Special Story

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पहुंचे एम्स, नक्सल हमले में घायल जवानों का जाना हालचाल

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पहुंचे एम्स, नक्सल हमले में घायल जवानों का जाना हालचाल

ShivMay 15, 20251 min read

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर में कर्रेगुट्‌टा की पहाड़ी पर सुरक्षा…

बायो-सीएनजी संयंत्रों हेतु भूमि आबंटन के लिए राज्य शासन ने कलेक्टरों को लिखा पत्र

बायो-सीएनजी संयंत्रों हेतु भूमि आबंटन के लिए राज्य शासन ने कलेक्टरों को लिखा पत्र

ShivMay 15, 20252 min read

रायपुर।    राज्य शासन ने जैव अपशिष्ट और कृषि अपशिष्ट…

बारातियों से भरी बस पलटी, तीन लोगों की मौत, कई घायल, मौके पर मची चीख-पुकार

बारातियों से भरी बस पलटी, तीन लोगों की मौत, कई घायल, मौके पर मची चीख-पुकार

ShivMay 15, 20252 min read

बलरामपुर। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में दर्दनाक सड़क हादसा हुआ है.…

May 15, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

नक्सली हमले में घायल जवान को मिली राहत, सुकमा ट्रांसफर पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

बिलासपुर।  नक्सली हमले में घायल जवान के सुकमा ट्रांसफर पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. आरक्षक दिनेश ओगरे को 2016 में बीजापुर में गोली लगी थी. 2018 में उनका एक्सीडेंट हुआ था, जिसमें वह घायल हो गया था. उनके पैर में स्टील रॉड लगी थी. उन्होंने डीजीपी सर्कुलर का हवाला देकर अपने ट्रांसफर को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. इस पर कोर्ट ने स्थानांतरण और रिलीविंग आदेश पर रोक लगा दी है.

ग्राम नागरदा, जिला-सारंगढ़ निवासी दिनेश ओगरे दूसरी बटालियन, छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल सकरी में आरक्षक (कॉन्सटेबल) के पद पर पदस्थ था. सेनानी, दूसरी वाहिनी ने आदेश जारी कर दिनेश ओगरे का स्थानांतरण सकरी, जिला-बिलासपुर से एफ कम्पनी सुकमा स्थानांतरण कर दिया था. उक्त स्थानांतरण (ट्रान्सफर) आदेश से क्षुब्ध होकर दिनेश ओगरे ने हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं स्वाति सराफ के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर कर स्थानांतरण आदेश को चुनौती दी थी.

अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं स्वाति सराफ ने हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया कि पूर्व में वर्ष 2016 में याचिकाकर्ता पामेड़, जिला-बीजापुर में कान्सटेबल के पद पर पदस्थ था. हेलीपेड सुरक्षा के दौरान नक्सलियों द्वारा की गई गोलाबारी में याचिकाकर्ता के सिर में गोली लगी थी एवं वह गंभीर रूप से घायल हुआ था. इसके साथ ही वर्ष 2018 में याचिकाकर्ता का एक मेजर एक्सीडेन्ट होने के कारण उसके बाएं पैर में स्टील की रॉड लगी है. उसे तेज चलने एवं दौड़ने में दिक्कत होती है. चूंकि जिला-सुकमा एक अति संवेदनशील एवं घोर नक्सली जिला है, चूंकि आवेदक की शारीरिक एवं मानसिक स्थिति घोर नक्सली जिले में सेवा देने योग्य नहीं है. यदि याचिकाकर्ता घोर नक्सली जिला-सुकमा में ज्वाईन करता है तो नक्सलियों के टारगेट में होने के कारण याचिकाकर्ता की जान को खतरा है.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने पूर्व में 03.09.2016 को विशेष आसूचना शाखा, पुलिस मुख्यालय एवं 18.03.2021 को पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), पुलिस मुख्यालय रायपुर द्वारा जारी सर्कुलर का हवाला दिया, जिसमें यह प्रावधान है कि नक्सली हमले में घायल जवानों से उनकी शारीरिक क्षमतानुसार कार्य लिया जाना चाहिए. ऐसे जवानों की पदस्थापना घोर नक्सली जिले में नहीं किया जाना चाहिए. इसके साथ ही समय-समय पर उनके स्वास्थ्य के संबंध में समुचित जानकारी प्राप्त किया जाना चाहिए परंतु याचिकाकर्ता के मामले में सेनानी दूसरी बटालियन ने इस वर्णित सर्कुलर का घोर उल्लंघन करते हुए याचिकाकर्ता का घोर नक्सली जिला-सुकमा में स्थानांतण कर दिया था. उच्च न्यायालय, बिलासपुर ने उक्त रिट याचिका की सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता का जिला-सुकमा के लिए जारी स्थानांतरण आदेश एवं रिल्हीविंग आदेश पर स्टे लगा दिया.