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खाद संकट से किसानों में आक्रोश, 14 फरवरी से आंदोलन की चेतावनी

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ShivFeb 10, 20251 min read

राजिम।  गरियाबंद के फिंगेश्वर ब्लॉक सहित अंचल के किसानों को…

February 10, 2025

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फिल्म फेस्टिवल के तीसरे संस्करण का आयोजन, 5 फिल्मों को मिला पुरस्कार

रायपुर।  रायपुर आर्ट, लिटरेचर एवं फिल्म फेस्टिवल के तीसरे संस्करण का आयोजन किया गया. पद्मश्री पंडी राम मंडावी कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. फेस्टिवल के तीसरे संस्करण में 5 फिल्मों को पुरस्कृत किया गया. साथ ही 3 फिल्मों को विशेष जूरी अवॉर्ड दिया गया.

अवॉर्ड सेरेमनी में फिल्में पुरस्कृत

अवॉर्ड सेरेमनी में द फर्स्ट फिल्म को बेस्ट शॉर्ट फिल्म पुरस्कार, पीयूष ठाकुर को द फर्स्ट फिल्म के लिए बेस्ट डायरेक्टर, थुनई को सर्वश्रेष्ठ सिनेमैटोग्राफी अवॉर्ड और सुमित्रा साहू को जमगहीन फिल्म के लिए बेस्ट एक्टर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. RALFF25 के विशेष पुरस्कार की श्रेणी में मन आसाई को सर्वश्रेष्ठ सामाजिक फिल्म अवॉर्ड से पुरस्कृत किया गया. विशेष जूरी पुरस्कार की श्रेणी में कमजखिला, ब्यांव, हेल्प योरसेल्फ को सम्मानित किया गया.

मुख्य अतिथि पद्मश्री पंडी राम मंडावी ने सभी पुरस्कृत फिल्म और निर्माताओं को बधाई दी. उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन कलाकारों को मंच प्रदान करते हैं और लोक कलाओं को नई पहचान दिलाने में सहायक होते हैं. पंडी राम मंडावी ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन न केवल कला-संस्कृति को बढ़ावा देते हैं बल्कि युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का अवसर भी प्रदान करते हैं.

फिल्म फेस्टिवल में मैक्सिको से आई सेसेलिया डियाज़ ने कहा कि फिल्म समाज का दर्पण है. समाज को जागरूक करने का एक सशक्त माध्यम बन गया है. सेसेलिया डियाज़ मैक्सिको में स्थानीय लोगों को जागरूक करने के लिए लगातार काम कर रहीं हैं.

अमेरिका से आए कवि किरण भट्ट ने कहा कि छत्तीसगढ़ कला संस्कृति का गढ़ है. यह कार्यक्रम कला और संस्कृति को सहजने का अच्छा प्रयास है. फिल्म फेस्टिवल में शामिल होकर बहुत रोमांचित हूं.

इस अवसर पर कवि और गीतकार मीर अली मीर ने कहा कि आज के दौर में कहानी कहने के माध्यम बदल रहे हैं और फिल्मों के ज़रिये सामाजिक विषयों को प्रस्तुत करना एक प्रभावशाली तरीका बन चुका है. यह फेस्टिवल हमारी कला और संस्कृति को सहेजने और संरक्षित करने का एक सराहनीय प्रयास है.

कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता और जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि यह फेस्टिवल कला, साहित्य और फिल्म का एक अनोखा संगम है, जो युवा पीढ़ी को अपनी रचनात्मकता प्रदर्शित करने का अद्भुत अवसर देता है. आने वाले समय में यह फेस्टिवल भारतीय सिनेमा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बनेगा.

फेस्टिवल क्यूरेटर प्रीति उपाध्याय शुक्ला ने बताया कि यह फेस्टिवल केवल फिल्म प्रदर्शन का माध्यम नहीं है, बल्कि छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति को आगे बढ़ाने का एक अनूठा प्रयास है. यहां क्षेत्रीय और राष्ट्रीय फिल्मकारों के बीच संवाद स्थापित हुआ है, जो कला के नए आयामों को जन्म देगा. हमारा उद्देश्य है कि इस मंच से छत्तीसगढ़ की कहानियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले. अगले संस्करण में और अधिक फिल्मों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को जोड़ने की योजना है.

