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विकसित भारत के सपने को साकार करने में युवाओं की है महत्वपूर्ण भूमिका: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

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ShivJan 21, 20253 min read

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छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष के खिलाफ हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस, जानिए क्या है मामला

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ShivJan 21, 20251 min read

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अमर शहीद हेमू कालाणी की प्रतिमा पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया माल्यार्पण

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January 22, 2025

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छत्तीसगढ़ फार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार पर अवैध भत्ता लेने के आरोप, सदस्यों ने की बर्खास्तगी की मांग, स्वास्थ्य मंत्री ने कही यह बात…

रायपुर। आईपीए और छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल के सदस्यों समेत पूर्व सदस्यों ने रजिस्ट्रार पर अवैध रूप से भत्ते लेने के आरोप लगाए हैं. सदस्यों का आरोप है कि नियमों को ठेंगा दिखाते हुए वर्तमान रजिस्ट्रार अश्वनी गुर्देकर लगभग 70 हजार रुपए मानदेय और वाहन भत्ता ले रहे हैं. इसके साथ ही रजिस्ट्रार को पद से बर्खास्त करने की मांग की है.

नियमों के उल्लंघन का आरोप

आईपीए और काउंसिल के वर्तमान और पूर्व सदस्यों ने काउंसिल के रजिस्ट्रार अश्वनी गुर्देकर पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे काउंसिल को लूट रहे हैं. नियमानुसार भत्ता और मानदेय लेने का प्रावधान नहीं है, लेकिन इसके बावजूद भी रजिस्ट्रार 20 हजार रुपए मानदेय ले रहे हैं और लगभग 52 हजार रुपए वाहन भत्ता के लिए खर्च किया जा रहा है. इसके साथ ही सदस्यों ने कहा कि तृतीय वर्ग कर्मचारी को नियमों के खिलाफ रजिस्ट्रार बनाया गया है, जो कि DDO पावर के लिए अयोग्य है.

वहीं इस मामले में काउंसिल के अध्यक्ष अरुण कुमार मिश्रा ने कहा कि काउंसिल के नियम कानून बनाना आसान नहीं है, यह सदन में तय होता है. दूसरी ओर उन्होंने यह भी कहा कि सैलरी और भत्ता का प्रावधान काउंसिल में किया गया है. मध्यप्रदेश संचालित बायलॉज (उपनियम) छत्तीसगढ़ में भी लागू है.

स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया

काउंसिल के मनोनीत सदस्य डॉक्टर राकेश गुप्ता ने इस मामले में कहा कि उपनियम (Bylaws) बदलाव में इसके लिए स्वास्थ्य संचालक और स्वास्थ्य सचिव की सहमति नहीं मिली है, सीधा-सीधा इसमें गबन का मामला बनता है. इस मामले में कार्रवाई होनी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पूर्व के रजिस्ट्रार संविदा कर्मचारी थे, उन्होंने भी तमाम फायदे लिए, इसमें भी कार्रवाई होनी चाहिए.

स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल ने कहा- बायलॉज में कोई संशोधन नहीं हुआ

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने इस मामले में कहा कि बायलॉज (Bylaws) में कोई संशोधन नहीं हुआ है और न ही राज्य सरकार की ओर से कोई राजपत्र में संसोधन जारी हुआ है.

स्वास्थ्य सचिव मनोज पिंगवा ने बताया कि यह मामला संज्ञान में आया है. मामले में जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी. ना कोई राजपत्र में संशोधन हुआ है ना ही कोई नया नियम बनाया गया है.

काउंसिल के फैसले से मिल रहा फायदा

वहीं इस पूरे मामले को लेकर रजिस्ट्रार अश्वनी गुर्देकर ने कहा मैंने मांग नहीं की है. भत्ता और मानदेय का फायदा मुझे मिल रहा है, यह काउंसिल का फैसला है.

देखें भत्ते को लेकर क्या कहते हैं नियम: