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अटल निर्माण वर्ष में सुशासन की नई ऊंचाइयां छूने को तैयार छत्तीसगढ़: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

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ShivJun 8, 20254 min read

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में…

अंतर्राष्ट्रीय समपार (फाटक) दिवस के अवसर पर चलाया जा रहा है सघन जागरुकता अभियान

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ShivJun 8, 20252 min read

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भाजपा नेत्री ने दिखायी दबंगई, सरेराह किसान को पीटा, जमकर बरसाये लात-घूंसे…

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ShivJun 8, 20251 min read

कोरबा। भाजपा नेत्री का मारपीट करते हुए एक वीडियो सोशल…

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को मुस्लिम समाज ने दी ईदुल अज़हा की बधाई

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ShivJun 8, 20251 min read

रायपुर। मुस्लिम समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री निवास में प्रदेश…

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आईआईएम रायपुर परिसर में किया सुशासन वाटिका का शुभारंभ

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ShivJun 8, 20252 min read

रायपुर।  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज यहां भारतीय प्रबंध…

June 9, 2025

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जो कहेंगे सच कहेंगे

नहीं थम रहा हादसों का कहर, बस-ट्रक की भीषण टक्कर में डेढ़ दर्जन घायल, धरमपुरा-बरेला मार्ग ‘रेड जोन’ में तब्दील

मुंगेली। मुंगेली जिले के जरहागांव थाना क्षेत्र में सड़क हादसों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। रविवार को पथरिया मोड़ के पास एक बार फिर बड़ा हादसा हुआ, जहां यात्री बस और ट्रक की आमने-सामने टक्कर में डेढ़ दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए। जिन्हें उपचार के लिए अस्पतालों में भर्ती कराए गए है। लेकिन ये हादसा अकेला नहीं है। महज 15 दिन पहले थाने से महज 500 मीटर की दूरी पर रात के अंधेरे में हुए एक सड़क हादसे में 29 वर्षीय युवक की मौत हो गई थी। दुर्भाग्य की बात ये है कि आज तक न आरोपी वाहन चालक व वाहन का पता चला, न ही यह साफ हो पाया कि दुर्घटना कैसे हुई। परिजनों का कहना है कि जांच की रफ्तार इतनी धीमी है कि परिजन आज भी न्याय की आस में हैं।

धरमपुरा से बरेला तक ‘रेड जोन’, लेकिन इंतजाम जीरो ?

धरमपुरा से बरेला तक की सड़क को लगातार हो रहे हादसों के कारण कथित तौर पर स्थानीय लोग ‘रेड जोन’के रूप में देख रहे है, लेकिन न सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, न बैरियर पर निगरानी व्यवस्था। जिला बॉर्डर और थानों के पास सुरक्षा कैमरे तक नहीं लगे हैं, जिससे दुर्घटनाओं के कारणों की जांच या दोषियों की पहचान मुश्किल हो जाती है। आलम ये है कि जरूरत पड़ने पर कि निजी घरो अथवा दुकानों के सीसीटीवी कैमरे पर पुलिस को निर्भर रहना पड़ता है।

क्या जान की कीमत इतनी सस्ती है?

स्थानीय लोगों का कहना है कि हर हादसे के बाद जांच और वादे तो होते हैं, लेकिन स्थायी समाधान आज तक नहीं निकला। तेज रफ्तार, लापरवाही और प्रशासन की निष्क्रियता की ये त्रासदी अब लोगों की जान लेने लगी है।

स्थानीयों की मांग

स्थानीय रहवासियों एवं राहगीरों की ये मांग है कि कथित रेड जोन में सीसीटीवी कैमरे और स्पीड मॉनिटरिंग उपकरण लगाए जाएं। बैरियर और बॉर्डर एरिया में निगरानी व्यवस्था हो। थानों को सक्रिय रूप से दुर्घटनाओं की जांच करनी चाहिए। हादसों की स्वतंत्र जांच और समयबद्ध रिपोर्ट पेश हो, क्योंकि सवाल अब सिर्फ हादसे का नहीं, व्यवस्था की संवेदनहीनता का है। क्या जिम्मेदार अब भी नही जागेंगे?