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नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव 2025: कांग्रेस ने प्रदेश स्तरीय कंट्रोल रूम का किया गठन, जानिए किसे मिली क्या जिम्मेदारी

नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव 2025: कांग्रेस ने प्रदेश स्तरीय कंट्रोल रूम का किया गठन, जानिए किसे मिली क्या जिम्मेदारी

ShivJan 20, 20251 min read

रायपुर। छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियों…

January 21, 2025

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छत्तीसगढ़ में महंगी बिजली का विरोध : विद्युत नियामक आयोग ने जारी किया आंकड़ा, कहा- छूट से हुआ था अरबों का गड़बड़झाला

रायपुर। छत्तीसगढ़ में बढ़े हुए बिजली बिल के खिलाफ स्टील उद्योंगों ने उत्पादन बंद कर दिया है. 29 जुलाई से लगभग 150 मिनी स्‍टील प्‍लांट और 50 अन्‍य स्पंज आयरन प्लांट में ताला लटका हुआ है. वहीं स्टील प्लांट के इस बड़े प्रदर्शन से प्रदेश में सियासत भी गरमा गई है. सत्ता पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. इस बीच राज्य विद्युत नियामक आयोग ने पिछले चार साल के खपत आधारित ऊर्जा प्रभार में छूट पर हुई बढ़ोतरी का आंकड़ा जारी किया है.

विद्युत नियामक आयोग के जारी आंकड़े के मुताबिक, छत्तीसगढ़ के उच्चदाब स्टील उद्योगों को 4 वर्ष पहले अचानक खपत आधारित ऊर्जा प्रभार में दी जाने वाली छूट 8 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दी गई थी, जिससे इन उद्योगों को एकदम से 68 प्रतिशत का लाभ मिलने लगा था. वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा अज्ञात कारणों से आश्चर्यजनक रूप से अचानक बढ़ाई गई छूट को ही न्यायोचित रूप से कम किया गया है. इससे उच्चदाब स्टील उद्योगों को मिलने वाला अतिरिक्त फायदा कम हो गया है.

पूर्व में वर्ष 2021-22 में टैरिफ आदेश जारी करते समय लोड फैक्टर छूट अधिकतम 8 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया था, जबकि पॉवर कंपनी द्वारा इस प्रकार का कोई भी प्रस्ताव नियामक आयोग को नहीं भेजा गया था. इस तरह विगत माह छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा की गई तार्किक कार्यवाही के बावजूद लोड फैक्टर पर मिलने वाली अधिकतम छूट (पॉवर फैक्टर इन्सेन्टिव ) को 25 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत किया गया है.

बता दें कि वर्ष 2021-22 में जो अधिकतम छूट 8 प्रतिशत मिल रही थी उसकी तुलना में भी 2 प्रतिशत अधिक छूट इन उद्योगों को अभी मिल रही है जिससे किसी भी तरह से अनुचित नहीं कहा जा सकता 4 वर्ष पूर्व छूट की दर 8 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने के कारण इन उद्योगों को मिलने वाली औसतन वार्षिक छूट लगभग 300 करोड़ रूपये से बढ़कर लगभग 1100 करोड़ रूपये हो गई थी. इस तरह इन उद्योगों को लगभग 750 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष का अतिरिक्त लाभ दिया गया था.