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गजराज का आतंक… किसान के घर में की तोड़फोड़, ग्रामीणों में दहशत का माहौल

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ShivJun 15, 20251 min read

बलरामपुर।  वाड्रफनगर वन क्षेत्र के कैलाशपुर गांव में फिर से…

स्कार्फ बांधकर स्कूटी चलाने पर जुर्माने की कार्रवाई, दुर्ग पुलिस ने काटा चालान

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ShivJun 15, 20251 min read

दुर्ग। यातायात पुलिस द्वारा जिले की यातायात व्यवस्था को सुगम…

रफ्तार का कहर : बालोद, कोंडागांव और सरगुजा में सड़क हादसे, 4 लोगों की मौत

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ShivJun 15, 20252 min read

रायपुर। प्रदेश में रफ्तार का कहर थमने का नाम नहीं…

रायपुर में टीम इंडिया और न्यूजीलैंड के बीच होगा टी-20 मैच

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ShivJun 15, 20251 min read

रायपुर।  क्रिकेट प्रेमियों के लिए बड़ी खुशखबरी है. रायपुर के…

खनिज माफियाओं में कानून का डर नहीं, गांव में बीच चौराहे पर युवक की मुखबिरी के आरोप में की पिटाई

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ShivJun 15, 20251 min read

बलौदाबाजार। गुंडागर्दी का ताजा मामला जिले से सामने आया है।…

June 15, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

साल बर्बाद होने पर फूट-फूट कर रोई छात्राएं : 4 मिनट लेट से पहुंचने पर परीक्षा केंद्र में नहीं मिला प्रवेश, प्री-बीएड की परीक्षा से हुईं वंचित

कांकेर।   सिर्फ चार मिनट की देरी के चलते तीन छात्राओं का एक साल बर्बाद हो गया. प्री बीएड परीक्षा देने पहुंची युवतियों को परीक्षा केंद्र के गेट पर ही रोक दिया गया. परीक्षा से वंचित छात्राओं ने रोते हुए न्याय की मांग की है. इन परीक्षार्थियों का कहना है कि 15 मिनट तक का समय रहता है. क्या मानवता के नाम पर कुछ लचीलापन नहीं दिखाया जा सकता था? पूरा मामला कांकेर का है.

दरअसल आज कांकेर पीजी कॉलेज में प्री बीएड और डीएड परीक्षा आयोजित की गई. दोपहर 2 बजे से शुरू होने वाली दूसरी पाली की परीक्षा में शामिल होने के लिए ज्योति यादव, रमिता कोमा और डेमेश्वरी साहू परीक्षा केंद्र पर 2 बजकर 4 मिनट पर पहुंची, लेकिन सिर्फ 4 मिनट की देरी के कारण महिला सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें गेट पर ही रोक दिया. युवतियों ने कई बार विनती की, लेकिन न तो उन्हें अंदर जाने दिया गया और न ही परीक्षा केंद्र प्रभारी से बात करने दी गई.

छोटे बच्चे को दूध पिलाने गई थी रमिता, लेट होने पर परीक्षा से वंचित

जानकारी के मुताबिक, रमिता कोमा अपने छोटे बच्चे को दूध पिलाने के लिए गई थी, इसी वजह से परीक्षा केंद्र पहुंचने में देरी हुई. भावुक रमिता ने बताया कि अब उन्हें एक साल और इंतजार करना होगा. परीक्षा से वंचित छात्राओं ने अब सवाल उठाया है कि क्या नियमों के साथ थोड़ी संवेदनशीलता नहीं हो सकती? या फिर मानवता की कीमत सिर्फ समय की सुई से तय होगी?