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पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निवास पर CBI की दबिश, रायपुर और भिलाई में जांच जारी

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ShivMar 26, 20251 min read

रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव…

जन्मदिन पर उज्जैन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का हुआ अभूतपूर्व स्वागत

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ShivMar 25, 20252 min read

भोपाल।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का मंगलवार को जन्मदिन पर…

व्यापार में कमिटमेंट का है सर्वाधिक महत्व : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

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ShivMar 25, 20259 min read

भोपाल।   मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि बाबा…

भारतीय संस्कृति पर केन्द्रित फिल्में आज भी हैं समसामयिक: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

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भोपाल।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मंगलवार को कालिदास अकादमी परिसर…

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन सेवाधाम में बच्चों के साथ मनाया जन्मदिन

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March 26, 2025

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अबूझमाड़ की महिलाओं ने कलेक्टर को भेजी राखी, शाला भवन और आंगनबाड़ी के साथ मांगा पीने का पानी…

नारायणपुर। छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ कहे जाने वाले नारायणपुर जिला के ग्राम कुंडोली की महिलाओं ने इस रक्षाबंधन पर कलेक्टर को राखी के साथ पत्र भेजा है. पत्र में लिखा है कि “आप हमारे बड़े भैया से भी बढ़कर हैं.” उन्होंने इसके साथ विश्वास जताया है कि कलेक्टर महोदय उनकी राखी को स्वीकार कर सौगात के तौर पर गांव की बुनियादी समस्याओं का समाधान करेंगे. 

गांव की मां अन्नपूर्णा महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने कलेक्टर विपिन मांझी को राखी के साथ भेजे पत्र में गांव की बुनियादी समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है. आदिवासी महिलाओं ने बताया कि उनका गांव जिला मुख्यालय से काफी दूर स्थित है, और यहां तक पहुंचना बहुत कठिन है.

उन्होंने बताया कि गांव में पिछले 14 वर्षों से शाला भवन की कमी के कारण बच्चों को झोपड़ी में पढ़ाई करनी पड़ रही है. इसके अलावा गांव में पीने के पानी की भी गंभीर समस्या है, जिससे ग्रामीणों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है. इसके साथ महिलाओं ने आंगनबाड़ी की सुविधा की भी मांग की है, जो कि बच्चों के पोषण और शिक्षा के लिए अति आवश्यक है.

बता दें कि कुंडोली गांव नक्सल प्रभावित और पहुंचविहीन इलाका है, जहां आज भी लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. रक्षाबंधन पर गांव की महिलाओं ने कलेक्टर को पत्र लिखकर अपने बेटे-बेटियों, याने कलेक्टर से अपने भांजे-भांजियों के लिए शाला भवन, पीने क पानी और आंगनबाड़ी की सुविधा की मांग की है. आदिवासी महिलाओं की यह अनोखी पहल क्या रंग लाती है, यह भविष्य के गर्भ में छिपा है.