रायपुर आर्ट, लिटरेचर और फिल्म फेस्टिवल के डायरेक्टर कुणाल शुक्ला ने कहा कि यह फेस्टिवल नए और प्रतिभाशाली फिल्म निर्माताओं को मंच प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है. हमारी कोशिश है कि यहां प्रदर्शित होने वाली फिल्मों के माध्यम से सामाजिक मुद्दों और जीवन की कहानियों को एक नई दिशा मिले. फेस्टिवल ने छत्तीसगढ़ के फिल्म निर्माताओं के लिए भी नई संभावनाएं खोली हैं.

चाइल्ड फिल्म मेकर ने बनाई फिल्म

बी-साइड फिल्म फेस्टिवल में 15 साल के चाइल्ड फिल्म मेकर की फिल्म बी-साइड का प्रदर्शन किया गया. इस अवसर पर छत्तीसगढ़ की पहली बायोपिक फिल्म मंदराजी की भी स्क्रीनिंग की गई.

परिचर्चा, कार्यशाला और फिल्म की स्क्रीनिंग

फेस्टिवल के अवसर पर परिचर्चा और कार्यशाला का भी आयोजन किया गया. परिचर्चा के पहले सत्र में जिंदगी… कैसी है पहेली विषय पर मुकेश पांडेय , अज़ीम उद्दीन, भागवत जायसवाल और दिव्यांश ने अपनी बात रखी. वहीं दूसरे सत्र में दिस क्राइंग अर्थ, दीज़ वीपिंग शोर्स (ट्रांसनेशनल इंडिजिनस डायलॉग) पर मीर अली मीर, सेसिलिया डियाज़, और किरण भट्ट ने अपनी राय रखी. हिंदी शॉर्ट फिल्में – कदम, बंटू’स गैंग, बोटल, द स्ट्रीट एंजल, 04, बिटवीन वर्ल्ड्स तथा डॉक्यूमेंट्री – चिंताराम, जुनून और ज़माना का प्रदर्शन किया गया. साथ ही जम्मू-कश्मीर से केरल तक की बहुभाषी शॉर्ट फिल्में – ब्यांव (राजस्थानी), प्रदक्षिणा (मराठी), एनाउंसमेंट – ए मार्टर स्टोरी (हिंदी), थुनाई (तमिल), हेल्प योरसेल्फ (अंग्रेज़ी/हिंदी), मन आसाई (तमिल), जमगहीन (छत्तीसगढ़ी), कमजखिला (अन्य), द फर्स्ट फिल्म (हिंदी) की स्क्रीनिंग की गई. कार्यशाला के पहले सत्र में कॉन्सेप्ट ऑफ फिल्म मेकिंग पर डॉ. नरेंद्र त्रिपाठी, परफेक्ट योर मैन्युस्क्रिप्ट विषय पर लक्ष्मी वल्लुरी और इमोशन्स थ्रू एडिटिंग पर बिरजू कुमार रजक ने स्क्रिप्टिंग, एडिटिंग और फिल्म निर्माण की बारीकियों पर अपनी बात रखी.

फेस्टिवल में डॉ. अनिल द्विवेदी (फ़िल्म क्रिटिक और वरिष्ठ पत्रकार) मॉडरेट किया. साथ ही स्वाति पांडे और आरजे नमित ने कार्यक्रम को होस्ट किया. अवॉर्ड सेरेमनी में मनोज वर्मा, अनिरुद्ध दुबे, नीरज ग्वाल, रॉकी दासवानी, छत्तीसगढ़ इप्टा की टीम, रुचि शर्मा, राजकुमार सोनी, संजय शेखर, ओंकार धनगर, डॉ. अशोक बैरागी, ऋषव लोध, तनवीर अरिद, विजय जैन, मनोज पाठक, ओंकार धनगर, मुकेश अग्रवाल समेत कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय और आफ्ट यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी शामिल हुए.