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छत्तीसगढ़ बजट 2025-26: समावेशी विकास को गति देने वाला बजट – उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा

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ShivMar 3, 20253 min read

रायपुर।     उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने आज प्रस्तुत छत्तीसगढ़ बजट…

बजट से छत्तीसगढ़ के विकास को मिलेगी तीव्र गति – मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

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ShivMar 3, 20254 min read

रायपुर।    यह बजट वर्तमान की जरूरतों को पूरा करते…

एक्स पर नंबर 1 ट्रेंड में रहा #CG_ की _ प्रGATI_ का _ बजट

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ShivMar 3, 20251 min read

रायपुर।    छत्तीसगढ़ का बजट आज एक्स पर ट्रेंड में…

10वीं बोर्ड : हिंदी का हुआ पहला पेपर, 5 हजार से ज्यादा बच्चे रहे गायब

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ShivMar 3, 20251 min read

रायपुर।  आज से 10वीं बोर्ड की परीक्षा शुरू हो गई…

March 3, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

राज्य उपभोक्ता आयोग ने एलआईसी को पाया सेवा में कमी का दोषी

रायपुर- छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने भारतीय जीवन बीमा निगम को दावा निरस्त कर सेवा में कमी का दोषी पाया है. इसके साथ ही बीमित के नामीनी को बीमा दावा राशि 14,00,000 रुपए के साथ बतौर मानसिक क्षतिपूर्ति 15,000 एवं 3,000 रुपए वाद व्यय देने का आदेश पारित किया है. 

नया बाराद्वार निवासी परिवादिनी फुलेश्वरी बाई के पति बुटानु भैना ने अपने जीवनकाल में भारतीय जीवन बीमा निगम की. 8 और 6 लाख की दो पॉलिसियां ली थी. बिमित की मृत्यु के पश्चात नामिनी के तौर पर दर्ज परिवादिनी ने बीमा दावा प्रस्तुत किया था. इसे भारतीय जीवन बीमा निगम ने इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि बीमा धारक ने बीमा प्रस्ताव में पूर्व के इलाज एवं अपंगता के संबंध में गलत जानकारी दी गई थी. जिस पर परिवादिनी ने जांजगीर-चांपा जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया था.

जिला आयोग के समक्ष बीमा निगम ने वही आधार प्रस्तुत किया, जिस पर दावा निरस्त किया गया था. जिला आयोग ने सुनवाई पश्चात भारतीय जीवन बीमा निगम के दावा निरस्ती को सेवा में कमी का दोषी पाते हुए कुल बीमाधन 14,00,000 रुपए के साथ 15,000 रुपए मानसिक क्षतिपूर्ति एवं 3,000 रुपए वाद व्यय देने का आदेश पारित किया. जिसे भारतीय जीवन बीमा निगम के द्वारा राज्य आयोग के समक्ष चुनौती दी थी.

अपील की सुनवाई के दौरान राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम चौरड़िया एवं सदस्य प्रमोद कुमार वर्मा की पीठ ने यह पाया कि भारतीय जीवन बीमा निगम के एजेंट एवं डॉक्टर द्वारा बीमित के भौतिक परीक्षण उपरांत ही बीमा प्रस्ताव को बीमा निगम द्वारा स्वीकार कर दोनों पॉलिसियां जारी की गई थी. अतः भारतीय जीवन बीमा निगम बीमा दावा हेतु देनदार है.

इस तरह से भारतीय जीवन बीमा निगम की अपील को निरस्त कर जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश की पुष्टि करते हुए 45 दिनों के भीतर भुगतान नहीं किए जाने पर उक्त राशि पर आदेश दिनांक से भुगतान दिनांक तक 6 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज देय का आदेश दिया.