मूलभूत समस्याओं को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे जनप्रतिनिधि

गरियाबंद। क्षेत्रीय मूलभूत समस्याओं के निराकरण की मांग को लेकर दो जिला पंचायत सदस्य लोकेश्वरी नेताम और संजय नेताम एसडीएम दफ्तर के आगे भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। उनके समर्थन में दर्जनों गांव के ग्रामीण भी पहुंचे हैं। दोनों जनप्रतिनिधि अमलीपदर सुखा नाला पर अधूरे पुल को पूरा करने, सलफ जलाशय की मंजूरी, वन ग्राम इलाके में विद्युतीकरण, क्षेत्र में पुल-पुलिया निर्माण, शिक्षक व डॉक्टरों के रिक्त पदों पर पूर्ति के अलावा स्कूल, अस्पताल भवन के निर्माण और मरम्मत की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

एसडीएम ने दिखाए कामों के दस्तावेज
सुशासन तिहार में समस्याओं को खत्म करने के सरकारी दावे के बीच हो रहे प्रदर्शन से प्रशासन भी सकते में आ गया है। प्रदर्शन को खत्म करने एसडीएम पंकज डाहरे और एसडीओपी विकास पाटले धरना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने मंजूर हो चुके कार्यों के दस्तावेज भी दिखाए। एसडीएम पंकज डाहरे ने कहा कि जितनी मांगे की गई है इसमें से ज्यादातर में शासकीय प्रक्रिया जारी है। कुछ मांगे हैं, जिन्हें शासन स्तर पर अवगत कराया गया है। प्रदर्शन खत्म हो इसके लिए प्रयास जारी है।
जिन गांव से बिजली का तार गुजरा वहां अब भी अंधेरा : लोकेश्वरी नेताम
जिला पंचायत सदस्य लोकेश्वरी नेताम ने कहा कि मेरे निर्वाचित क्षेत्र बूढ़गेलटप्पा गांव से होकर 132 केवी बिजली का तार गुजरा है, लेकिन गांव में बिजली नहीं पहुंची है। जुगाड़ थाने के कैंप में बिजली है पर गांव में नहीं है। गोना क्षेत्र के 10 से ज्यादा गांव ऐसे हैं जहां विधानसभा चुनाव के समय बिजली खंभा उतारा गया। बताया गया कि अब बिजली लगाए जा रहे, लेकिन दर्जनों गांव में अब भी अंधेरा है। मूलभूत समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों की तकलीफ ग्रामीण और उनके संपर्क में रहने वाले हम लोग समझ सकते हैं। अब कोई छलावा नहीं सहेंगे। जब तक काम धरातल में नहीं दिखेगा भूख हड़ताल जारी रहेगा।
पुल-पुलिया नहीं होने से ग्रामीणों को होती है परेशानी : संजय नेताम
जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम ने कहा कि जो कार्यवाही सूची प्रशासन दिखा रही है वो बहुत पुरानी है। जिस स्थिति में आदेश निर्देश और टेंडर की प्रकिया हुई थी, आज भी वही है। क्षेत्र में पुल-पुलिया के अभाव में बारिश के सीजन में 50 से 60 गांव के ग्रामीणों का जीना दूभर हो जाता है। स्कूल और आश्रम भवन जर्जर पड़े हैं। मांग और फिर आश्वासन यह लंबे समय से चला आ रहा। जमीनी स्तर पर काम नहीं दिख रहा। प्रशासन अब अब केवल काम होता दिखाएगा तब जाकर भूख हड़ताल खत्म करेंगे।