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उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने महतारी सिलाई केंद्र का किया शुभारंभ

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ShivApr 20, 20252 min read

रायपुर।  उप मुख्यमंत्री तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री अरुण…

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना भाजपा सरकार की प्राथमिकता: सांसद बृजमोहन अग्रवाल

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ShivApr 20, 20251 min read

रायपुर।  रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने रविवार को राजधानी रायपुर…

कांग्रेस विधायक के पीएसओ ने सर्विस राइफल से खुद को मारी गोली, आत्महत्या का कारण अज्ञात…

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ShivApr 20, 20251 min read

बलौदाबाजार। भाटापारा कांग्रेस विधायक इंद्र साव की सुरक्षा में तैनात…

नौवीं की छात्रा से दुष्कर्म, गर्भवती होने पर हुआ खुलासा, शिक्षक समेत एक अन्य पर FIR दर्ज

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ShivApr 20, 20251 min read

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। स्कूल में मानवता को शर्मसार करने वाला एक सनसनीखेज…

April 20, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

हाथी प्रभावित गांव के ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट में दिया धरना, राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन, फसलों और जन हानि को लेकर रखी ये मांगें…

गरियाबंद।     मैनपुर रेंज में हाथियों के आतंक से प्रभावित गांवों के आदिवासी समुदाय के सैकड़ों लोगों ने आज ट्रैक्टर रैली के माध्यम से गरियाबंद मुख्यालय पहुंचकर कलेक्टोरेट के सामने धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर फसल क्षति के लिए प्रति एकड़ 75 हजार रुपये मुआवजे और जन हानि के लिए 1 करोड़ रुपये की मांग की।

आदिवासी समुदाय के लगभग 200 लोग, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के बैनर तले, अध्यक्ष उमेंदी कोर्राम और महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष लोकेश्वरी नेताम के नेतृत्व में धरने पर बैठे. उन्होंने एसडीएम राकेश गोलछा को ज्ञापन सौंपा, जिसमें कच्चे घरों को नुकसान पहुंचाने वाले हाथियों के कारण बढ़ी समस्या का समाधान मांगा गया.

ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि पीएम आवास योजना के तहत प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपये मंजूर किए जाएं. इसके साथ ही, मैनपुर रेंज के जिडार इलाके को सोनाबेड़ा अभ्यारण्य का हिस्सा बताने वाले गूगल मैप को सही करने की मांग की गई है.

पिछले डेढ़ महीने से 45 हाथियों ने इस क्षेत्र में स्थायी रूप से डेरा जमा लिया है, जिससे प्रभावित गांवों में काफी उत्पात मच रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि विभाग की अनदेखी के चलते वे मदद की गुहार लगाते रहे हैं, लेकिन केवल कागजी कार्यवाही से उनकी समस्याएं हल नहीं हुई हैं.

इस धरने के माध्यम से आदिवासी समुदाय ने अपनी हक की लड़ाई लड़ने की ठानी है. जहां एक ओर पूरा देश दीपावली मनाने में व्यस्त है, वहीं दूसरी ओर ये संकट में पड़े आदिवासी परिवार अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं.