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मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार संघ की टेलीफोन डायरेक्टरी का किया विमोचन

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ShivJun 16, 20251 min read

रायपुर।  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज मुख्यमंत्री निवास कार्यालय…

जातिगत जनगणना पर केंद्र सरकार के निर्णय का सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने किया स्वागत

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ShivJun 16, 20251 min read

रायपुर।  रायपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद एवं भाजपा के वरिष्ठ…

तबादलों को लेकर ACS की अगुवाई में बनी कमेटी, IAS मनोज पिंगुआ बनाए गए अध्यक्ष

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ShivJun 16, 20251 min read

रायपुर।  राज्य में तबादलों का दौर शुरू होने वाला है।…

रायपुर रेलवे स्टेशन के टिकट काउंटर होंगे शिफ्ट, 18 जून से नए स्थान से मिलेगा टिकट

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ShivJun 16, 20251 min read

रायपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, रायपुर रेल मंडल द्वारा रायपुर रेलवे…

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ कैम्पा की गवर्निंग बॉडी की तृतीय बैठक सम्पन्न

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ShivJun 16, 20253 min read

रायपुर।  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में आज मंत्रालय…

June 17, 2025

Apni Sarkaar

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खैरागढ़ कांग्रेस में फूटा अंदरूनी गुटबाजी का ज्वालामुखी, जिला अध्यक्ष गजेंद्र ठाकरे ने दिया इस्तीफा

खैरागढ़। राजनीति में ‘अंदर की बात’ अक्सर बाहर देर से आती है, लेकिन खैरागढ़ में कांग्रेस की अंदरूनी कलह अब किसी पर्दे में नहीं रही. कांग्रेस जिला अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ठाकरे ने पद से इस्तीफा देकर उस वर्चस्व की लड़ाई पर मुहर लगा दी है, जिसकी सुगबुगाहट राजनीतिक गलियारों में लंबे समय से थी.

ठाकरे ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को भेजे पत्र में ‘व्यक्तिगत एवं पारिवारिक कारणों’ का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दे दिया है. जानकारों का कहना है कि यह सिर्फ दिखावटी कारण हैं. असल वजह पार्टी के भीतर चल रही रस्साकशी और अहम की जंग है, जिसने संगठन को भीतर से खोखला कर दिया.

छुईखदान निवासी ठाकरे को जब खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिला कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी, तब से ही संगठन में दरारें दिखाई देने लगी थीं. विरोध की फुसफुसाहट कभी बैठक से बाहर नहीं आई, लेकिन अंदर ही अंदर असंतोष की आग सुलगती रही. ठाकरे ने हरसंभव कोशिश की कि तीनों क्षेत्रों के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एक मंच पर लाया जाए, लेकिन ‘ईगो’ की दीवारें न टूट सकीं.

सूत्रों के अनुसार, हाल ही में एक विवाह समारोह में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच हुई मारपीट ने आग में घी डालने का काम किया. तभी से ठाकरे के मन में इस्तीफे का विचार और मजबूत हो गया था, जो अब जाकर सामने आया है.

ठाकरे का इस्तीफा कांग्रेस संगठन के लिए सिर्फ एक पद खाली होने की खबर नहीं है, बल्कि यह उस गहरे संकट का संकेत है, जिसमें खैरागढ़ की कांग्रेस डूबी हुई है. अब देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी नेतृत्व इस संकट से निपटने के लिए क्या कदम उठाता है – संगठन को बचाने की कोई ठोस रणनीति आएगी या फिर अंदरूनी लड़ाइयों में पार्टी और नीचे गिरती जाएगी.