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April 19, 2025

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सरकारी राशन दुकानों में हितग्राहियों को बांटा जा रहा खराब क्वालिटी का चावल

आरंग।    सार्वजनिक वितरण प्रणाली योजना में सरकारी राशन दुकानों पर गरीबों को दिए जाने वाले चावल में घोर लापरवाही सामने आई है. आरंग क्षेत्र के कई शासकीय राशन दुकानों में बेहद ही खराब चावल बांटा जा रहा है. खराब चावल लेने के लिए हितग्राही भी मजबूर हैं. क्षेत्र में खराब चावल वितरण करने के मामले में नागरिक आपूर्ति निगम की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं.

शिकायत के बाद आनन-फानन में बनाई जांच टीम

लगातार मामले की शिकायत मिलने के बाद स्थानीय प्रशासन हरकत में आया है. अनुविभागीय अधिकारी राजस्व ने इस पूरे मामले की जांच के लिए 04 सदस्यीय टीम गठित की है और 03 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने की बात कही है. आपको बता दें कि लगभग 01 – 02 माह से आरंग क्षेत्र के कई राशन दुकानों में बेहद ही खराब चावल बांटा गया है. चावल में कीड़े व कंकड़ पत्थर हैं. चावल की गुणवत्ता खाने योग्य भी नहीं है. आरंग क्षेत्र में 112 राशन दुकान है. इनमें कई ऐसे दुकान हैं, जहां पिछले दो माह तक खराब चावल का वितरण किया गया है.

नान केंद्र प्रभारी ने स्वीकारी गलती, कहा – खराब चावल बदला जाएगा

इस मामले में नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के आरंग केंद्र प्रभारी भरत पुरी गोस्वामी ने आरंग क्षेत्र के राशन दुकानों में खराब चावल वितरण होने की बात को स्वीकार किया है. उन्होंने कहा कि चावल 02 साल पुराने धान का है. आज से ही नया चावल वितरण किया जा रहा है. अधिकारियों के निर्देश के बाद जहां चावल खराब है वहां बदला जा रहा है. उन्होंने चावल वितरण होने के समय चावल की गुणवत्ता को नहीं देखने की गलती भी स्वीकार की है.

बड़ा सवाल – क्या जिम्मेदार ऐसे चावल खाना पसंद करेंगे?

अब यह सवाल उठ रहे कि भारतीय खाद्य निगम (FCI) और नागरिक आपूर्ति निगम (नान) को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सार्वजनिक वितरण केंद्रों में राशन कार्डधारी प्रदेश की जनता को गुणवत्तापूर्ण और पौष्टिक राशन पहुंचाने की जिम्मेदारी है, लेकिन ऐसे खराब स्तर के चावल का वितरण कर गरीब जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वालों के प्रति शासन की क्या जिम्मेदारी बनती है. क्या जनता को पौष्टिक और गुणवत्तापूर्ण चावल देने के लिए जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी ऐसे चावल को अपने परिवार के साथ बैठकर खाना पसंद करेंगे..? इस मामले में जांच टीम गठित होने के बाद देखने वाली बात है कि जांच सिर्फ खानापूर्ति के लिए होगी या गरीबों के हक और स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले दोषियों पर कार्रवाई होगी.