Special Story

ड्रंक एंड ड्राइव करने वाले वाहन चालकों पर रायपुर पुलिस द्वारा की जा रही सख्त कार्यवाही

ड्रंक एंड ड्राइव करने वाले वाहन चालकों पर रायपुर पुलिस द्वारा की जा रही सख्त कार्यवाही

ShivJun 9, 20252 min read

रायपुर। पुलिस उप महानिरीक्षक एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रायपुर डॉ.…

अंबेडकर की प्रतिमा पर असामाजिक तत्वों ने पोती मिट्टी, मचा बवाल

अंबेडकर की प्रतिमा पर असामाजिक तत्वों ने पोती मिट्टी, मचा बवाल

ShivJun 9, 20252 min read

रायगढ़। चक्रधर नगर थाने और कलेक्ट्रेट करीब अंबेडकर चौक में…

प्रदेश में नशीली दवाओं के खिलाफ चल रही मुहिम तेज, 25 मेडिकल स्टोरों की लाइसेंस निरस्त…

प्रदेश में नशीली दवाओं के खिलाफ चल रही मुहिम तेज, 25 मेडिकल स्टोरों की लाइसेंस निरस्त…

ShivJun 9, 20252 min read

रायपुर। प्रदेश में नशीली दवाइयों के अवैध व्यापार पर अंकुश लगाने…

dummy-img

भव्य एवं धूमधाम से मनाया जायेगा “रथयात्रा महोत्सव” : पुरन्दर मिश्रा

ShivJun 9, 20251 min read

रायपुर। प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी राजधानी रायपुर…

June 9, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

परीक्षा के समय शिक्षकों की ट्रेनिंग पर उठे सवाल: समग्र शिक्षा विभाग पर बंदरबांट के आरोप, शिक्षाविदों ने कहा- बच्चों की चिंता थी तो पहले क्यों नहीं दिया गया प्रशिक्षण

रायपुर। समग्र शिक्षा के व्यावसायिक शिक्षा के नाम पर बंदरबांट जारी है। कभी ठेका कंपनियों को अतिरिक्त भुगतान किया जाता है, तो कभी अधिकारी बच्चों के नाम पर अपनी जेब भरते पाए जाते हैं। ताजा मामला परीक्षा के समय शिक्षकों के पढ़ाई स्किल प्रशिक्षण का है, जिसे लेकर शिक्षकों और विशेषज्ञों ने आपत्ति जताई है। आरोप है कि वित्तीय वर्ष समाप्ति से पहले निर्धारित फंड के खर्च को लेकर आनन-फानन में इस प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है। सवाल यह उठ रहा है कि यदि विभाग को शिक्षकों और बच्चों की चिंता थी तो यह प्रशिक्षण सत्र के शुरुआती दौर में या बीच में क्यों नहीं कराया गया?

व्यावसायिक शिक्षकों में भय का माहौल

शिक्षकों का कहना है कि इस प्रशिक्षण को रोकना ही विद्यार्थियों के हित में होगा, क्योंकि यह परीक्षा का समय है। नाम न छापने की शर्त पर एक शिक्षक ने बताया, “बच्चों को परीक्षा के लिए तैयार करें या खुद प्रशिक्षण में जाएं? हमें ट्रेनिंग से समस्या नहीं है, लेकिन इसका समय बिल्कुल गलत है। गर्मी की छुट्टियां भी आने वाली हैं, ऐसे में इसका लाभ न शिक्षकों को मिलेगा और न ही विद्यार्थियों को।”

शिक्षकों का आरोप है कि विभागीय अधिकारियों और राज्य समन्वयकों का इतना दबदबा है कि शिक्षक खुलकर इस विषय पर बात करने से डर रहे हैं। उनका मानना है कि नाम उजागर होते ही प्रताड़ित किया जा सकता है या नौकरी पर खतरा मंडरा सकता है।

ट्रेनिंग ज़रूरी, लेकिन समय गलत!

शिक्षाविदों ने भी इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह प्रशिक्षण आवश्यक तो है, लेकिन इसका समय उचित नहीं है। उनका मानना है कि परीक्षा के समय यह प्रशिक्षण आयोजित करने से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होगी और सरकारी फंड का गलत इस्तेमाल होगा।

“यदि प्रशिक्षण इतना ही आवश्यक था तो इसे स्कूल खुलने से पहले या सत्र के शुरुआती दिनों में आयोजित किया जाना चाहिए था। इस समय आयोजित करने का कोई औचित्य नहीं दिखता, बल्कि यह सरकार के धन के दुरुपयोग जैसा प्रतीत होता है।”

जब विभाग में व्यवस्था है तो बाहर आयोजन क्यों?

शिक्षकों ने सवाल उठाया कि जिस बिल्डिंग में समग्र शिक्षा का कार्यालय है, उसमें 4-5 कार्यशाला हॉल पहले से उपलब्ध हैं। वहाँ बड़े टीवी, प्रोजेक्टर, साउंड सिस्टम और अन्य तकनीकी सुविधाएं हैं, जहाँ केंद्र सरकार के कार्यक्रम और प्रशिक्षण होते हैं। ऐसे में 40-50 किलोमीटर दूर जाकर प्रशिक्षण कराने की क्या जरूरत थी?

इस मामले को लेकर अधिकारियों ने क्या कहा ?

समग्र शिक्षा के अतिरिक्त संचालक के. कुमार ने सफाई देते हुए कहा, “व्यावसायिक शिक्षकों के लिए आठ ट्रेड में पाँच दिनों का प्रशिक्षण निर्धारित किया गया है। 7 मार्च से 11 अप्रैल तक यह प्रशिक्षण चलेगा और इसमें 1,200 से अधिक शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाएगी। प्रशिक्षण केंद्र दूर रखने का कारण यह है कि उचित स्थान नहीं मिल सका, साथ ही चुनावी व्यस्तताओं के चलते पहले आयोजन संभव नहीं हो पाया।”

हालांकि, शिक्षकों और विशेषज्ञों का मानना है कि यह तर्क केवल बहानेबाजी है और असल मुद्दा वित्तीय वर्ष के अंत में फंड खर्च करने का है। अब देखना होगा कि सरकार इस मामले में क्या रुख अपनाती है।