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नवा रायपुर में बनेगा छत्तीसगढ़ का पहला फार्मास्युटिकल पार्क, एनआरडीए ने दी 142 एकड़ जमीन

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ShivDec 28, 20243 min read

रायपुर।     छत्तीसगढ़ में सेंट्रल इंडिया का नया फार्मास्युटिकल हब…

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का व्यक्तित्व निर्माण के साथ सेवा कार्यों पर विशेष आग्रह

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ShivDec 28, 20243 min read

रायपुर।   राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूजनीय सरसंघचालक छत्तीसगढ़ प्रवास पर…

न्यायधानी के FL-3 बार हैवेन्स पार्क पर आबकारी विभाग की कार्रवाई, लाइसेंस निलंबित कर जड़ा ताला…

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ShivDec 28, 20241 min read

बिलासपुर।   आबकारी विभाग ने न्यायधानी के FL-3 बार हैवेन्स पार्क…

कौशल्या विहार में रहने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर

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ShivDec 28, 20242 min read

रायपुर।    रायपुर विकास प्राधिकरण (RDA) के अधीन कौशल्या विहार…

December 28, 2024

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पूर्व आईपीएस मुकेश गुप्ता को हाईकोर्ट से राहत, लोक आयोग की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए प्रकरण किया निरस्त, जानिए क्या था मामला…

बिलासपुर- पूर्व आईपीएस मुकेश गुप्ता के मामले में हाईकोर्ट ने लोक आयोग द्वारा की जा रही कार्रवाई पर रोक लगाकर दर्ज प्रकरण निरस्त करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता माणिक मेहता को नए सिरे से विधिवत याचिका दायर करने की छूट भी दी है.

रायपुर निवासी माणिक मेहता ने मुकेश गुप्ता के खिलाफ साल 2020 में शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्होंने मिक्की मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के नाम पर राज्य शासन से तीन करोड़ रुपए का अनुदान लिया था. इस अनुदान राशि के जरिए गरीबों के लिए मोतियाबिंद का ऑपरेशन निःशुल्क कराया जाना था, लेकिन मुकेश गुप्ता ने इस रकम का इस्तेमाल अपने पर्सनल लोन पटाने में किया. साथ ही लोक आयोग, एसीबी और ईओडब्ल्यू में मुकेश गुप्ता के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी. इसकी प्रति तत्कालीन मुख्यमंत्री को भी दी गई थी.

शिकायती पत्र के आधार पर लोक आयोग ने गुप्ता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और अपने पद के दुरुपयोग का मामला दर्ज कर लिया था. शिकायत में कहा गया था कि मुकेश गुप्ता ने गरीब तबके को चिकित्सीय सुविधा दिलाने के नाम पर अपने पद और प्रभाव का दुरूपयोग किया और छत्तीसगढ़ सरकार से तीन करोड़ रुपए का अनुदान हासिल किया. लेकिन अनुदान राशि से चिकित्सीय सुविधा के बजाय बैंक का कर्ज अदा करके वित्तीय अनियमितता की गई. साथ ही चेरिटेबल ट्रस्ट का संचालन निजी लाभ के लिए किया जाता रहा.

मानिक मेहता की शिकायत के बाद ईओडब्ल्यू ने भी अपने प्रारंभिक जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर निलंबित आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता, एमजीएम के मुख्य ट्रस्टी जयदेव गुप्ता और डायरेक्टर डॉ. दीपशिखा अग्रवाल के विरूद्ध भादवि की धारा 420, 406, 120 (बी) तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज किया था.