Special Story

IAS ने बढ़ाया छत्तीसगढ़ का गौरव, नम्रता गांधी के साथ हरीश एस का हुआ पीएम ट्राफी के लिए चयन…

IAS ने बढ़ाया छत्तीसगढ़ का गौरव, नम्रता गांधी के साथ हरीश एस का हुआ पीएम ट्राफी के लिए चयन…

ShivJan 19, 20255 min read

रायपुर। छत्तीसगढ़ के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी गौरव…

नक्सलवाद के खिलाफ पुलिस की बड़ी सफलता, दो ईनामी नक्सली समेत 3 माओवादी गिरफ्तार

नक्सलवाद के खिलाफ पुलिस की बड़ी सफलता, दो ईनामी नक्सली समेत 3 माओवादी गिरफ्तार

ShivJan 19, 20252 min read

सुकमा।  छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलवाद के खिलाफ पुलिस…

January 19, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

सामने आ रही हैं बीती सरकार की कारगुजारियां, रायपुर में बड़े बिल्डरों को फायदा पहुंचाने बनाया था मास्टर प्लान, शिकायतों के बाद मंत्री चौधरी ने दिए जांच के आदेश

रायपुर-    समय के बीतने के साथ बीती सरकार की एक-एक कारगुजारियां सामने आती जा रही हैं, जिस पर नई सरकार जांच के बाद कार्रवाई भी कर रही है. ऐसा ही मामला राजधानी रायपुर के 2031 के मास्टर प्लान का है. बीती सरकार ने इस मास्टर प्लान को लेकर दर्ज कराई गई तमाम आपत्तियों को दरकिनार कर दिया था. सरकार बदलने के साथ सामाजिक और व्यापारिक संगठनों की ओर से की गई शिकायतों को ध्यान में रखते हुए आवास एवं पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी ने जांच के आदेश दिए हैं. 

रायपुर के 2031 के मास्टर प्लान को लेकर भाजयुमो के फनेंद्र भूषण वर्मा ने मंत्री चौधरी से शिकायत की थी. मास्टर प्लान पास होने के पहले एक हजार से ज्यादा आपत्तियां सामने आई थी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. जब यह मामला भाजपा सरकार के नए आवास एवं पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी के पास पहुंचा तो उन्होंने उन सभी आपत्तियों की दोबारा जांच करने का भरोसा दिलाया है.

आरोप है कि मास्टर प्लान 2031 में अटारी, भटगांव, बोरियाकला, चंदनीडीह, चरौदा, दोंदेकला, गिरौद, काठाडीह, मांढर, मोहदी, निमोरा, सिलतरा, उरला समेत कई घनी आबादी वाली जगहों को शामिल ही नहीं किया गया है. इन जगहों की कमर्शियल, आवासीय या मिश्रित जमीन को किसी भी योजना में शामिल नहीं किया गया है. इन सभी जगहों पर रायपुर के कई बड़े बिल्डरों के प्रोजेक्ट लांच हुए हैं, या होने वाले हैं, जिसके लिए विज्ञापन भी जारी हो चुका है.

आरोप है कि मास्टर प्लान में इन जगहों की जमीन आती तो उन्हें कई तरह की परेशानी होती. नया निर्माण करना भी आसान नहीं होता. इस वजह से इन सभी जगहों की जमीन को मास्टर प्लान में शामिल ही नहीं किया गया. इतना ही नहीं 2011 के मास्टर प्लान में सरोना की जमीन को आमोद-प्रमोद की जमीन बताई गई थी. बाद में आवासीय उपयोग के लिए जमीन का डायवर्सन करा दिया गया. इस पर जोरदार आपत्ति की गई, लेकिन जिम्मेदार अफसरों ने सभी आपत्तियों को सिरे से खारिज कर दिया. आरोप है कि एक बड़े बिल्डर के इशारे पर इस जमीन को आवासीय ही रखा गया है.

नई सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना

नई सरकार ने रायपुर, नवा रायपुर और भिलाई- दुर्ग के एक बड़े हिस्से को शामिल कर नई ट्राई सिटी बनाने की योजना तैयार की है. लेकिन इस प्लान का कोई भी हिस्सा मास्टर प्लान में पहले शामिल ही नहीं किया गया है. इस वजह से इस प्लान को भी जमीन पर उतारने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी. मास्टर प्लान में जो आपत्तियां दर्ज की गई थी, उसके अनुसार नए मास्टर प्लान के नक्शे में कोई परिवर्तन नहीं किया गया. इससे भी लोगों में नाराजगी हैं.