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कला साध्य भी है, आराध्य भी है : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

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ShivJan 3, 20255 min read

भोपाल।    मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को एनसीईआरटी…

रायपुर-अंबिकापुर-बिलासपुर फ्लाइट को नहीं मिला एक भी यात्री, अब लिया गया ये बड़ा फैसला…

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ShivJan 3, 20252 min read

रायपुर।  फ्लाई बिग (Fly Big) ने रायपुर-अंबिकापुर- बिलासपुर फ्लाइट (Raipur-Ambikapur-…

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने की आबकारी विभाग के कार्यों की समीक्षा

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ShivJan 3, 20252 min read

रायपुर।    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेश में अवैध…

January 3, 2025

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पूर्व आईपीएस मुकेश गुप्ता को हाईकोर्ट से राहत, लोक आयोग की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए प्रकरण किया निरस्त, जानिए क्या था मामला…

बिलासपुर- पूर्व आईपीएस मुकेश गुप्ता के मामले में हाईकोर्ट ने लोक आयोग द्वारा की जा रही कार्रवाई पर रोक लगाकर दर्ज प्रकरण निरस्त करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता माणिक मेहता को नए सिरे से विधिवत याचिका दायर करने की छूट भी दी है.

रायपुर निवासी माणिक मेहता ने मुकेश गुप्ता के खिलाफ साल 2020 में शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्होंने मिक्की मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के नाम पर राज्य शासन से तीन करोड़ रुपए का अनुदान लिया था. इस अनुदान राशि के जरिए गरीबों के लिए मोतियाबिंद का ऑपरेशन निःशुल्क कराया जाना था, लेकिन मुकेश गुप्ता ने इस रकम का इस्तेमाल अपने पर्सनल लोन पटाने में किया. साथ ही लोक आयोग, एसीबी और ईओडब्ल्यू में मुकेश गुप्ता के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी. इसकी प्रति तत्कालीन मुख्यमंत्री को भी दी गई थी.

शिकायती पत्र के आधार पर लोक आयोग ने गुप्ता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और अपने पद के दुरुपयोग का मामला दर्ज कर लिया था. शिकायत में कहा गया था कि मुकेश गुप्ता ने गरीब तबके को चिकित्सीय सुविधा दिलाने के नाम पर अपने पद और प्रभाव का दुरूपयोग किया और छत्तीसगढ़ सरकार से तीन करोड़ रुपए का अनुदान हासिल किया. लेकिन अनुदान राशि से चिकित्सीय सुविधा के बजाय बैंक का कर्ज अदा करके वित्तीय अनियमितता की गई. साथ ही चेरिटेबल ट्रस्ट का संचालन निजी लाभ के लिए किया जाता रहा.

मानिक मेहता की शिकायत के बाद ईओडब्ल्यू ने भी अपने प्रारंभिक जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर निलंबित आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता, एमजीएम के मुख्य ट्रस्टी जयदेव गुप्ता और डायरेक्टर डॉ. दीपशिखा अग्रवाल के विरूद्ध भादवि की धारा 420, 406, 120 (बी) तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज किया था.