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टमाटर के दाम सस्ते होने से किसानों की बढ़ी मुश्किलें, सड़क में फेंके कई क्विंटल टमाटर…

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ShivFeb 24, 20253 min read

जशपुर।  छत्तीसगढ़ में टमाटर की खेती करने वाले किसान खून…

पूर्व आईएएस डॉ. संजय अलंग का JNU में व्याख्यान, छत्तीसगढ़ के इतिहास और संस्कृति पर है विशेषज्ञता

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ShivFeb 24, 20251 min read

रायपुर। छत्तीसगढ़ के इतिहास और संस्कृति के विशेषज्ञ पूर्व आईएएस डॉ.…

सड़क दुर्घटना में तीन युवकों में से एक की मौत, तो इधर धान से भरे ट्रक में लगी आग

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ShivFeb 24, 20252 min read

सक्ती/दुर्ग। छत्तीसगढ़ के सक्ति और दुर्ग जिले में रविवार को…

हार्डवेयर दुकान में लगी भीषण आग, 50 से 60 लाख रुपये का सामान जलकर खाक

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ShivFeb 24, 20251 min read

सरगुजा। अंबिकापुर में बीती रात एक हार्डवेयर और पेंट की…

February 24, 2025

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पीएम जनमन आवास योजना से ममता कमार की जिंदगी में आई नई खुशहाली

रायपुर।    बलौदाबाजार भाटापारा जिला के वनांचल ग्राम बल्दाकछार की निवासी ममता कमार और उनके पति पंच राम कमार को अब संघर्षों का सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि प्रधानमंत्री जनमन आवास योजना ने ममता कमार और उनके परिवार की जिंदगी में नई रोशनी ला दी है। इस योजना के तहत उन्हें पक्का मकान मिल गया है,जिससे अब उनके जीवन में स्थिरता और सुरक्षा की भावना पैदा हो गई है। अब, ममता और उनका परिवार एक सुरक्षित और मजबूत घर में रह रहा है, जहाँ वो और उनकी तीन बेटियाँ बिना किसी चिंता के अपने भविष्य की ओर बढ़ सकती हैं। श्रीमती कमार ने इस योजना के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस पक्के मकान ने उनके परिवार के जीवन को एक नई दिशा दी है और उनकी बेटियों के भविष्य के प्रति उन्हें आत्मविश्वास से भर दिया है।

वनांचल ग्राम बल्दाकछार का यह कमार परिवार का जीवन-यापन बांस के कार्य पर निर्भर है,जो एक पारंपरिक और श्रमसाध्य कार्य है। इस मेहनत के बावजूद, परिवार के लिए एक स्थायी और सुरक्षित छत का सपना अधूरा था। पहले वे एक कच्चे मकान में रहते थे,जहाँ मौसम की मार से बचना हमेशा एक चुनौती रहती थी। श्रीमती ममता और श्री पंचराम की तीन बेटियाँ हैं नंदनी कमार 10 साल की है जो चौथी कक्षा, निधि 7 साल है जो पहली कक्षा में पढ़ती है और उनकी सबसे छोटी बेटी लवली अभी 3 साल की ही है।

श्रीमती ममता ने बताया कि वह परंपरागत रूप से बांस शिल्प की कला कृति बनाकर एवं कृषि के समय कृषक मजदूरी का कार्य करके जीवकोपार्जन करती है। पहले वह आर्थिक तंगी के कारण बांस शिल्प बनाने के लिए बांस नहीं खरीद पाती थी पर अब उन्हें महतारी वंदन योजना से प्रतिमाह 1 हजार रूपये मिलते है, जिसका उपयोग वह बांस खरीदने में करती है। वह झेंझरी, सुपा, पर्रा, टुकनी सहित अन्य सजावटी वस्तुएं अधिक संख्या में बना पाती है, जिसे बेचकर उन्हें अच्छी खासी आमदनी मिल रही है, जिसमें बचत कर वो अपनी बेटियों को शिक्षित कर रही हैं।