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फिर विवादों में घिरे छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार: डॉ राकेश गुप्ता ने नियम विरुद्ध निलंबन पर जताया विरोध

रायपुर। छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल हमेशा की तरह फिर से विवाद के घेरे में है। इस बार छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार पर नियम विरुद्ध कार्रवाई करने का आरोप लगाया गया है। आरोप लगाते हुए कहा गया है कि रजिस्ट्रार अश्विनी ने नियमों का उल्लंघन करते हुए बदले की भावना से प्रेरित होकर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के पदेन सदस्य डॉ. राकेश गुप्ता की सदस्यता समाप्त की है।

जिस नियम का दिया हवाला है, उसी नियम की उड़ाई गई धज्जियां

डॉ राकेश गुप्ता का आरोप है कि फार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार ने जिस नियम का हवाला दिया है, उसी नियम की धज्जियां उड़ाई गई हैं। उन्होंने फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों का उल्लेख किया, जिसमें यह स्पष्ट रूप से लिखा है कि किसी भी निर्वाचित या मनोनीत सदस्य की सदस्यता काउंसिल के सदन द्वारा ही समाप्त की जा सकती है। हालांकि, रजिस्ट्रार अश्विनी गुर्देकर ने अध्यक्ष अरुण मिश्रा के कहने पर डॉ. राकेश गुप्ता की सदस्यता समाप्त कर दी।

कार्रवाई पत्र में दिए तर्क ग़लत, काउंसिल के निर्वाचित सदस्य ने पूछा सवाल ?

बता दें कि रजिस्ट्रार अश्विनी गुर्देकर ने अपने पत्र में यह तर्क दिया कि डॉ. राकेश गुप्ता लगातार तीन आमसभाओं में बिना पूर्व सूचना के अनुपस्थित थे, जिसके चलते उनकी सदस्यता फार्मेसी एक्ट 1948 की धारा 25(3) के अनुसार समाप्त की गई। हालांकि, इस धारा में स्पष्ट रूप से लिखा है कि यदि कोई सदस्य तीन बार अनुपस्थित रहता है तो इस पर काउंसिल के सदस्यों के साथ चर्चा की जाएगी और बहुमत से निर्णय लिया जाएगा। इसके बाद ही सदस्यता समाप्त की जा सकती है, जो कि यहां नहीं किया गया।

क्या है इस कार्रवाई की वजह ?

डॉ. राकेश गुप्ता ने आरोप लगाया कि उन्होंने फार्मेसी काउंसिल में अध्यक्ष और रजिस्ट्रार द्वारा की गई अनियमितताओं की शिकायत की थी। इसके बाद रजिस्ट्रार अश्विनी गुर्देकर ने बदले की भावना से एकतरफा कार्रवाई की। उनका कहना है कि काउंसिल के अधिकारी और रजिस्ट्रार मिलकर अनियमितताओं और वित्तीय भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। इस बारे में शिकायतें सबूत सहित मंत्री और सचिव स्तर तक की गई हैं।

डॉ. राकेश गुप्ता ने यह भी कहा कि बिना सदन की बैठक बुलाए सदस्य की सदस्यता समाप्त करना प्रमाणित भ्रष्टाचार है। वे यह भी कहते हैं कि फार्मेसी काउंसिल के भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंका जाएगा।

रजिस्ट्रार ने नहीं उठाया कॉल

गौरतलब है कि काउंसिल में कार्यरत कर्मचारी अनिरुद्ध मिश्रा के फर्जी डिग्री के मामले में रजिस्ट्रार अश्विनी गुर्देकर ने FIR दर्ज कराने की सहमति दी थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके अलावा, फर्जी रजिस्ट्रेशन के मामले में भी रजिस्ट्रार ने FIR दर्ज करने की सहमति दी थी, लेकिन रजिस्ट्रार बनने के बाद कोई कदम नहीं उठाया गया। रजिस्ट्रार द्वारा की गई कार्रवाई को लेकर उठाए जा रहे सवालों का जवाब लेने के लिए रजिस्ट्रार अश्वनी गुर्देकर को कई बार कॉल किया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।