बुद्ध पूर्णिमा पर गृहे-गृहे गायत्री यज्ञ में लाखों लोगों ने डाली आहुति, राष्ट्र को समर्थ व शक्तिशाली बनाने एवं विश्व में शांति स्थापित के उद्देश्य से गायत्री परिवार द्वारा किया गया आयोजन

रायपुर। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा राष्ट्र को समर्थ व शक्तिशाली बानाने, आध्यात्मिक नवजागरण से सूक्ष्म जगत का शोधन, वातावरण के परिशोधन, विश्व में शांति स्थापित करने एवं भारत को विश्वपटल पर पुनः जगद्गुरु के रुप में स्थापित करने के उद्देश्य से बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर 11 एवं 12 मई को देश के लाखों घरों में गायत्री यज्ञ का आयोजन किया गया।
छत्तीसगढ़ गायत्री परिवार की जोन समन्वयक आदर्श वर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में एक लाख इन्कावन हजार के निर्धारित लक्ष्य से अधिक घरों में यह यज्ञ सम्पन्न हुआ। गायत्री परिवार छत्तीसगढ़ के सभी उपजोन रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, अंबिकापुर, भिलाई-दुर्ग, राजनांदगांव, खैरागढ़, जगदलपुर एवं नारायणपुर में गायत्री परिजनों द्वारा यज्ञ को लेकर पूर्व से ही तैयारियां कर ली गई थी तथा यज्ञ पुरोहित द्वारा स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया था ताकि लोग स्वयं से ही यज्ञ कर सके। यज्ञ का क्रम दोनो दिन प्रातः 07 बजे से प्रारंभ होकर सायं 06 बजे तक चला। अनेक स्थानों पर 3 से 5 कुण्डीय सामूहिक यज्ञ भी करवाये गये, जिसमें 4 से 5 पारियों में श्रद्धालुजनों ने गायत्री मंत्र, महामृत्यंजय मंत्र, सूर्य मंत्र के साथ-साथ कुलदेव, इष्टदेव व ग्रामदेव के नाम की आहुतियां विशेष प्रकार की जड़ी बूटि युक्त हवन सामाग्री से समर्पित किया।
गायत्री परिवार रायपुर के जिला समन्वयक लच्छुराम निषाद ने बताया कि रायपुर जिले में भी 11 हजार से अधिक घरों, कॉलोनियों, ग्रामों, कार्यालयों, प्रतिष्ठानों, मंदिरों एवं धार्मिक संस्थाओं, योग संस्थाओं में यज्ञ किया गया। रायपुर में विशेष रुप से राम मंदिर तेलीबांधा, काली माता मंदिर आकाशवाणी चौक, बंजारी मंदिर, जगन्नाथ मंदिर में यज्ञ किया गया। शिव हुनमान मंदिर देवनगर देवपुरी सहित अनेक स्थानों पर सांयकाल दीपयज्ञ के माध्यम से सामूहिक रुप से गायत्री मंत्र, महामृत्यंजय मंत्र का पाठ एवं शांतिपाठ किया गया। गृहे-गृहे गायत्री यज्ञ में एक साथ एक समय पर लाखों लोगों के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ में समर्पित की गई आहुतियों का प्रभाव आसपास के वातावरण के साथ ही से पूरे ब्रमाण्ड जगत पर भी पड़ेगा।
गायत्री परिवार के मीडिया प्रभारी एवं युवा प्रकोष्ठ के सदस्य प्रज्ञा प्रकाश निगम ने बताया कि यज्ञ करने से आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों प्रकार के लाभ होते हैं। यज्ञ के दौरान वैदिक मंत्रोंच्चार की तरंगो एवं यज्ञ में आहुति के रुप में समर्पित हवन सामग्री के धुम्र से वातावरण में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया और जीवाणु खत्म हो जाते हैं, जिससे आसपास की वायु शुद्ध होती है। यज्ञ से निकलने वाला धुआं शरीर और मन को भी शुद्ध करता है, जिससे व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और तनाव कम होता है।