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मुख्यमंत्री को माँ ने दिया अपना आशीर्वाद—स्नेह से छुआ गाल, हृदय से कहा धन्यवाद

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ShivMay 16, 20252 min read

रायपुर।   बीजापुर जिले के उसूर ब्लॉक के करेगुट्टा पर्वत की…

मुख्यमंत्री ने 220 करोड़ रूपए की लागत से बन रही सिद्धबाबा सिंचाई जलाशय परियोजना का किया निरीक्षण

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ShivMay 16, 20252 min read

रायपुर।    सुशासन तिहार के अपने दौरे पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव…

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शासकीय क्षेत्रीय मुद्रणालय के नवीन भवन का किया लोकार्पण

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ShivMay 16, 20251 min read

रायपुर।    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज राजनांदगांव जिले…

सुशासन तिहार : मुख्यमंत्री ने बरगद पेड़ के नीचे लगाई जनचौपाल, ग्रामीणों को दी ये सौगातें…

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ShivMay 16, 20253 min read

रायपुर।    मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सहजता और सरलता से…

May 16, 2025

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त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव : छत्तीसगढ़ में पति-पत्नी चुने गए सरपंच, जानिए कहां का है मामला…

गरियाबंद।  जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के प्रथम चरण के मतदान के बाद आए एक परिणाम ने सबको चौंका दिया है। आप भी जानकर हैरान होंगे कि साथ-साथ रहने वाले पति-पत्नी दोनों अलग-अलग पंचायत के मुखिया बन गए हैं। यह मामला मैनपुर ब्लॉक का है, जहां ग्राम पंचायत मुड़ागांव में हलमंत ध्रुवा सरपंच बने तो वहीं उनकी पत्नी ललिता ध्रुवा पड़ोसी गांव दाबरीगुड़ा की सरपंच चुनी गई है. दरअसल हलमंत की जमीन जायदाद उसके पुश्तैनी गांव मुड़ागांव पंचायत में है, जबकि इस गांव से लगे दाबरीगुड़ा पत्नी ललिता का मायका है, जहां पिछले 25 साल से हलमंत घर बनाकर पत्नी के साथ रह रहा है।

पंचायत की राजनीति में तगड़ी पैठ

पंचायत की राजनीति लंबे समय से करते आ रहे हलमंत ने दोनों पंचायत में अपना कनेक्शन जोड़ रखा है। पति-पत्नी की अलग अलग नागरिकता पर गांव में किसी को आपत्ति भी नहीं है, ना ही निर्वाचन आयोग द्वारा नाम कांट छांट में लगाए कर्मियों को कोई गड़बड़ी नजर नहीं आई। इसके चलते इस बार पति-पत्नी को सरपंच बनने का ऐतिहासिक मौका मिल गया है। प्रदेश ही नहीं देश का यह पहला विकासखंड होगा, जहां एक साथ रहने वाले पति-पत्नी को दो अलग-अलग पंचायतों की जनता ने कमान खुशी खुशी सौंप दिया है.

पहली पत्नी भी दो बार रह चुकी थी सरपंच

हलमंत ध्रुवा की एक और पत्नी थी सुशीला देवी, जिनका निधन 4 माह पहले हुआ है। सुशीला मुड़ागांव से दो बार सरपंच चुनी थी। एक बार की जिला पंचायत सदस्य भी रही। लघु वनोपज संस्था में भी निर्वाचित होती आई थी। लघुवनोपज संस्था की राष्ट्रीय समिति की सदस्य भी रही। बीमारी के चलते 4 माह पहले सुशीला देवी का निधन हो।