CGPSC भर्ती घोटाले पर अब ED जाँच से हड़कंप, आरोपियों और नेताओं के ठिकाने निशाने पर…

रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) भर्ती घोटाले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी जांच का जिम्मा संभाल लिया है। इससे पहले मामले की जांच पुलिस, आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) कर रही थी। CBI की रिपोर्ट के आधार पर ED ने ईसीआईआर (ECIR) दर्ज की है, क्योंकि प्रारंभिक जांच में मनी लॉन्ड्रिंग के ठोस प्रमाण मिले हैं। मामले में ED की एंट्री से हड़कंप मच गया है। जांच में कई नेताओं की भूमिका भी सामने आई है।
बता दें कि CBI जांच में खुलासा हुआ कि बारनवापारा स्थित एक रिसॉर्ट में चयनित अभ्यर्थियों को पांच दिन तक परीक्षा की विशेष तैयारी कराई गई थी। यह रिसॉर्ट स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ एक महिला IAS अधिकारी के पति का बताया जा रहा है। अब इस महिला IAS और उनके पति को समन जारी करने की तैयारी चल रही है।
गिरफ्तार हुए प्रमुख आरोपी
CBI ने इस मामले में अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार किया है — तत्कालीन CGPSC चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी, उप परीक्षा नियंत्रक ललित गनवीर, कारोबारी श्रवण गोयल, नितेश सोनवानी, साहिल सोनवानी, शशांक गोयल और भूमिका कटियार गोयल। ये सभी फिलहाल रायपुर जेल में हैं। ED अब कोर्ट से अनुमति लेकर इनसे पूछताछ करेगी।
हवाला के जरिए पहुँचा पैसा नेताओं और अधिकारियों तक
ED की जांच का फोकस इस बात पर है कि अभ्यर्थियों के परिजनों और रिश्तेदारों ने परीक्षा पास कराने के लिए हवाला नेटवर्क के जरिए मोटी रकम चुकाई थी। यह पैसा नेताओं और अधिकारियों तक पहुंचा, जिसकी कड़ियां अब दिल्ली और कोलकाता तक जुड़ रही हैं।
जांच के घेरे में कई VIP नाम
इस मामले में जिन लोगों के नाम जांच में सामने आए हैं, उनमें कई प्रभावशाली लोगों के रिश्तेदार और परिवारजन शामिल हैं —
- टामन सोनवानी के भतीजे नितेश, भाई के बेटे साहिल, बहू निशा कोसले और अन्य रिश्तेदार
- तत्कालीन पीएससी सचिव जीवन किशोर का बेटा सुमित ध्रुव
- राज्यपाल के पूर्व सचिव अमृत खलखो की बेटी नेहा और बेटा निखिल
- डीआईजी ध्रुव की बेटी साक्षी
- कांग्रेस नेता की बेटी अनन्या अग्रवाल
- उद्योगपति का बेटा शशांक गोयल
- मंत्री के ओएसडी के साढ़ की बेटी खुशबू बिजौरा
- कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला की बेटी स्वर्णिम
- उप परीक्षा नियंत्रक ललित गनवीर की रिश्तेदार मीनाक्षी गनवीर
गौरतलब है कि ED जल्द ही महासमुंद, रायपुर और बिलासपुर में कई ठिकानों पर छापेमारी कर सकती है। दस्तावेजों की गहन जांच चल रही है और इस घोटाले में शामिल अन्य बड़े नामों का भी जल्द खुलासा हो सकता है। यह मामला छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक भर्तियों की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है, वहीं ED की एंट्री के बाद अब आर्थिक लेनदेन की परतें भी खुलने लगी हैं।