Special Story

जन्मदिन पर उज्जैन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का हुआ अभूतपूर्व स्वागत

जन्मदिन पर उज्जैन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का हुआ अभूतपूर्व स्वागत

ShivMar 25, 20252 min read

भोपाल।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का मंगलवार को जन्मदिन पर…

व्यापार में कमिटमेंट का है सर्वाधिक महत्व : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

व्यापार में कमिटमेंट का है सर्वाधिक महत्व : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

ShivMar 25, 20259 min read

भोपाल।   मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि बाबा…

भारतीय संस्कृति पर केन्द्रित फिल्में आज भी हैं समसामयिक: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

भारतीय संस्कृति पर केन्द्रित फिल्में आज भी हैं समसामयिक: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

ShivMar 25, 20253 min read

भोपाल।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मंगलवार को कालिदास अकादमी परिसर…

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन सेवाधाम में बच्चों के साथ मनाया जन्मदिन

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन सेवाधाम में बच्चों के साथ मनाया जन्मदिन

ShivMar 25, 20251 min read

भोपाल।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को उज्जैन में…

भारत-भूमि की सनातन संस्कृति में जन्म होना हमारा सौभाग्य : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

भारत-भूमि की सनातन संस्कृति में जन्म होना हमारा सौभाग्य : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

ShivMar 25, 20254 min read

भोपाल।   मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भारत-भूमि…

March 25, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

प्रतिनिधि सभा में पारित प्रस्ताव की संघचालक पुर्णेंदु सक्सेना ने दी जानकारी

रायपुर।  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा 2025 का आयोजन 21 मार्च 2025 से 23 मार्च 2025 (युगाब्द 5126, फाल्गुन कृष्ण सप्तमी अष्टमी नवमी) तक बेंगलुरु के चन्नेनहल्लि स्थित जन सेवा विद्या केंद्र में किया गया. अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का आयोजन प्रति वर्ष होता है. संघ की रचना में निर्णय की दृष्टि से यह संघ की सबसे महत्वपूर्ण बैठक है. बैठक के प्रारम्भ में संघ के माननीय सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने गत वर्ष संघ कार्य का वार्षिक प्रतिवेदन (रिपोर्ट) प्रस्तुत किया. इसके बाद प्रत्येक प्रांत के कार्यकर्ताओं द्वारा गतिविधियों एवं कार्यक्रमों की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई. इस वर्ष संघ स्थापना के 100 वर्ष हो रहे हैं, इसलिए अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के दौरान संघ कार्य के विस्तार पर विचार-विमर्श किया गया. विजयादशमी 2025 से विजयादशमी 2026 तक शताब्दी वर्ष
के रूप मे मनाया जाएगा. इसके लिए व्यापक जनसंपर्क की योजना बनी है. इसमें सभी क्षेत्र के लोग सम्मिलित होंगे. अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के दौरान पंच परिवर्तन (सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण जागरूकता, स्वत्व पर जोर, नागरिक कर्तव्य) पर विशेष चर्चा-चिंतन किया गया.

तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के दौरान एक प्रस्ताव भी पारित किया गया। यह प्रस्ताव बांग्लादेश में हिन्दुओं व अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों पर उत्पन्न परिस्थिति और भविष्य के प्रयासों पर केंद्रित रहा. इस प्रस्ताव की एक प्रति संलग्न है।

संघ शताब्दी वर्ष

इस वर्ष विजयादशमी के दिन संघ के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं. जैसा कि पहले बताया जा चुका है, आने वाला वर्ष संघ कार्य के विस्तार तथा सुदृढ़ीकरण पर केंद्रित होगा. संघ का उद्देश्य इस उपलब्धि का उत्सव मनाना नहीं है, बल्कि 1) आत्मचिंतन करना, 2) संघ कार्य के लिए समाज द्वारा दिए समर्थन के लिए आभार प्रकट करना तथा 3) राष्ट्र के लिए तथा समाज को संगठित करने के लिए स्वयं को पुनः समर्पित करना है. उन्होंने कहा कि शताब्दी वर्ष में हम अधिक सावधानी, गुणवत्ता तथा व्यापकता से कार्य करने का संकल्प लेते हैं. विजयादशमी के दिन से संघ शताब्दी के दौरान विशिष्ट गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करेगा।

1. शताब्दी वर्ष की शुरुआत विजयादशमी 2025 के अवसर पर होगी, जिसमें गणवेश (संघ गणवेश) में स्वयंसेवकों के मंडल, खंड/नगर स्तर के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

2. नवंबर 2025 से जनवरी 2026 तक तीन सप्ताह तक बड़े पैमाने पर घर-घर संपर्क अभियान की योजना बनाई गई है, जिसका विषय ” हर गांव, हर बस्ती, घर-घर होगा।

3. सभी मंडलों और बस्तियों में हिन्दू सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे, जिसमें बिना किसी भेदभाव के प्रत्येक के जीवन में एकता और सद्भाव, राष्ट्र के विकास में सभी का योगदान और पंच परिवर्तन में प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी, का संदेश दिया जाएगा।

4. खंड/नगर स्तर पर सामाजिक सद्भाव बैठकें आयोजित की जाएंगी, जिसमें एक साथ मिलकर रहने पर बल दिया जाएगा।

