Special Story

छत्तीसगढ़ में गैर संचारी रोग के ईलाज में आभा आईडी है वरदान

छत्तीसगढ़ में गैर संचारी रोग के ईलाज में आभा आईडी है वरदान

ShivApr 18, 20252 min read

रायपुर।    छत्तीसगढ़ राज्य में अब गैर संचारी रोग (नॉन-कम्युनिकेबल…

थाने से भागा अंतरराज्यीय तस्कर, SSP ने चार पुलिसकर्मियों को किया लाइन अटैच

थाने से भागा अंतरराज्यीय तस्कर, SSP ने चार पुलिसकर्मियों को किया लाइन अटैच

ShivApr 18, 20251 min read

रायपुर। हेरोइन चिट्टा की तस्करी के मामले में गिरफ्तार अंतर्राज्यीय…

April 18, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

बस्तर में पत्थलगढ़ी: आदिवासियों ने कहा- यहां ग्राम सभा ही सर्वोच्च, कांग्रेस ने किया समर्थन, सीएम साय बोले- संविधान से बड़ा कुछ नहीं…

जगदलपुर।    पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल के अंतिम दिनों में सरगुजा इलाके में गांवों की सीमा पर बड़े-बड़े पत्थरों पर ग्रामसभा के अधिकार दर्ज कर गाड़े जा रहे थे, जिन्हें पत्थरगढ़ी का नाम दिया गया था. इसके बाद कांग्रेस सरकार आई और चली गई, लेकिन अब भाजपा के फिर से सरकार में आने के बाद पत्थरगढ़ी नजर आने लगे हैं, लेकिन अबकी बार यह सरगुजा की बजाए बस्तर में हो रहा है. 

बस्तर के बास्तनार, दरभा और तोकापाल जैसे इलाकों में गांवों की सीमाओं पर बड़े-बड़े पत्थरों पर ग्रामसभा के अधिकार दर्ज कर गाड़े जा रहे हैं. ये पत्थर केवल चिन्ह नहीं हैं ये स्थानीय लोगों की चेतावनी हैं, उनके हक की घोषणा हैं, और एक सीधा संदेश हैं कि अब कोई भी फैसला उनकी मर्जी के बिना नहीं लिया जा सकेगा.

इन इलाकों के लोग पेसा कानून का हवाला दे रहे हैं. यह कानून जो पांचवीं अनुसूची के तहत आता है, आदिवासी क्षेत्रों को विशेष अधिकार देता है. इसके तहत ग्रामसभा को सर्वोच्च इकाई माना गया है. ग्रामवासी दावा कर रहे हैं कि उनकी ग्रामसभा किसी भी सरकार के नियम-कानून से बाध्य नहीं है, और कोई भी सरकारी या निजी योजना उनके क्षेत्र में बिना ग्रामसभा की सहमति के लागू नहीं की जा सकती.

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस पर कहा कि संविधान की व्यवस्था सबसे ऊपर है. हमें इसकी जानकारी मिली है, और इस पर बातचीत की जाएगी. हर चीज संविधान के तहत होगी. वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, जनता को भाजपा सरकार पर भरोसा है. मुख्यमंत्री आज खुद बस्तर पहुंचे हैं. चर्चा होगी और समस्या का समाधान निकलेगा.

दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहना है कि यह छठवीं अनुसूची का क्षेत्र है. कांग्रेस ने पेसा कानून लागू किया, लेकिन भाजपा सरकार ने इसे पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया. अब बस्तर की जनता अपने अधिकारों, अपने खनिज संसाधनों और अपनी जमीन को बचाने के लिए लड़ रही है.

अब सवाल यह है कि बस्तर की इस नई करवट का भविष्य क्या होगा? क्या यह आंदोलन सरकारी तंत्र के साथ टकराव की ओर बढ़ेगा या संवैधानिक बातचीत से इसका हल निकलेगा? फिलहाल, बस्तर के गांवों में लगे ये पत्थर एक गहरी चेतावनी हैं कि आदिवासी अब चुप नहीं बैठेंगे.