Special Story

मुख्यमंत्री को माँ ने दिया अपना आशीर्वाद—स्नेह से छुआ गाल, हृदय से कहा धन्यवाद

मुख्यमंत्री को माँ ने दिया अपना आशीर्वाद—स्नेह से छुआ गाल, हृदय से कहा धन्यवाद

ShivMay 16, 20252 min read

रायपुर।   बीजापुर जिले के उसूर ब्लॉक के करेगुट्टा पर्वत की…

मुख्यमंत्री ने 220 करोड़ रूपए की लागत से बन रही सिद्धबाबा सिंचाई जलाशय परियोजना का किया निरीक्षण

मुख्यमंत्री ने 220 करोड़ रूपए की लागत से बन रही सिद्धबाबा सिंचाई जलाशय परियोजना का किया निरीक्षण

ShivMay 16, 20252 min read

रायपुर।    सुशासन तिहार के अपने दौरे पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव…

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शासकीय क्षेत्रीय मुद्रणालय के नवीन भवन का किया लोकार्पण

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शासकीय क्षेत्रीय मुद्रणालय के नवीन भवन का किया लोकार्पण

ShivMay 16, 20251 min read

रायपुर।    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज राजनांदगांव जिले…

सुशासन तिहार : मुख्यमंत्री ने बरगद पेड़ के नीचे लगाई जनचौपाल, ग्रामीणों को दी ये सौगातें…

सुशासन तिहार : मुख्यमंत्री ने बरगद पेड़ के नीचे लगाई जनचौपाल, ग्रामीणों को दी ये सौगातें…

ShivMay 16, 20253 min read

रायपुर।    मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सहजता और सरलता से…

May 17, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

पद्मश्री श्यामलाल चतुर्वेदी का सपना था छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराना: धरमलाल कौशिक

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ी राजभाषा की सोच और उसे केंद्र की आठवीं अनुसूची में शामिल कराना पद्मश्री श्यामलाल चतुर्वेदी का सपना था. यह बात छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व स्पीकर और मौजूदा विधायक धरमलाल कौशिक ने शनिवार को पद्मश्री श्यामलाल चतुर्वेदी स्मार्ट रोड पर स्थित उनकी प्रतिमा के समक्ष पर उनकी सातवीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में कही. 

पत्रकार, साहित्यकार, राजनेता और बुद्धिजीवियों की उपस्थिति में आयोजित कार्यक्रम में धरमलाल कौशिक ने कहा कि छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी को जो स्थान मिला है, उसमें पं. चतुर्वेदी का बहुत बड़ा योगदान है. छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के गठन और प्रथम अध्यक्ष की नियुक्ति की बात आई तो पं चतुर्वेदी के छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ी के प्रति योगदान, उनकी सोच के कारण उन्हें सर्वथा उपयुक्त पाया गया, आगे उनके व्यक्तित्व व कृतित्व के कारण उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया. उन्होंने कहा कि मेरे स्पीकर रहते छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा देने का बिल पारित हुआ और अब कोई भी विधायक सदन में छत्तीसगढ़ी भाषा में प्रश्न पूछ सकते हैं.

बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला ने कहा कि पं. चतुर्वेदी दल से नहीं, अपितु दिल से कार्य करते थे, शायद इसी कारण वह बिलासपुर की पहचान बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि पं चतुर्वेदी छत्तीसगढ़ी को राजभाषा बनाने केंद्र की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहे, अब उनके इस कार्य को छत्तीसगढ़ की अस्मिता से जोड़ कर अस्तित्व की लड़ाई लड़ने का वक्त आ गया है. उन्होंने कहा कि 24 साल की तरुणाई वाला छत्तीसगढ़ पं चतुर्वेदी के जीवन, उनके संघर्ष और भाषायी अस्मिता के अस्तित्व से सीख ले सकता है, तो आज हमें उनके आदर्शों को आत्मसात करना चाहिए.

‘बेटी के बिदा’ ने राष्ट्रीय पहचान दिलाई

थावे विद्यापीठ के कुलपति डॉ. विनय पाठक ने कहा कि 1987 में भारतेंदू साहित्य समिति ने मेरे संपादकत्व में पं चतुर्वेदी पर अभिनंदन ग्रंथ प्रकाशित किया, उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर उनके निर्देशन में 4 स्टूडेंट पीएचडी कर चुके हैं. ‘बेटी की बिदाई’ पर कई कवियों ने लिखा है पर पं चतुर्वेदी की चार पंक्तियां- ‘का बरम्हा के बेटी नइये, का बिदा के दुख नहीं जानय, जब बिदा करे के बेरा आतिस, तव अंधरी, भैरी कर देतिस’, उनकी रचना को राष्ट्रीय फलक पर ले जाती हैं. महापौर रामशरण यादव ने कहा कि पं चतुर्वेदी अपनी सादगी और बिना लाग लपेट के खरे संवाद के लिए जाने जाते थे. तत्कालीन पूर्व मंत्री बीआर यादव उनके घनिष्ट थे, जिनके साथ उन्हें भी कार्य करने का अवसर मिला.

भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्त्रोत..

पूर्व मेयर किशोर राय ने मांग की कि पं चतुर्वेदी के जीवन वृत्त और कोटेशन शिलालेख में लिखाए जाने चाहिए ताकि भावी पीढ़ी उससे प्रेरणा ले सके. साहित्यकार एके यदु ने कहा कि पं चतुर्वेदी अविभाजित मध्यप्रदेश में भी उम्दा कोटि के साहित्यकार, पत्रकार के रूप में जाने जाते थे,इसीलिए उनकी राष्ट्रीय पहचान बनी. छत्तीसगढ़ी कवि सनत कुमार तिवारी ने अपनी ओजपूर्ण शैली में काव्य पाठ किया.

कार्यक्रम में ये रहे शामिल

कार्यक्रम में नगर निगम के उप नेता राजेश सिंह ठाकुर, कांग्रेस नेता राकेश शर्मा, राजकुमार तिवारी डॉ. एमएल टेकचंदानी, राघवेंद्र दुबे, राष्ट्रीय कवि मंच के जिलाध्यक्ष अंजनी कुमार तिवारी, बिलासपुर प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष संजीव पांडेय, उमेश मौर्य, जितेंद्र सिंह ठाकुर, डॉ. मनोज चौकसे, शशिकांत अंबिका चतुर्वेदी, सूर्यकान्त ममता चतुर्वेदी, अंबर सोमी चतुर्वेदी, कर्ण अपर्णा चतुर्वेदी, डॉ. सुषमा शर्मा, राकेश पांडेय, पीयूष गुप्ता, विष्णु कुमार तिवारी आदि उपस्थित थे.