हसदेव पर नया खुलासा : भूपेश कार्यकाल में ही शुरू हुई थी कोल ब्लाक के लिए वन भूमि की परमिशन प्रक्रिया, वन विभाग ने भेजा था राजस्थान सरकार को पत्र
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रायपुर। हसदेव में जंगल कटाई को लेकर कांग्रेस इन दिनों काफी आक्रामक है। दीपक बैज का हसदेव जाना… कोल ब्लाक को रद्द करने की मांग करना… और भाजपा पर जंगल कटाई का ठिकरा फोड़कर, कांग्रेस भले ही अपना विपक्षी धर्म निभा ले, लेकिन हकीकत तो यही है कि जंगल कटाई की कागजी प्रक्रिया कांग्रेस के शासनकाल में ही शुरू हुई थी। राजस्थान सरकार के विद्युत निगम लिमिटेड को सरगुजा वनमंडल की ओर से भेजा एक पत्र सामने आया है, जिसमें उन्होंने कोल ब्लाक में प्रभावित 1742 हेक्टेयर वन भूमि के व्यपर्तन का प्रस्ताव भेजा था।
साफ है कि कांग्रेस पार्टी जिस हसदेव अरण्य को लेकर राजनीति कर रही है, उसका पूरा पेपर कार्य कांग्रेस के समय में ही हुआ है। और आज जब सत्ता से उतर गए तो पूरा ठीकरा भाजपा के ऊपर थोप रहे है। 1742 हेक्टेयर वन भूमि का परमिशन ऐसे ही नहीं मिल जाता, इसकी प्रक्रिया काफी लंबी होती है। पंचायत से लेकर पीएमओ तक परमिशन के लिए भेजा जाता है। पर्यावरण से लेकर विभिन्न विभागों की अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना होता है, तब जाकर कार्य आरंभ होता है। 23/06/2022 को राजस्थान सरकार को वनमण्डल सरगुजा छत्तीसगढ़ द्वारा डी.जी.पी.एस. सर्वेक्षण रिपोर्ट उप मंडलाधिकारी उदयपुर एवं परिक्षेत्राधिकारी उदयपुर द्वारा सत्यापन किया गया तब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी इससे स्पष्ट होता है कि कांग्रेस कि सरकार ही कोयला उत्खनन के लिए परमिशन देना चाहती थी।
सरगुजा वन मंडल की तरफ से राजस्थान सरकार को भेजे गये पत्र में साफ है कि तत्कालीन कांग्रेस ने कोल ब्लाक देने के लिए तैयार थी और इसे लेकर वन विभाग भी राजी था। पत्र में कहा गया है कि कोल ब्लाक में प्रभावित 1742 हेक्टेयर वन भूमि व्यपर्तन प्रस्ताव के लिए डीजीपीएस संर्वेक्षण रिपोर्ट का उदयपुर के उप वनमंडलाधिकारी ने सत्यापन कर लिया है। पत्र में ये भी बताया गया है कि सत्यापन के बाद रिपोर्ट भेजा जा रहा है। वनभूमि प्रत्यावर्तन के लिए वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत प्रस्ताव तैयार करते हुए प्रकिया पूरी करें।