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राजधानी में महापौर बनने छिड़ी जंग : पूर्व महापौर डॉ. किरणमयी का बड़ा बयान, कहा- पार्टी का झंडा उठाने वाली 25% भी नहीं पाती टिकट, पैसों के बल नेताओं की पत्नियां बन जाती हैं उम्मीदवार

रायपुर। रायपुर नगर निगम में महिला महापौर पद के आरक्षण को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस पार्टी में नेताओं की पत्नियों की दावेदारी को लेकर महिला कांग्रेस ने पीसीसी चीफ दीपक बैज को पत्र लिखकर विरोध जताया है। वहीं, अब राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष और कांग्रेस नेत्री किरणमई नायक ने इस मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है।

कांग्रेस नेत्री किरणमई नायक ने कहा, “नेताओं की पत्नियों को इसलिए मौका दिया जाता है क्योंकि उनके पास पैसा होता है। पार्टी से टिकटधारी महिलाओं में सक्रिय राजनीति में झंडा उठाने वाली केवल 25% महिलाएं ही होती हैं। उनकी शुरुआत अक्सर पतियों के समर्थन से होती है।”

उन्होंने आगे कहा, “महिला आरक्षण की बात आती है तो यह समस्या हर बार सामने आती है। 2009 में जब मैंने चुनाव लड़ा था, तब भी यह मुद्दा उठाया गया था। पार्षद अपनी पत्नियों को चुनावी मैदान में उतारते हैं, और महापौर भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा बन जाते हैं। महिलाओं को जब भी पद देने की बात आती है, तो उन्हें प्रोत्साहित करने के बजाय हतोत्साहित किया जाता है, यह कहकर कि चुनाव लड़ने के लिए पैसे की जरूरत है। यह किसी एक पार्टी की बात नहीं है।”

किरणमई नायक ने यह भी कहा, “जो महिलाएं राजनीति में अपना खुद का फैसला ले सकती हैं, उन्हें राजनीति में कम स्थान मिलता है। जो महिलाएं पार्टी को सेवा देती आई हैं और जिन्होंने पार्टी के लिए संघर्ष किया है, वही पार्टी के लिए समर्पित होती हैं। ऐसे ही महिलाओं को आरक्षण में टिकट मिलना चाहिए। मैं इस विचार का समर्थन करती हूं। सरकार योजनाएं बनाती है, लेकिन जमीनी स्तर पर जहां काम होना चाहिए, वहां प्रोग्रेसिव सोच की जरूरत है।”

किरणमई नायक का यह बयान महिलाओं को प्रोत्साहन देने और उनके लिए सही अवसर सुनिश्चित करने की आवश्यकता को उजागर करता है। अब यह देखना होगा कि पार्टी इस मुद्दे पर किस दिशा में आगे बढ़ती है और महिलाओं को वास्तविक अधिकार देने के लिए क्या कदम उठाती है।