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अहमदाबाद विमान हादसा: सभी 242 यात्रियों की मौत, स्थानीय लोगों की भी गई जान

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ShivJun 12, 20252 min read

अहमदाबाद।  अहमदाबाद से लंदन के लिए रवाना हुआ एयर इंडिया…

अंतर्राष्ट्रीय अग्र विभूति अलंकरण समारोह 2025 में शामिल हुए सांसद बृजमोहन अग्रवाल

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ShivJun 12, 20251 min read

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कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी

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ShivJun 12, 20252 min read

रायपुर। रांची स्थित एंटी करप्शन ब्यूरो की स्पेशल कोर्ट ने…

अवैध रेत उत्खनन पर कड़ी कार्रवाई, 3 चैन माउंटेन वाहन जब्त

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ShivJun 12, 20251 min read

महासमुंद। कलेक्टर विनय कुमार लंगेह के निर्देशानुसार अवैध खनिज उत्खनन,…

प्रसूता की मौत का मामला: जांच में अस्पताल प्रभारी, डॉक्टर और मेल नर्स पाए गए दोषी, हो सकती है बड़ी कार्रवाई

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ShivJun 12, 20252 min read

रायपुर। बीरगांव स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रसूता साक्षी निषाद की…

June 12, 2025

Apni Sarkaar

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शिक्षा का अधिकार अधिनियम शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण का आधार, शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की गुणवत्ता और उपस्थिति की भ्रांतियों को किया दूर

रायपुर।   छत्तीसगढ़ में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को अधिक प्रभावी और समावेशी बनाने के लिए किए जा रहे युक्तियुक्तकरण को लेकर विभिन्न शैक्षिक संगठनों द्वारा उठाए गए सवालों के संबंध में शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने, शिक्षकों के संतुलित वितरण और शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अनुपालन के उद्देश्य से की जा रही है।

शिक्षा विभाग का मानना है कि 2008 के सेटअप की प्रासंगिकता नहीं रही, अब शिक्षा का अधिकार अधिनियम ही युक्तियुक्तकरण का आधार है। 2008 के स्कूल सेटअप में प्रधान पाठक और दो सहायक शिक्षकों की व्यवस्था थी, जो उस समय की आवश्यकताओं के अनुरूप थी, लेकिन 01 अप्रैल 2010 से पूरे देश में लागू हुए शिक्षा का अधिकार अधिनियम के बाद नए मानक लागू हुए। अधिनियम के तहत 60 छात्रों तक के लिए 2 शिक्षकों का प्रावधान है और 150 से अधिक छात्रों पर ही प्रधान पाठक की नियुक्ति की जाती है। चूंकि छत्तीसगढ़ में पहले से ही कई स्कूलों में प्रधान पाठक का पद स्वीकृत था, इसलिए उन्हें सहायक शिक्षक की गिनती में जोड़ा गया है।

शिक्षा विभाग के अनुसार दो शिक्षकों से पांच कक्षाओं को पढ़ाने के सवाल के जवाब में कहा गया है कि बहुकक्षा शिक्षण ही इसका बेहतर समाधान है। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि औसतन प्राथमिक स्कूलों में दो ही कक्ष निर्मित होते हैं और शिक्षा का अधिकार अधिनियम में भी 60 छात्रों तक के लिए दो शिक्षकों की व्यवस्था का प्रावधान है। ऐसे में शिक्षकों को बहुकक्षा शिक्षण का प्रशिक्षण दिया गया है ताकि वे विभिन्न कक्षाओं को एक साथ गुणवत्तापूर्वक पढ़ा सकें। आंकड़ों के अनुसार राज्य के 30,700 प्राथमिक विद्यालयों में से लगभग 17,000 में छात्र-शिक्षक अनुपात 20 से भी कम है, जिससे यह स्पष्ट है कि छात्रों के अनुपात में शिक्षक पर्याप्त संख्या में हैं।

शिक्षा विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि 60 से कम दर्ज संख्या वाली शालाओं को लेकर फैलाई जा रही भ्रांति निराधार हैं। कुछ संगठनों ने यह आशंका व्यक्त की थी कि 60 से कम दर्ज संख्या वाली 20,000 से अधिक शालाएं व्यवहारिक रूप से एकल-शिक्षकीय हो जाएंगी। इस पर विभाग ने स्पष्ट किया कि इन स्कूलों में दो शिक्षकों की व्यवस्था की गई है, जिसमें प्रधान पाठक भी एक शिक्षकीय पद है। अतः यह कहना गलत है कि ये शालाएं एक शिक्षक के भरोसे चलेंगी। शिक्षा विभाग ने यह दोहराया है कि युक्तियुक्तकरण का उद्देश्य शिक्षकों की संख्या को कम करना नहीं, बल्कि उनकी तैनाती को तर्कसंगत बनाकर सभी विद्यार्थियों को समान अवसर और संसाधन उपलब्ध कराना है। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि कहीं भी छात्र-शिक्षक अनुपात अधिनियम से नीचे न जाए। शिक्षा विभाग का यह मानना है कि युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया न केवल विधिक मानकों पर आधारित है, बल्कि इसका उद्देश्य राज्य में प्राथमिक शिक्षा को और अधिक प्रभावी, समान और गुणवत्तापूर्ण बनाना है।