बस्तर के सुदूर इलाके की इस अनोखी मल्लखंभ अकादमी में बसते हैं चैंपियन खिलाड़ी और उनका सितारा कोच

दीव। मल्लखंभ, भारत के सबसे प्राचीन पारंपरिक खेलों में से एक है और यह छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के केंद्र में पूरी ताकत से जीवित है। यदि खेलों की सामाजिक परिवर्तन की शक्ति और उसके प्रभाव को समझने के लिए एक आदर्श उदाहरण ढूंढना हो, तो मनोज प्रसाद और उनके शिष्य राकेश कुमार वरदा की कहानी सबसे उपयुक्त होगी।
मनोज प्रसाद इस बात का जीता-जागता उदाहरण हैं कि कैसे खेल, नक्सल प्रभावित इलाकों जैसे संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में भी सामाजिक बदलाव ला सकते हैं। एक स्पेशल टास्क फोर्स (STF) अधिकारी होते हुए भी, उन्होंने नारायणपुर जिले में अबूझमाड़ मल्लखंभ अकादमी की स्थापना की। यह अकादमी इसलिए भी खास है क्योंकि इसमें आदिवासी समुदाय के बच्चों को निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है। मनोज प्रसाद उन बच्चों के लिए पिता के समान हैं और उनके रहने, खाने, पढ़ाई व प्रशिक्षण की सारी जिम्मेदारी वे खुद उठाते हैं।


प्रसाद के शिष्यों में से सबसे होनहार राकेश कुमार वरदा है, जिसे अबूझमाड़ से निकला एक सितारा कहा जाता है। राकेश, खेलो इंडिया बीच गेम्स (KIBG) में मल्लखंभ में शानदार प्रदर्शन कर चुके हैं। हालांकि यह एक डेमोंस्ट्रेशन खेल था, इसलिए इस खेल में जीते गए पदकों को आधिकारिक पदक तालिका में शामिल नहीं किया गया, लेकिन राकेश का स्वर्ण पदक उनकी काबिलियत का पुख्ता सबूत था।
15 वर्षीय राकेश का ताल्लुक नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र के कुटुल गांव से है। वे आदिवासी समुदाय से आते हैं और अपने क्षेत्र के इकलौते मल्लखंभ खिलाड़ी हैं। राकेश अब तक 30 से अधिक राज्य और राष्ट्रीय स्तर के पदक जीत चुके हैं।
अब तक हासिल की गई राकेश की उपलब्धियाँ प्रेरित करती हैं। वह केआईबीजी में स्वर्ण पदक (डेमोंस्ट्रेशन खेल के रूप में) जीत चुके हैं। उनके नाम खेलो इंडिया यूथ गेम्स, बिहार में चार पदक (एक रजत, तीन कांस्य) हैं। 2022 में राकेश का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज हुआ उन्होंने मल्लखंभ पोल पर 1 मिनट 6 सेकंड का सबसे लंबा हैंडस्टैंड किया। 2023 में “इंडियाज़ गॉट टैलेंट सीजन 10” में उनकी टीम विजेता बनी। राकेश ने पंचकूला केआईवाईजी में कांस्य पदक जीता। फिर गुजरात राष्ट्रीय खेलों में कांस्य पदक जीता और फिर उज्जैन केआईवाईजी में एक स्वर्ण, एक रजत, दो कांस्य पदक हासिल किया। राकेश यही नहीं रुके और गोवा राष्ट्रीय खेलों में उन्होंने कांस्य पदक जीता।
गुजरात से राष्ट्रीय खेलों से लौटने के दो दिन बाद राकेश की मां का निधन हो गया था। उनका गांव इतना सुदूर है कि उन्हें खबर मिलने में ही दो दिन लग गए। उन्होंने साई मीडिया से कहा, “मेरा सपना है कि मैं अपने क्षेत्र के विकास के लिए काम करूं और अपने पूर्वजों की संस्कृति को अगली पीढ़ी तक पहुंचाऊं।”
राकेश को कोच, संरक्षक और प्रेरणा स्रोत मनोज प्रसाद ने कहा, “25 बच्चों की रोज़ाना ज़रूरतें पूरी करना आसान नहीं है, लेकिन अब हमारे क्षेत्र के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी दिल से मदद कर रहे हैं। कई स्थानीय लोग भी आगे आए हैं। छत्तीसगढ़ मल्लखंभ संघ के सचिव राजकुमार शर्मा का इसमें विशेष योगदान है।”
खुद एक राष्ट्रीय स्तर के धावक रह चुके मनोज आगे कहते हैं, “मैं 5 से 15 साल तक की उम्र के आदिवासी बच्चों को अलग-अलग क्षेत्रों से लाता हूं और उन्हें खेल और शिक्षा की सुविधाएं उपलब्ध कराता हूं। ये बच्चे पूरी तरह अशिक्षित परिवारों से आते हैं, जिनका कोई स्थायी आय स्रोत नहीं होता। मेरा लक्ष्य है कि ये बच्चे अपनी काबिलियत के दम पर मुख्यधारा में आकर एक अच्छी ज़िंदगी जी सकें। ये बच्चे मेरे लिए सब कुछ हैं।”
मनोज को उम्मीद है कि खेलो इंडिया अभियान के तहत नित नए खेल आयोजनों का होना खिलाड़ियों के भविष्य के लिए अच्छ है। मनोज को उम्मीद है कि अधिक मौके मिलने पर खेलों के ज़रिए बदलाव की उम्मीद बढ़ जाती है। प्रसाद ने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा, “खेलो इंडिया बीच गेम्स एक शानदार पहल है। मैं बहुत खुश था कि इसमें मल्लखंभ को शामिल किया गया। अब जब भारत सरकार ने आदिवासी खेलों के आयोजन की घोषणा की है, तो हम बेहद उत्साहित हैं। यदि भारत को एक वैश्विक शक्ति बनना है, तो आदिवासी समुदायों को मुख्यधारा में लाना ज़रूरी है — और यह खेलों के ज़रिए संभव है।”
खेलो इंडिया बीच गेम्स 205 के बारे में अधिक जानकारी के लिए: https://beach.kheloindia.gov.in/
खेलो इंडिया बीच गेम्स 2025 पदक तालिका के लिए: https://beach.kheloindia.gov.in/medal-tally
खेलो इंडिया बीच गेम्स के बारे में
खेलो इंडिया बैनर के तहत आयोजित यह पहला बीच गेम्स है। खेलो इंडिया योजना के खेल प्रतियोगिता और प्रतिभा विकास के तहत 19 मई से 24 मई, 2025 तक दीव, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव में खेल आयोजित किए जा रहे हैं। इस पहल का उद्देश्य बीच गेम्स को बढ़ावा देना और बीच गेम्स की पहुँच और लोकप्रियता को बढ़ाना है। इस संस्करण में छह पदक वाले खेल बीच सॉकर, बीच वॉलीबॉल, बीच सेपक टकरा, बीच कबड्डी, पेनकैक सिलाट और ओपन वॉटर स्विमिंग शामिल हैं। दो (गैर-पदक) डेमो गेम- मल्लखंब और रस्साकशी को भी दीव खेलो इंडिया बीच गेम्स में शामिल किया गया है।