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अटक गया राजधानी का मास्टर प्लान, अफसर अपने हिसाब से बना रहे शहर की योजनाएं

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जिला पंचायत CEO की नियुक्ति पर बवाल : गृह जिले में ही नियुक्ति मिलने पर कांग्रेस ने उठाया सवाल, कहा – प्रशासनिक साजिश की बू आ रही…

गरियाबंद।    आचार संहिता से पहले नियम ताक में रखकर धमतरी अपर कलेक्टर को गृह जिला गरियाबंद में जिला पंचायत सीईओ की जवाबदारी दी गई है. जिला पंचायत चुनाव के रिटर्निंग अफसर का जिम्मा जिला सीईओ के पास होता है. ऐसे में कांग्रेस ने अपने एक्स पर नियुक्ति आदेश की कॉपी जारी कर लिखा है कि प्रशासनिक साजिश की बू आ रही.

बता दें कि गरियाबंद जिले में सरकार ने धमतरी जिले में पदस्थ 2014 बैच के जिस राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी घासी राम मरकाम को जिला पंचायत सीईओ के रूप में पदस्थ किया गया है वे इसी जिले के रहने वाले हैं. चुनाव आयोग के प्रावधान के मुताबिक, चुनाव के समय गृह जिला में अफसरों की पोस्टिंग वर्जित माना गया है. जानकारी के मुताबिक मरकाम गरियाबंद तहसील के मोहदा ग्राम के रहने वाले हैं, जबकि इनका ससुराल मैनपुर तहसील के जिडार पंचायत का चिह्रापारा है. मरकाम व उनके परिवार का दोनों तहसील में पुश्तैनी जमीन जायदाद भी है. भरे पूरे परिवार में एक भाई पंचायत सचिव भी है. नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के लिए प्रदेश में आचार संहिता लग गया है. ऐसे में अब इनकी नियुक्ति पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

कांग्रेस ने जिला पंचायत सीईओ की नियुक्ति पर उठाया सवाल

गरियाबंद जिला पंचायत सीईओ की नियुक्ति को लेकर कांग्रेस ने अपने एक्स पर लिखा है कि प्रशासनिक साजिश की बू आ रही. नियुक्ति के बाद यह आदेश चर्चा में था, लेकिन अब इस पर सियासत भी शुरू हो गया है. छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने अपने एक्स पर आदेश को साझा कर गरियाबंद में पंचायती राज चुनाव के निष्पक्षता पर ही सवाल खड़ा कर दिया है. एक्स पर लिखा है कि इस आदेश से प्रशासनिक साजिश की बू आ रही है.

अचार संहिता से पहले तीन अफसर हटाए गए

भारत निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन का पालन राज्य निर्वाचन आयोग करता है. तय गाइड लाइन के तहत जिला सीईओ रीता यादव व अपर कलेक्टर अर्पिता पाठक को अन्य जिले की जिम्मेदारी दी गई है. वहीं सहायक निर्वाचन अधिकारी का जिम्मा संभालने वाले संयुक्त कलक्टर राकेश गोलछा को भी अन्यत्र तबादला कर दिया गया है.