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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री आनंद सर मंदिर परिसर में दर्शन कर सरोवर में पुष्प अर्पित किए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री आनंद सर मंदिर परिसर में दर्शन कर सरोवर में पुष्प अर्पित किए

ShivApr 11, 20252 min read

भोपाल।    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को श्री आनंदपुर धाम…

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उन्नत और समृद्ध रही है प्राचीन भारतीय वास्तुकला : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

ShivApr 11, 20253 min read

भोपाल।   मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्राचीनकाल…

संत, महात्मा ज्ञान और सन्मार्ग के हैं प्रेरणा पुंज : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

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ShivApr 11, 20253 min read

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश सरकार…

शिक्षा ही है विकास का मूलमंत्र- मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

शिक्षा ही है विकास का मूलमंत्र- मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

ShivApr 11, 20254 min read

रायपुर।   शिक्षा ही विकास का मूलमंत्र है। शिक्षा के बिना…

April 11, 2025

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नाबालिग साली के साथ दुष्कर्म, हाईकोर्ट ने आरोपी जीजा को सुनाई 20 साल की सजा

बिलासपुर।  हाईकोर्ट ने 13 साल की नाबालिग साली के साथ दुष्कर्म करने वाले जीजा को 20 साल कैद की सजा सुनाई है। मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि न होने के बावजूद पीड़िता और गवाहों के बयान के आधार पर यह सजा सुनाई गई है। मामला 2023 का खैरागढ़ का है। मामले में सुनवाई चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में हुई।

बता दें कि घटना के दिन पीड़िता घर के बाहर अपने भाई के साथ खेल रही थी। तभी पड़ोस में रहने वाला (पीड़िता के मौसी का दामाद) उसे बहला फुसला कर अपने घर लेकर चला गया, जहां पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया। पूरी रात खोजने के बाद पीड़िता अपने मां, पापा को आरोपी के घर से बरामद हुई। उसने बताया कि आरोपी ने उसके साथ गलत हरकत की है। इस बात की जानकारी लगते ही पीड़िता के मां-बाप ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।

पीड़िता ने पुलिस वालों को अपने बयान में बताया कि उसके साथ दो बार दुष्कर्म हुआ। पुलिस ने मामले में आरोपी के खिलाफ पॉक्सो के तहत अपराध दर्ज किया। हालांकि मेडिकल जांच में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई। मामले में सुनवाई के बाद पीड़िता और गवाहों के बयान के आधार पर निचली अदालत ने आरोपी को जीवित रहते तक कठोर कारावास की सजा सुनाई। इसके खिलाफ आरोपी ने हाइकोर्ट में अपील की। मामले की सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट ने माना कि दुष्कर्म के मामले में 16 साल से कम आयु की पीड़िता का बयान ही अपने आप में सबूत है। हालांकि निचली अदालत के फैसले को संशोधित करते हुए हाइकोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा को घटाकर 20 साल की कैद में बदल दिया।