी कोरवाओं को नौकरी मिलने लगी हैं तो उन्हें भी लगने लगा है कि पढ़ाई का बहुत महत्व है और इस महत्व को समझते हुए इन्होंने अपने बच्चों को छठवीं से आगे की पढ़ाई कराने ग्राम लेमरू के आश्रम में दाखिला कराया। आश्रम में इन पहाड़ी कोरवा बच्चों को निःशुल्क किताबे, गणवेश के साथ सोने के लिए बिस्तर आदि दिया गया।

कोरबा ब्लॉक के अंतर्गत सारबहार के पहाड़ी कोरवा गुरवार सिंह ने अपने बेटे अमित कुमार, बिरस राम ने अपने बेटे रंजीत और और छातीबहार के करम सिंह ने अपने बेटे सोनू को कक्षा छठवीं की पढ़ाई कराने के लिए लेमरू के अनुसूचित जनजाति आश्रम में दाखिला कराया। गुरवार सिंह ने बताया कि उन्हें मालूम हुआ कि कोरबा जिले में पहाड़ी कोरवाओं के लड़के-लड़कियों को स्कूल और अस्पताल में नौकरी दी जा रही है। उनका बेटा पांचवी पास है। इसलिए नौकरी नहीं मिली है। अब आगे की पढ़ाई कराना है इसलिए लेमरू के आश्रम में भर्ती कराया है। उन्होंने बताया कि हम पहाड़ी कोरवाओं के बच्चों का घर में रहकर पढ़ाई कर पाना मुश्किल हो जाता है। जंगल के आसपास रहने से बच्चे जंगल की ओर चले जाते हैं। आश्रम में एक जगह रहकर पढ़ाई करना आसान हो जाएगा। भोजन भी समय पर मिलेगा। छातीबहार के करम सिंह ने अपने बेटे सोनू का दाखिला कराया। उन्होंने बताया कि उनका जीवन गाँव में जंगल में भटकते हुए कटता है। घर में 7 सदस्य है। उनकी एक बेटी को देवपहरी के आश्रम में और अपने बेटे सोनू को लेमरू के आश्रम में भर्ती कराया है। आश्रम में व्यवस्था देखकर खुशी है कि बेटा-बेटी यहाँ आगे कि पढ़ाई बिना इधर-उधर भटके कर लेगा। यहाँ समय पर सोना-जागना, नहाना, खाना होगा तो निश्चित ही पढ़ाई में मन लगेगा और ज्यादा कक्षा पढ़कर नौकरी पा सकेगा। बिरस राम ने अपने बेटे रंजीत को कक्षा 6 वी में भर्ती कराने के बाद कहा कि पहले हम अपने बच्चों को अपने पास ही घर में रखते थे। जब कही जाते थे,बच्चे भी साथ चले जाते थे। इससे स्कूल भी छूट जाता था। अब हमें पढ़ाई का महत्व मालूम हुआ है। इसलिए आश्रम में अपने बेटे को भर्ती कराया है। वह अच्छे से पढ़ाई करके नौकरी पायेगा तो वह अपने परिवार को अच्छा रख सकेगा। इधर आश्रम में दाखिले और स्कूल में भर्ती के साथ ही पहाड़ी कोरवाओं के बच्चों को यहाँ नई ड्रेस, किताबें और अपने सोने के लिए लाइट-पंखे लगे हुए कमरे और अलग से बिस्तर पाकर बहुत खुशी महसूस हो रही है। उनका कहना है कि हम यहाँ अच्छे से रहकर पढ़ाई करेंगे और नौकरी मिलेगी तो वह भी करेंगे। आश्रम के अधीक्षक और हेड मास्टर रामनारायण भगत ने बताया कि आश्रम में अनुशासन के साथ बच्चों को समय पर पढ़ना, भोजन, खेलकूद कराया जाता है। यहाँ उन्हें दो टाइम भोजन, रविवार को विशेष भोजन, तेल, साबुन भी दी जाती है। आश्रम में पहले से ही पहाड़ी कोरवा 3 बच्चे हैं। उन्होंने बताया कि शुरुवात के दिनों में पहाड़ी कोरवा बच्चों को रहने में कुछ अटपटा से लगता है, क्योंकि ये अपने परिवार के साथ जंगल में एक अलग तरह से रहते रहे हैं। यहाँ समय पर रहना, खाना होने से इनकी दिनचर्या बदलेगी और इन्हें भी अन्य बच्चों के साथ घुलमिलकर अच्छा लगेगा। उन्होंने बताया कि पहाड़ी कोरवा बच्चों का आश्रम में आकर दाखिला लेना खुशी की बात है वरना ये अन्य समाज से भी दूर-दूर रहने की कोशिश करते हैं।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के दिशा निर्देशन में कोरबा जिले में निवासरत् विशेष पिछड़ी जनजाति समुदाय पहाड़ी कोरवा और बिरहोर जनजाति के 108 बेरोजगार युवाओं को नौकरी दी गई है। जिला प्रशासन की पहल पर जिला खनिज न्यास मद से मानदेय के आधार पर 79 विशेष पिछड़ी जनजाति परिवार के युवाओं को भृत्य तथा 29 युवाओं को अतिथि शिक्षक के रूप में तथा अस्पताल में रिक्त चतुर्थ श्रेणी के पदों पर रोजगार प्रदान किया गया है। अपने समाज के युवाओं को नौकरी मिलने के पश्चात शिक्षा में रुचि नहीं लेने वाले कोरवा भी जागरूक हुए हैं और वे अपने बच्चों को शिक्षा से जोड़ने आश्रमों में दाखिला कराने लगे हैं, जो कि एक अच्छा संदेश भी है।