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रायपुर जिले के 24 केंद्रों में बनाए जाएंगे आयुष्मान कार्ड, जानिए कहां-कहां मिलेगी सुविधा

रायपुर जिले के 24 केंद्रों में बनाए जाएंगे आयुष्मान कार्ड, जानिए कहां-कहां मिलेगी सुविधा

ShivNov 16, 20243 min read

रायपुर। जिले के प्रत्येक नागरिकों का आयुष्मान कार्ड बनाया जाएगा. इसके…

November 16, 2024

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राजधानी होगी टीबी मुक्त, अब ए-आई तकनीक से होगी जांच, तत्काल मिलेगी रिपोर्ट, कलेक्टर ने कराया चेकअप

रायपुर। जिला को टीबी मुक्त बनाए जाने की लिए अभियान चलाया जा रहा है। अब ए-आई तकनीक से टीबी की पहचान और जांच की सुविधा जिलावासियों को मिलेगी और रिपोर्ट भी तत्काल मिल जाएगी। कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह ने जिले में टीबी की पहचान और जांच के लिए वैन की शुरूआत की। इसी कड़ी में कलेक्टर डाॅ. गौरव सिंह ने ए-आई तकनीक से टीबी के पहचान के लिए जांच कराई। तत्काल एआई तकनीक से कम्प्यूटर पर रिपोर्ट भी आ गई और उस जांच में कलेक्टर सामान्य पाए गए।

कलेक्टर डाॅ. गौरव सिंह की पहल पर वैन की शुरूआत की गई है, जो विभिन्न स्थानों में पहुंचकर ए-आई तकनीक के माध्यम से टीबी की पहचान की जांच करेगी। साथ ही रिपोर्ट भी तत्काल मिल जाएंगी। अगर किसी प्रकार का लक्षण पाया जाएगा तो शीघ्र ही उपचार भी शुरू कराया जा सकेगा। रायपुर कलेक्टर डाॅ. गौरव सिंह ने वैन की शुरूआत की। वैन विभिन्न स्थानों पर कैंप लगाकर जांच करेगी।

कलेक्टर डाॅ. गौरव सिंह ने प्रधानमंत्री टीबी मुक्त अभियान के अंतर्गत कलेक्टर सभाकक्ष में टीबी मरीजों को निक्षय मित्र योजना के तहत उपचार अवधि में निशुल्क पोषण आहार का वितरण किया। इसका उद्देश्य छह माह तक उन्हें पोषण आहार टीबी की दवा चलते तक मिलता रहे और रायपुर जिले को टीबी मुक्त किया जा सके।

इसके लिए स्कूल नामक एनजीओ ने निक्षय मित्र बनकर टीबी के 200 मरीजों को उपचार अवधि के दौरान पोषण आहार का निशुल्क वितरण किया। एनजीओ स्कूल की ओर से 1400 टीबी मरीज को छह महीने के लिए फूड बास्केट दिया जाएगा। एनजीओ स्कूल के प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर आदित्य शर्मा ने 1400 मरीजों को गोद लेने के प्रतिबद्धता जाहिर की। इस अवसर पर सीएमएचओ डाॅ. मिथिलेश चौधरी समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

अभियान के तहत यह मिलेगा लाभ

स्वास्थ्य सेवाओं की त्वरित पहुंच: झुग्गी-झोपड़ी के निवासी बिना किसी देरी के अपनी स्वास्थ्य स्थिति जान सकते हैं।

समुदाय में जागरूकता: वीडियो के माध्यम से लोगों में टीबी के प्रति जागरूकता बढ़ती है, जिससे वे समय पर चिकित्सकीय सलाह लेने के लिए प्रेरित होते हैं।