Special Story

अंतर्राज्यीय तस्करों को पुलिस ने किया गिरफ्तार, 20 लाख रुपए का गांजा जब्त

अंतर्राज्यीय तस्करों को पुलिस ने किया गिरफ्तार, 20 लाख रुपए का गांजा जब्त

ShivMay 12, 20251 min read

कवर्धा।  सात राज्यों की सीमा से सटे होने के कारण…

स्पा सेंटर की आड़ में चल रहा था देह व्यापार, महिला संचालिका समेत 5 गिरफ्तार

स्पा सेंटर की आड़ में चल रहा था देह व्यापार, महिला संचालिका समेत 5 गिरफ्तार

ShivMay 12, 20251 min read

दुर्ग। शहर में सेक्स रैकेट का पर्दाफाश हुआ है. पुलिस…

PWD के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, कुर्सी पर मिला शव, जांच में जुटी पुलिस

PWD के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, कुर्सी पर मिला शव, जांच में जुटी पुलिस

ShivMay 12, 20252 min read

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर से बड़ी खबर…

May 12, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

भारतीय निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों को लिखा पत्र, चुनाव प्रक्रिया को और सुदृढ़ बनाने पार्टी अध्यक्षों और वरिष्ठ नेताओं को किया आमंत्रित

रायपुर।  भारतीय निर्वाचन आयोग ने सभी राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों से 30 अप्रैल 2025 तक उन किसी भी अनसुलझे मुद्दों पर सुझाव मांगे हैं, जो संबंधित निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ERO), जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO) या मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (CEO) के स्तर पर लंबित हैं। राजनीतिक दलों को आज जारी एक व्यक्तिगत पत्र में, आयोग ने यह भी प्रस्ताव रखा है कि पार्टी अध्यक्षों और वरिष्ठ नेताओं के साथ परस्पर सहमति से सुविधाजनक समय पर बातचीत की जाएगी, जिससे स्थापित विधिक प्रावधानों के अनुरूप चुनावी प्रक्रियाओं को और अधिक सशक्त बनाया जा सके।

इससे पहले, गत सप्ताह आयोजित निर्वाचन आयोग के एक सम्मेलन में, मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO), जिला निर्वाचन अधिकारियों (DEO) और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों (ERO) को निर्देश दिया था कि वे राजनीतिक दलों के साथ नियमित संवाद करें, उन बैठकों में प्राप्त सुझावों का समाधान पूर्व निर्धारित विधिक ढांचे के तहत करें और 31 मार्च 2025 तक आयोग को कार्यवाही रिपोर्ट प्रस्तुत करें। आयोग ने राजनीतिक दलों से इस विकेंद्रीकृत संवाद प्रक्रिया का सक्रिय रूप से उपयोग करने का भी आग्रह किया। राजनीतिक दल, 28 प्रमुख हितधारकों में से एक हैं, जिन्हें संविधान और वैधानिक ढांचे के तहत आयोग द्वारा चुनावी प्रक्रियाओं के सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए चिह्नित किया गया है।

आयोग ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और 1951; निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम, 1960; निर्वाचन संचालन नियम, 1961; माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश; तथा भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा समय-समय पर जारी किए गए दिशा-निर्देश, नियमावली और हैंडबुक (जो निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं) एक विकेंद्रीकृत, मजबूत और पारदर्शी विधिक ढांचे की स्थापना करते हैं, जिससे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का सफल आयोजन सुनिश्चित हो सके।