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छत्तीसगढ़: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अनिल मानिकपुरी ने दिया इस्तीफा, गुटबाजी और उपेक्षा के लगाए आरोप

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ShivJan 31, 20252 min read

मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी।  मोहला_मानपुर जिले के पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष अनिल मानिकपुरी…

नगरीय निकाय चुनाव : मुख्यमंत्री साय ने की भाजपा प्रत्याशियों को जिताने की अपील, दी विकास की गारंटी

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ShivJan 31, 20252 min read

रायपुर।  प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज भारतीय जनता पार्टी…

CGMSC घोटाला : इन अधिकारियों पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार, DHS की एक स्टॉफ पर अब तक नहीं पड़ी टीम की नजर…

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ShivJan 31, 20253 min read

रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन (CGMSC) में करोड़ों रुपये के घोटाले…

14 वर्षीय छात्रा की निर्मम हत्या, मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल बोले- अपराधी को दिलाएंगे कड़ी से कड़ी सजा

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ShivJan 31, 20252 min read

मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर। छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ से एक सनसनीखेज मामला सामने आया…

January 31, 2025

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पूर्व आईपीएस मुकेश गुप्ता को हाईकोर्ट से राहत, लोक आयोग की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए प्रकरण किया निरस्त, जानिए क्या था मामला…

बिलासपुर- पूर्व आईपीएस मुकेश गुप्ता के मामले में हाईकोर्ट ने लोक आयोग द्वारा की जा रही कार्रवाई पर रोक लगाकर दर्ज प्रकरण निरस्त करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता माणिक मेहता को नए सिरे से विधिवत याचिका दायर करने की छूट भी दी है.

रायपुर निवासी माणिक मेहता ने मुकेश गुप्ता के खिलाफ साल 2020 में शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्होंने मिक्की मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के नाम पर राज्य शासन से तीन करोड़ रुपए का अनुदान लिया था. इस अनुदान राशि के जरिए गरीबों के लिए मोतियाबिंद का ऑपरेशन निःशुल्क कराया जाना था, लेकिन मुकेश गुप्ता ने इस रकम का इस्तेमाल अपने पर्सनल लोन पटाने में किया. साथ ही लोक आयोग, एसीबी और ईओडब्ल्यू में मुकेश गुप्ता के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी. इसकी प्रति तत्कालीन मुख्यमंत्री को भी दी गई थी.

शिकायती पत्र के आधार पर लोक आयोग ने गुप्ता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और अपने पद के दुरुपयोग का मामला दर्ज कर लिया था. शिकायत में कहा गया था कि मुकेश गुप्ता ने गरीब तबके को चिकित्सीय सुविधा दिलाने के नाम पर अपने पद और प्रभाव का दुरूपयोग किया और छत्तीसगढ़ सरकार से तीन करोड़ रुपए का अनुदान हासिल किया. लेकिन अनुदान राशि से चिकित्सीय सुविधा के बजाय बैंक का कर्ज अदा करके वित्तीय अनियमितता की गई. साथ ही चेरिटेबल ट्रस्ट का संचालन निजी लाभ के लिए किया जाता रहा.

मानिक मेहता की शिकायत के बाद ईओडब्ल्यू ने भी अपने प्रारंभिक जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर निलंबित आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता, एमजीएम के मुख्य ट्रस्टी जयदेव गुप्ता और डायरेक्टर डॉ. दीपशिखा अग्रवाल के विरूद्ध भादवि की धारा 420, 406, 120 (बी) तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज किया था.