Special Story

बकरीद से पहले वक्फ बोर्ड अध्यक्ष सलीम राज ने मुस्लिम समुदाय से की यह अपील…

बकरीद से पहले वक्फ बोर्ड अध्यक्ष सलीम राज ने मुस्लिम समुदाय से की यह अपील…

ShivJun 6, 20251 min read

रायपुर। मुस्लिम समुदाय 7 जून को बकरीद मनाने जा रहा…

युक्तियुक्तकरण में लापरवाही BEO को पड़ी महंगी, कलेक्टर ने जताई नाराज़गी, किया निलंबित

युक्तियुक्तकरण में लापरवाही BEO को पड़ी महंगी, कलेक्टर ने जताई नाराज़गी, किया निलंबित

ShivJun 6, 20251 min read

रायपुर।    शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण आदेश अफसरों की गले की…

राशन दुकानों में खराब चावल की हो रही आपूर्ति, संचालक लौटाने को मजबूर

राशन दुकानों में खराब चावल की हो रही आपूर्ति, संचालक लौटाने को मजबूर

ShivJun 6, 20252 min read

बलरामपुर। बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर के शासकीय उचित मूल्य दुकानों…

हाइटेंशन तार की चपेट में आया बुजुर्ग, मौके पर हुई मौत…

हाइटेंशन तार की चपेट में आया बुजुर्ग, मौके पर हुई मौत…

ShivJun 6, 20251 min read

धमतरी। सिहावा थाना क्षेत्र में आज सुबह एक वृद्ध की…

June 6, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का व्यक्तित्व निर्माण के साथ सेवा कार्यों पर विशेष आग्रह

रायपुर।   राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूजनीय सरसंघचालक छत्तीसगढ़ प्रवास पर हैं. 28 दिसंबर को उन्होंने विभिन्न संगठनात्मक विषयों पर कार्यकर्ताओं व अधिकारियों के साथ चर्चा की. इस दौरान पूजनीय सरसंघचालक ने सेवा कार्यों पर कार्यकर्ताओं व अधिकारियों का मार्गदर्शन किया. छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व विचार परिवार द्वारा समाज के सहयोग से अनेक सेवा प्रकल्प संचालित किए जा रहे हैं.

सर्व धर्म समा वृत्तिः सर्व जाति समा मतिः. सर्व सेवा परानीति रीतिः संघस्य पद्धति.

अर्थात सभी धर्मों के साथ समान वृत्ति सभी जातियों के साथ समानता की मति बुद्धि, सभी लोगों के साथ परायणता का व्यवहार संघ की पद्धति है. सेवा को मानवता का धर्म भी कहा जाता है.
हमारे धर्म गंर्थों में सेवा के अनुकरणीय उदाहरण प्राप्त होते हैं. सेवा धर्म है, मेरे जीवन से सभी का जीवन सुखी हो, निरामय हो, मनुष्य की यही कल्पना होना चाहिये. यह हमारी प्राचीन परंपरा का आख्यान है. अपने साथ सबको सुखी, सुरक्षित बनाना ही मानव धर्म है. यदि केवल अपने हित की चिंता की तो वह धर्म नहीं है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के मूल में भी सेवा का भाव प्रमुख है. आद्य सरसंघचालक पूजनीय डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी के मन में देश की दुर्दशा को देख पीड़ा थी, यही कारण रहा कि संघ अपने जन्म के साथ ही सेवा रूप लेकर आया है. 1925 में संघ की स्थापना हुई थी. मार्च 1926 में राम नवमी के अवसर पर निकलने वाली यात्रा में स्वयंसेवकों ने सेवा की थी. यह आत्मीयता की भावना ही थी, हमारा सबके साथ आत्मीयता का रिश्ता है. स्वयंसेवक अपने आस पास के लोगों के दुख, दारिद्रय, अभाव को दूर करने के लिये प्रयास करें.

छत्तीसगढ़ में चल रहे सेवा के अनेक प्रकल्प

छत्तीसगढ़ में सिर्फ सेवा भारती द्वारा ही 99 सेवा प्रकल्प संचालित किए जा रहे हैं. इनमें रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, अंबिकापुर, दुर्ग, राजनांदगांव, जगदलपुर में संचालित मातृछाया प्रमुख हैं. यहां ऐसे बच्चों को आश्रय दिया जाता है, जिनके माता-पिता नहीं हैं या जिन्हें परित्यक्त कर दिया गया है. इन बच्चों के भोजन, कपड़े, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा व मनोरंजन की उत्कृष्ट व्यवस्था मातृछाया में समाज के सहयोग से प्रदान की जाती है. इसके साथ ही 7 अलग-अलग स्थानों पर कन्या छात्रावास तथा 2 स्थान पर आश्रय गृह संचालित किए जा रहे हैं. छत्तीसगढ़ प्रांत में 59 संस्कार केंद्र भी संचालित हो रहे हैं. इन संस्कार केंद्रों में बच्चों को स्वच्छता, श्रेष्ठ आचरण, राष्ट्र भक्ति, भोजन मंत्र के साथ सामूहिकता आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है. सेवा भारती द्वारा प्रांत में 11 किशोरी विकास केंद्र भी संचालित हो रहे हैं. इसी तरह अंग्रेजी माध्यम स्कूल, सिलाई केंद्र, कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र, स्वास्थ्य पैथलैब एवं पॉलीक्लिनिक का संचालन भी अलग-अलग स्थान पर हो रहा है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता शाखा के माध्यम से भी समाज के सहयोग से सेवा कार्य संचालित करता हैं. सेवा शिक्षण कार्य को पांच उपक्रमों में विभाजित किया गया है…

1.सेवा संस्कार-1

इनमें साप्ताहिक सेवा दिवस पर सुभाषित, अमृतवचन, गीत का अभ्यास शाखाओं में कराया जाता है.

2. सेवा संस्कार-2
इसी तरह सेवा कार्य व प्रकल्प की जानकारी, सेवा कथा, महापुरुषों के जीवन का स्मरण, अनुभव कथन, व शाखा में बौद्धिक चर्चा होती है.

3. सेवा बस्ती संपर्क
शाखा के माध्यम से सेवा बस्ती संपर्क कार्यक्रम भी संचालित होता है.

4. सेवा कार्य चलाने वाली शाखा
शाखा द्वारा दैनिक व साप्ताहिक स्थाई सेवा कार्य संचालित किए जाते हैं. रायपुर विभाग में ही ऐसे उपक्रम चलाने वाली शाखाओं की संख्या 61 है.

5. सेवा उपक्रमशील शाखा
ऐसी शाखाओं को शामिल किया जाता है, जो साल में न्यूनतम दो सेवा उपक्रम अवश्य करती हों. रायपुर में ऐसी शाखाओं की संख्या 54 है, जबकि रायगढ़ में 82 व दुर्ग में 77 है. (आरोग्य शिविर, शिक्षा उपयोगी साहित्य वितरण, बस्ती में सहभोज, महापुरुष पुण्यस्मरण, भजन आदि)