आदिम जाति कल्याण मंत्री ने पथरिया और मुंगेली में छात्रावास खोलने की घोषणा की
रायपुर। कृषि एवं आदिम जाति कल्याण मंत्री रामविचार नेताम के विभागों से संबंधित 59702 करोड़ 28 लाख 57 हजार रूपए की अनुदान मांगें छत्तीसगढ़ विधानसभा में चर्चा के बाद सर्वसम्मति से पारित कर दी गई। इनमें अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतर्गत त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं को वित्तीय सहायता के लिए 214 करोड़ 35 लाख 5 हजार रूपए, आदिम जाति कल्याण के लिए 7292 करोड़ 8 लाख 76 हजार रूपए, अनुसूचित जनजाति उपयोजना के लिए 31,724 करोड़ 95 लाख 39 हजार रूपए, अनुसूचित जनजाति उपयोजना से संबंधित लोक निर्माण कार्य (सड़कें और पुल) के लिए 1516 करोड़ 65 लाख 2 हजार रूपए, अनुसूचित जाति कल्याण के लिए 2 करोड़ 85 लाख 90 हजार रूपए, अनुसूचित जाति उपयोजना अंतर्गत नगरीय निकायों को वित्तीय सहायता के लिए 130 करोड़ 79 लाख 39 हजार रूपए, अनुसूचित जाति उपयोजना के लिए 10,206 करोड़ 73 लाख 23 हजार रूपए, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास के लिए 305 करोड़ 91 लाख 32 हजार रूपए, अनुसूचित जनजाति उपयोजना से संबंधित लोक निर्माण कार्य (भवन) के लिए 287 करोड़ 97 लाख 9 हजार रूपए, अनुसूचित जनजाति उपयोजना के अंतर्गत त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं को वित्तीय सहायता के लिए 453 करोड़ 41 लाख 24 हजार रूपए, अनुसूचित जनजाति उपयोजना के अंतर्गत नगरीय निकायों को वित्तीय सहायता के लिए 165 करोड़ 93 लाख 63 हजार रूपए, कृषि विभाग के लिए 6980 करोड़ 47 लाख 55 हजार रूपए तथा कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा से संबंधित व्यय के लिए 420 करोड़ 15 लाख 20 हजार रूपए की राशि शामिल है। सदन में चर्चा के दौरान सदस्यों ने अपने-अपने क्षेत्रों की मांग रखा और सुझाव
कृषि एवं आदिम जाति कल्याण मंत्री रामविचार नेताम ने अनुदान मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार कृषि और किसानों के कल्याण के लिए लगातार बेहतर करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारी सरकार ने किसानों को 2 वर्षों के बकाया बोनस की राशि का भुगतान शपथ लेने के दो सप्ताह के भीतर ही किया है। हम 3100 रूपए की दर से प्रति एकड़ किसानों से 21 क्विंटल धान खरीद रहे हैं। बहुत ही कम समय में हमारी सरकार ने किसानों के लिए बड़ा काम किया है। उन्होंने कहा कि राज्य को आगे बढ़ाने के लिए उद्योगों के साथ ही कृषि क्षेत्र का भी विकास जरूरी है।
छत्तीसगढ़ में अच्छी जमीन, पानी और कृषि के अनुकूल जलवायु है। इस क्षेत्र में भी अपार संभावनाएं हैं। किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए हमें प्रसंस्करण के क्षेत्र में जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन में छत्तीसगढ़ के 24 जिले शामिल हैं। इसके अंतर्गत अधिसूचित क्षेत्रों में कोल्ड स्टोरेज की स्थापना के लिए 2 करोड़ रूपए तक की सहायता दी जाती है। सरगुजा क्षेत्र में शक्कर कारखाना की स्थापना से वहां के किसानों की आय बढ़ी है। कृषि के साथ ही उद्यानिकी फसलों का विस्तार भी जरूरी है। श्री नेताम ने कहा कि हमने अगले वर्ष के बजट में प्याज, मसाला, फूल और चाय की खेती का रकबा बढ़ाने का प्रावधान रखा है। हम जशपुर से सामरी तक 5585 एकड़ में चाय बगानों का विस्तार करेंगे। हमने कटहल के प्रसंस्करण के लिए भी बजट प्रावधान रखा है।
आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास मंत्री श्री नेताम ने बताया कि वर्ष 2024-25 के बजट में आबादी के अनुसार विभिन्न वर्गों के लिए पर्याप्त राशि का प्रावधान किया गया है। हमने अनुसूचित जनजाति उपयोजना की राशि में करीब 31 प्रतिशत और अनुसूचित जाति उपयोजना की राशि में 28 प्रतिशत की वृद्धि की है। विभागीय अनुदान मांगों की चर्चा का उत्तर देते हुए उन्होंने सदन में पथरिया में पोस्ट मैट्रिक छात्रावास, मुंगेली में अनुसूचित जाति छात्रावास और तखतपुर में उद्यानिकी महाविद्यालय खोलने की घोषणा की। उन्होंने ऐसे सभी जिला और विकासखण्ड मुख्यालय जहां पोस्ट मैट्रिक छात्रावास नहीं है, वहां पोस्ट मैट्रिक छात्रावास खोलने की घोषणा की। उन्होंने ऐसे जिला मुख्यालय जहां महाविद्यालय हैं, वहां कन्या छात्रावास खोलने की भी घोषणा की। श्री नेताम ने कहा कि प्रदेश के आश्रम-छात्रावासों, प्रयास स्कूलों और एकलव्य संस्थानों में सुविधाएं विकसित कर उन्हें देश में मॉडल के रूप में स्थापित किया जाएगा। उन्होंने आश्रमों और छात्रावासों का उन्नयन कर सीटों की संख्या बढ़ाने की बात कही। श्री नेताम ने भवनविहीन आश्रमों और छात्रावासों के नए भवन प्राथमिकता के साथ बनाने की बात भी कही।
श्री नेताम ने विशेष पिछड़ी जनजातियों और उनकी बसाहटों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल के लिए उनके प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की पहल से राज्य के विशेष पिछड़ी जनजातियों तक बुनियादी सुविधाएं, बेहतर अधोसंरचना और जनसुविधाएं पहुंच रही हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2024-25 के बजट में राज्य में पीवीटीजी बसाहटों को मुख्य मार्ग से जोड़ने के लिए 300 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।