Special Story

तेज रफ्तार स्कॉर्पियो बिजली खंभा तोड़ते हुए टकराई दीवार से, शादी से लौट रहे 7 लोग घायल…

तेज रफ्तार स्कॉर्पियो बिजली खंभा तोड़ते हुए टकराई दीवार से, शादी से लौट रहे 7 लोग घायल…

ShivMay 11, 20251 min read

बलौदाबाजार। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में आज एक भीषण सड़क दुर्घटना…

भारत-पाक के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति के सीजफायर की घोषणा पर विवाद, भूपेश बघेल ने बताया अपमानजनक

भारत-पाक के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति के सीजफायर की घोषणा पर विवाद, भूपेश बघेल ने बताया अपमानजनक

ShivMay 11, 20252 min read

रायपुर। भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा…

सीजफायर के बाद राहुल गांधी ने PM मोदी को लिखी चिट्ठी, संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग रखी

सीजफायर के बाद राहुल गांधी ने PM मोदी को लिखी चिट्ठी, संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग रखी

ShivMay 11, 20252 min read

नई दिल्ली।  भारत-पाकिस्तान के सीजफायर के ऐलान के बाद विपक्ष…

नया रायपुर में रफ्तार का कहर : पोल से टकराने के बाद कार में लगी आग, युवक की मौत

नया रायपुर में रफ्तार का कहर : पोल से टकराने के बाद कार में लगी आग, युवक की मौत

ShivMay 11, 20251 min read

रायपुर।   राजधानी में फिर से रफ्तार का कहर देखने को…

May 11, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश का छत्तीसगढ़ में दिख सकता है असर ! 9 लंबित विधेयकों की वापसी के संकेत, राज्यपाल ले सकते हैं बड़ा निर्णय

रायपुर। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंगलवार को विधानसभा से पारित विधेयकों को राज्यपाल द्वारा लंबे समय तक रोके रखने को लेकर दिए गए फैसले का असर अब छत्तीसगढ़ की राजनीति पर भी पड़ सकता है. कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि राजनीतिक कारणों से विधेयकों को लंबित रखना संविधान सम्मत नहीं है. साथ ही यह भी कहा कि यदि कोई विधेयक लंबित रखा गया है, तो उसे राज्यपाल की स्वीकृति मान लिया जाएगा या फिर उसे तत्काल विधानसभा को वापस लौटाया जाना चाहिए.

तमिलनाडु की स्टालिन सरकार द्वारा पारित 10 विधेयकों को राज्यपाल द्वारा रोके जाने के मामले में आए इस फैसले के बाद अब देश के अन्य राज्यों के राजभवनों, विशेषकर छत्तीसगढ़ में भी विधेयकों की स्थिति पर असर पड़ सकता है.

छत्तीसगढ़ में अटके हैं 9 विधेयक

छत्तीसगढ़ की बात करें तो पिछले पांच विधानसभा कार्यकालों से पारित कुल 9 विधेयक आज भी राजभवन और राष्ट्रपति भवन में लंबित हैं. इनमें कई विधेयक राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण और विवादास्पद रहे हैं. इनमें प्रमुख लंबित विधेयकों में जोगी शासनकाल में पारित धर्म स्वातंत्र्य विधेयक, फिर रमन सिंह के कार्यकाल में रामविचार नेताम द्वारा प्रस्तुत धर्म स्वातंत्र्य विधेयक राष्ट्रपति भवन में लंबित हैं. इसके बाद बघेल सरकार द्वारा पारित शैक्षणिक संस्थाओं और नौकरियों में ओबीसी, अजा आरक्षण विधेयक, केंद्रीय कृषि कानून से संबंधित राज्य के अनुरूप पारित तीन संशोधन विधेयक, कुलपति नियुक्ति में राज्यपाल के अधिकारों में कटौती से संबंधित संशोधन विधेयक और निक्षेपों के हितों के संरक्षण संशोधन (चिटफंड कंपनी) विधेयक शामिल हैं. इनमें सबसे चर्चित और कांग्रेस-भाजपा, राजभवन के बीच तनातनी खड़े करने वाले विधेयकों में आरक्षण और कुलाधिपति के अधिकार कटौती के विधेयक रहे. आरक्षण विधेयक को अनुसुइया उइके के समय से अब तक रोका गया है.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद यह पूरी संभावना है कि छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अब इन विधेयकों को या तो विधानसभा को पुनर्विचार के लिए लौटा सकते हैं या फिर उन पर अंतिम निर्णय लेंगे. यदि विधेयक वापस लौटाए जाते हैं, तो राज्य सरकार उन्हें संशोधित रूप में फिर से पारित कराकर भेज सकती है.