महंत के बयान पर रायपुर तक हलचल, दीपक बैज ने कहा- 2028 में अवश्य बनेगी कांग्रेस की सरकार, उप मुख्यमंत्री साव बोले- सिंहदेव के साथ कांग्रेस ने किया छल, किरण सिंहदेव ने बताया कांग्रेस का गुटीय घमासान…
रायपुर। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत के अंबिकापुर में टीएस सिंहदेव के नेतृत्व में अगला विधानसभा चुनाव लड़ने के ऐलान ने रायपुर तक सियासी गलियारे में हलचल मचा दी है. पीसीसी चीफ दीपक बैज भले ही सिंहदेव के नेतृत्व वाले बयान को नहीं सुनने की बात कही, लेकिन 2028 में कांग्रेस सरकार बनने का भरोसा जताया है. वहीं उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने टीएस के साथ कांग्रेस के छल करने की बात कही है. रही-सही कसर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव ने इस बयान को कांग्रेस के गुटीय घमासान का नतीजा बताकर पूरी कर दी.
डॉ. चरण दास महंत के बयान पर पीसीसी दीपक बैज ने कहा कि महंत जी ने क्या कहा सुना नहीं हूं. उनका बयान सुनूंगा. वैसे भी घर की बात है. लेकिन जिस तरह से प्रदेश में भाजपा की सरकार चल रही है, इससे निश्चित 2028 में कांग्रेस की सरकार अवश्य बनेगी.
डॉ. महंत के बयान पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि 5 साल कांग्रेस ने टीएस सिंहदेव के साथ छल किया. अब लगता है कि फिर कोई षड्यंत्र करेंगे. जनता देख चुकी है. जनता को भरोसा नहीं है.
वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव ने चरणदास महंत के बयान पर कहा कि महंत का यह बयान कांग्रेस के भीतर चल रहे सत्ता-संघर्ष और गुटीय घमासान का ही परिचायक है. कांग्रेस की पूरी विचारधारा ही भ्रष्टाचार-केंद्रित है. कांग्रेस नेताओं का संकल्प भ्रष्टाचार करना ही है. कांग्रेस की यह विचारधारा भूपेश बघेल और एजाज ढेबर को बनाती है, फिर उसे ‘यूज एण्ड थ्रो’ कर देती है, फिर नए बघेल और ढेबर तलाशती है जो जनता से लूट कर सकें. यही कांग्रेस की विचारधारा है.
सिंहदेव ने कहा कि कांग्रेस के डीएनए में रचा-बसा भ्रष्टाचार कभी खत्म नहीं होगा, चाहे नेतृत्व कांग्रेस में कोई भी करे. कांग्रेस को अपने नित-नए ‘एटीएम’ खोलने वाले नेता चाहिए, वह कौन होगा, कांग्रेस को उससे कोई मतलब नहीं है.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि अब जब जनता ने कांग्रेस से किनारा कर लिया तो अब कांग्रेस भी बघेल से किनारा कर रही है. एक तरह से बघेल के नेतृत्व को महंत ने ठुकरा दिया है. अगले विधानसभा चुनाव में अभी चार साल चल पड़े हैं, लेकिन उसके पहले ही महंत ने इस बात की घोषणा करके कहीं-न-कहीं बघेल को एक संदेश दे दिया है कि उनका नेतृत्व कांग्रेस को स्वीकार नहीं है. कुछ समय पहले तक एक ही नारा चलता था- भूपेश है, तो भरोसा है; और आज कांग्रेस पार्टी का ही भरोसा उन पर नहीं रहा!