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मध्यप्रदेश में निवेश का यही समय है और सही समय : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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ShivFeb 24, 202512 min read

भोपाल।    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकसित मध्यप्रदेश से विकसित…

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उद्योगपतियों से की वन-टू-वन चर्चा

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ShivFeb 24, 20252 min read

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के पहले…

शराब घोटाला: ED की विशेष कोर्ट ने डिस्टलरी को आरोपी बनाने ढेबर की याचिका की स्वीकार, 8 कंपनियों को बनाया आरोपी

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ShivFeb 24, 20252 min read

रायपुर। छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में डिस्टलरी (शराब निर्माताओं)…

दर्दनाक हादसा : बाइक सवारों को कार ने मारी टक्कर, फिर हाइवा की चपेट में आने से एक युवक की मौत, दूसरा घायल

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ShivFeb 24, 20251 min read

जांजगीर-चाम्पा।  छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में दर्दनाक हादसे में दो युवकों…

सीजीएसटी में रिश्वतखोरी मामला : अधीक्षक और ड्राइवर की 28 फरवरी तक बढ़ी रिमांड, CBI नए आरोपियों की कर रही तलाश

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ShivFeb 24, 20252 min read

रायपुर। सेंट्रल जीएसटी (सीजीएसटी) अधीक्षक भरत सिंह और ड्राइवर विनय राय…

February 24, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

क्षेत्रीय कैंसर संस्थान ने रचा इतिहास: डॉक्टरों ने पाइपेक पद्धति से किया पेट की झिल्ली के कैंसर का सफल उपचार, ओडिशा की महिला को मिला नया जीवन

रायपुर।  प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में स्वास्थ्य सुविधाओं का लगातार सशक्तिकरण हो रहा है। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के अथक प्रयासों से राज्य की जनता को सहज और सर्वसुलभ स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल रहा है। वहीं नित नये वैज्ञानिक शोध, परीक्षण और निष्कर्ष पर आधारित आधुनिक चिकित्सा प्रणाली की मदद से आज मनुष्य कई गंभीर बीमारी से ठीक होकर निकल रहे हैं। डॉक्टरों की उपचार प्रक्रिया और मरीज की सकारात्मक सोच की बदौलत कैंसर जैसे असाध्य रोग भी अब साध्य हो चले हैं। इसी क्रम में हाल ही में पं. जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित क्षेत्रीय कैंसर संस्थान के आंकोसर्जरी (कैंसर सर्जरी) विभाग के डॉक्टरों की टीम ने पेट की झिल्ली के (पेरिटोनियम) कैंसर से पीड़ित महिला का उपचार पाइपेक (PIPAC) पद्धति से कर महिला के बहुमूल्य जीवन को बचाने में अपनी अहम भूमिका निभाई है। संभवतः मध्य भारत के किसी भी शासकीय कैंसर अस्पताल में इस पद्धति से पहली बार इलाज कर डॉक्टरों ने मरीज के पेट की झिल्ली के कैंसर का इलाज किया है। पाइपेक यानी प्रेशराइज्ड इंट्रापेरिटोनियल एरोसोलाइज़्ड कीमोथेरेपी, कैंसर बीमारी में दी जाने वाली कीमोथेरेपी का ही एक प्रकार है। यह उदर गुहा में दबाव के साथ कीमोथेरेपी को पहुंचाती है जिससे कैंसर कोशिकाओं को फैलने से रोकने में मदद मिलती है। कैंसर सर्जन डॉ.(प्रो.) आशुतोष गुप्ता के नेतृत्व में लेप्रोस्कोपिक विधि से न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया के अंतर्गत किये गये इस उपचार विधि में कीमोथेरेपी को एक मशीन के जरिये एरोसोल के रूप में दिया जाता है जिससे कैंसर उत्तकों में दवा का प्रभाव ज्यादा होता है और कैंसर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। ओड़िशा की रहने वाली 54 वर्षीय महिला मरीज को उपचार के पांच दिन बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था। उपचार के बाद वह अब ठीक है और फॉलोअप के लिए आ रही है।

