आर्थिक सशक्तिकरण एवं स्वावलंबन को बढ़ावा दे रही आदिवासी महिला सशक्तिकरण योजना, किराना दुकान चलाकर दशोदा हुई आत्मनिर्भर
रायपुर। महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाने के लिए केन्द्र और राज्य शासन द्वारा अनेक योजनाएं संचालित की जा रही है एवं उनके उत्थान के लिए निरंतर कार्यरत है। महिलाओं को उनकी आय एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध कराकर उन्हें सशक्त बनाना शासन का मुख्य उद्देश्य है। आदिवासी महिला सशक्तिकरण योजना उन्हीं योजनाओ में से एक है जिसके द्वारा महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त एवं स्वावलंबी बनाया जा रहा है। उनकी शिक्षा, रोजगार, कौशल सुधार, स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए उन्हें समर्थन देकर आदिवासी समुदाय के बुनियादी ढांचे की कमी को पूरा किया जाना ही योजना का उद्देश्य है।
नयापारा महासमुंद जिले के निवासी दशोदा ध्रुव ने आदिवासी महिला सशक्तिकरण योजना का लाभ लेकर एक आदर्श उद्यमिता की मिसाल पेश की है। 47 वर्षीय श्रीमती ध्रुव को योजना के तहत 1 लाख रूपए का ऋण प्राप्त हुआ है जिससे उन्होंने एक किराना दुकान शुरू किया है, जिसका वह सफलता पूर्वक संचालन कर रही है। दुकान से हर माह वेे 8 से 10 हजार रूपए कमा रही है और अपने परिवार का भरण पोषण कर रही है। श्रीमती ध्रुव ने बताया कि उनके पति पहले एक मजदूर के रूप में कार्य करते थे और वे एक गृहिणी थी। उन्होंने बताया कि दुकान खोलने से उनकी मासिक आय में वृद्धि हुई है। जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है, और आत्मनिर्भर हुई है।
दशोदा ध्रुव की यह सफलता न केवल उनकी मेहनत और समर्पण का परिणाम है, बल्कि यह भी दिखाती है कि सही समर्थन और संसाधनों के साथ, महिलाएं किसी भी चुनौती का सामना कर सकती हैं और आत्मनिर्भर बन सकती हैं। आदिवासी महिला सशक्तिकरण योजना ने उनके सपनों को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
गौरतलब है कि आदिवासी महिला सशक्तिकरण योजना पात्र अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के आर्थिक विकास के लिए एक विशेष रियायती योजना है। जिसमें राज्य चैनलाइजिंग एजेंसियों के माध्यम से आवश्यकता के आधार पर ऋण दिए जाते हैं। लाभार्थियों को एनएसटीएफडीसी के पात्रता मानदंडों को पूरा करना पड़ता है और एससीए द्वारा उधार देने के नियमों और शर्तों का पालन करना होता है।