5. जिला स्तर पर प्रमुख नागरिक संवाद आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों में राष्ट्रीय विषयों पर सही विमर्श स्थापित करने और आज प्रचलित गलत विमर्श को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
6. युवाओं के लिए विशेष कार्यक्रम प्रांतों द्वारा आयोजित किए जाएंगे। 15 से 30 वर्ष की आयु के युवाओं के लिए राष्ट्र निर्माण, सेवा गतिविधियों और पंच परिवर्तन पर केंद्रित कार्यक्रम किए जाएंगे।

पिछले 100 वर्ष में संघ की यात्रा के संदर्भ में संघ ने एक संकल्प भी शताब्दी वर्ष के दौरान लिया है। जिसकी प्रति आप सब लोगों को उपलब्ध कराई गई है।

स्वतंत्रता सेनानी महारानी अबक्का के जन्म की 500वीं वर्षगांठ पर वक्तव्य

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के दौरान माननीय सरकार्यवाह जी ने अप्रतिम महिला स्वतंत्रता सेनानी महारानी अबक्का के जन्म की 500वीं वर्षगांठ के अवसर पर जारी वक्तव्य के बारे में बताया. उनकी 500वीं जयंती पर, सरकार्यवाह जी ने महारानी अब्बक्का को श्रद्धांजलि दी, उन्हें भारत की महान महिला स्वतंत्रता सेनानी, एक कुशल प्रशासक और निडर योद्धा बताया. रानी अबक्का ने पुर्तगालियों के खिलाफ छोटे से राज्य उल्लाल (दक्षिण कन्नड़, कर्नाटक) की वीरता से रक्षा की.

लोकमाता अहिल्या देवी होल्कर त्रिशताब्दी जंयती समारोह

लोकमाता अहिल्यादेवी होल्कर त्रिशताब्दी जंयती समारोह छत्तीसगढ़ प्रान्त के सभी जिलों के विद्यालयों महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों, स्वसहायता समूह, युवाओं, मातृशक्ति तथा
प्रबुद्ध जनों के बीच आयोजित किए गए. इस दौरान व्याख्यान, निबंध, चित्रकला एवं रंगोली प्रतियोगिता आयोजित की गई. प्रान्त स्तर पर 24 प्रबुद्ध लोगो (कुलपति, प्राध्यापक, शिक्षक, सज्जनशक्ति, मातृशक्ति तथा सन्तो) की आयोजन समिति बनाई गई तत्पश्चात् इसी प्रकार सभी 34 जिलों की आयोजन समिति बनाई गई. विभाग स्तर पर दो सत्रों में कार्यशाला आयोजित किया गया. लोकमाता अहिल्या देवी पर एक साहित्य एवं एक कामिक्स प्रकाशित किया गया.

सेवा प्रकल्प

रायपुर विभाग में ही ऐसे उपक्रम चलाने वाली शाखाओं की संख्या 61 है. छत्तीसगढ़ में सेवा उपक्रमशील शाखा (जो साल में न्यूनतम दो सेवा उपक्रम अवश्य करती हों) रायपुर में ऐसी शाखाओं की संख्या 54 है, जबकि रायगढ़ में 82 व दुर्ग में 77 है. छत्तीसगढ़ में सेवा भारती द्वारा ही 99 सेवा प्रकल्प संचालित किए जा रहे हैं. इनमें रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, अंबिकापुर, दुर्ग, राजनांदगांव, जगदलपुर में संचालित मातृछाया प्रमुख हैं. यहां ऐसे बच्चों को आश्रय दिया जाता है, जिनके माता-पिता नहीं हैं या जिन्हें परित्यक्त कर दिया गया है. इन बच्चों के भोजन, कपड़े, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा व मनोरंजन की उत्कृष्ट व्यवस्था मातृछाया में समाज के सहयोग से प्रदान की जाती है. इसके साथ 7 अलग-अलग स्थानों पर कन्या छात्रावास तथा 2 स्थान पर आश्रय गृह संचालित किए जा रहे हैं. छत्तीसगढ़ प्रांत में 59 संस्कार केंद्र भी संचालित हो रहे हैं. इन संस्कार केंद्रों में बच्चों को स्वच्छता, श्रेष्ठ आचरण, राष्ट्र भक्ति, भोजन मंत्र के साथ सामूहिकता आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है. सेवा भारती द्वारा प्रांत में 11 किशोरी विकास केंद्र भी संचालित हो रहे हैं. इसी तरह अंग्रेजी माध्यम स्कूल, सिलाई केंद्र, कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र, स्वास्थ्य पैथलैब एवं पॉलीक्लिनिक का संचालन भी अलग-अलग स्थान पर हो रहा है. शाखा द्वारा दैनिक व साप्ताहिक स्थाई सेवा कार्य संचालित किए जाते हैं.

पर्यावरण गतिविधि

महाकुंभ प्रयागराज को हरित कुंभ की दृष्टि से एक थैला एक थाली अभियान चलाया गया था जिसमें पूरे छत्तीसगढ़ प्रांत से 70,983 थैले और थालियां समाज के सहयोग से प्राप्त हुए, जिसमें गतिविधि के ’जन जन में कुंभ घर घर में कुंभ और कुंभ में कुंभ’ का उद्देश्य पूर्ण होगा. राष्ट्रीय छात्र पर्यावरण प्रतियोगिता जो पहली से स्नातकोत्तर तक चार स्तरों पर आयोजित की गई. जिसमें प्रदेश के 31856 प्रतिभागि सम्मिलित हुएस आगामी समय मे प्रांत के धार्मिक आयोजनो को पॉलिथीन मुक्त करने की योजना है.