पाइपेक एक लेप्रोस्कोपिक प्रक्रिया है। इसका मतलब है कि डॉक्टर मरीज के पेट में एक या दो छोटे छेद करके इस प्रक्रिया को पूरी करते हैं जिन्हें एक्सेस पोर्ट भी कहा जाता है।

क्षेत्रीय कैंसर संस्थान के संचालक एवं पं. नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. विवेक चौधरी ने पहली बार इस नये विधि से किये गये सफल उपचार के लिए कैंसर सर्जरी विभाग की पूरी टीम को बधाई दी है। साथ ही उन्होंने कहा है कि यह एक सुरक्षित और प्रभावी उपचार प्रक्रिया है जो कीमोथेरेपी के प्रभाव को बढ़ाता है। कोलोरेक्टल कैंसर, डिम्बग्रंथि का कैंसर और गैस्ट्रिक कैंसर जैसे कैंसर बीमारियों में कीमोथेरेपी के नये विकल्प के रूप में इसे अपनाया जा सकता है। प्रयास करेंगे कि भविष्य में कैंसर के अन्य मरीजों को भी इस उपचार सुविधा का लाभ मिल सके।

अम्बेडकर अस्पताल अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने कहा कि अम्बेडकर अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा मरीजों के उपचार हेतु किये जा रहे निष्ठापूर्ण प्रयासों ने लोगों का विश्वास इस संस्था के प्रति सदा से ही बनाये रखा है।

कैंसर सर्जन डॉ. आशुतोष गुप्ता के अनुसार, प्रेशराइज्ड इंट्रापेरिटोनियल एरोसोलाइज़्ड कीमोथेरेपी एक तकनीक है जो दबाव के तहत एरोसोल के रूप में उदर गुहा में कीमोथेरेपी को पहुंचाती है। एरोसोल दो शब्दों से मिलकर बना है। एयरो यानी विशेष हवा और सोल अर्थात् द्रव में अत्यंत छोटे कणों के रूप में पदार्थ का मिश्रण। दबावयुक्त एरोसोल पूरे पेट में कीमोथेरेपी को समान रूप से वितरित करता है। एडवांस पेरिटोनियम कैंसर, जीआई कैंसर और एडवांस ओविरयन कैंसर जैसी बीमारियों में उपचार की इस नई प्रक्रिया के कई संभावित लाभ हो सकते हैं। कीमोथेरेपी की उच्च सांद्रता के कारण कैंसर कोशिकाओं से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है और अन्य अंगों को नुकसान कम होता है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण जैसे मतली, उल्टी, कब्ज, दस्त और भूख न लगना जैसी स्थितियां कम होती हैं। लीवर और किडनी जैसे अंगों को कम नुकसान होता है।

ऐसे संपन्न की जाती है प्रक्रिया

डॉ. आशुतोष गुप्ता ने बताया कि सबसे पहले प्रक्रिया के लिए एक्सेस पोर्ट बनाते हैं फिर पेरिटोनियम (पेट की परत वाली झिल्ली) को फुलाने के लिए पोर्ट का उपयोग करते हैं। एक एक्सेस पोर्ट में दबावयुक्त कीमोथेरेपी देने वाला उपकरण डालते हैं। दबावयुक्त एरोसोल कीमोथेरेपी को लगभग 30 मिनट तक पेरिटोनियम के भीतर दिया जाता है। इसके बाद मरीज के पेट से सभी उपकरणों को बाहर निकाल देते हैं और छोटे छेद/चीरे को बंद कर देते हैं। उपचार करने वाली टीम में कैंसर सर्जन डॉ. आशुतोष गुप्ता के साथ डॉ. किशन सोनी, डॉ. राजीव जैन, डॉ. गुंजन अग्रवाल और एनेस्थीसिया से डॉ. शशांक शामिल रहे।