Special Story

सीजफायर के बाद राहुल गांधी ने PM मोदी को लिखी चिट्ठी, संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग रखी

सीजफायर के बाद राहुल गांधी ने PM मोदी को लिखी चिट्ठी, संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग रखी

ShivMay 11, 20252 min read

नई दिल्ली।  भारत-पाकिस्तान के सीजफायर के ऐलान के बाद विपक्ष…

नया रायपुर में रफ्तार का कहर : पोल से टकराने के बाद कार में लगी आग, युवक की मौत

नया रायपुर में रफ्तार का कहर : पोल से टकराने के बाद कार में लगी आग, युवक की मौत

ShivMay 11, 20251 min read

रायपुर।   राजधानी में फिर से रफ्तार का कहर देखने को…

सरकारी अस्पताल के रिकॉर्ड रूम में लगी आग

सरकारी अस्पताल के रिकॉर्ड रूम में लगी आग

ShivMay 11, 20252 min read

जांजगीर-चाम्पा।  छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में सरकारी अस्पताल की बड़ी लापरवाही…

May 11, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

प्रदेश में नक्सलवाद गिन रहा अंतिम सांस, नक्सल मुक्त घोषित कबीरधाम जिला में उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने बताई रणनीति…

कवर्धा। राज्य में भाजपा सरकार को अभी महज 14 माह ही हुए हैं. इस दौरान केंद्र व राज्य सरकार ने मिलकर प्रदेश भर में नक्सलियों के खिलाफ एक व्यापक मुहिम छेड़ी है, जिसका परिणाम है कि कबीरधाम, खैरागढ़ और राजनांदगांव जिलों को नक्सल मुक्त जिला घोषित किया गया है. जिले में नक्सलियों को नेस्तनाबूत करने 9 सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए हैं. इसका नतीजा है कि पिछले एक-दो वर्षों में जिले में कोई बड़ी नक्सली घटना सामने नहीं आई है.

छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम और स्थानीय विधायक विजय शर्मा कबीरधाम जिले के नक्सलमुक्त घोषित होने का श्रेय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव को दे रहे हैं. उनका कहना है कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह का यह संकल्प था. कई बड़े फैसले लिए गए. अब नक्सलिज्म समापन का दौर है. उन्होंने एक बार फिर से नक्सलियों को आत्मसमर्पण कर समाज के मुख्य धारा से जुड़ने की अपील की.

कबीरधाम जिला नक्सलियों के एमएमसी (मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़) जोन में आता है. प्रदेश की सीमाएं मध्यप्रदेश के बालाघाट और मंडला जिलों से लगती हैं, जहां आज भी नक्सली सक्रिय हैं. हाल ही में सीमावर्ती क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में दो इनामी महिला नक्सली मारी गई थीं.

कबीरधाम पुलिस ने जिले के बेंदा, कोयलारझोरी, खेलाही, कबीरपथरा समेत कुल 9 स्थानों पर सुरक्षा कैंप स्थापित किए हैं, जहां जवान चौबीसों घंटे गश्त और सर्च ऑपरेशन में लगे रहते हैं. कई बार मुठभेड़ भी हो चुकी है, जिसमें नक्सली मारे गए हैं. अब तक दर्जनों नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर समाज सेवा की राह अपनाई है.

पुलिस की ठोस कारगर नीति का असर

इसके अलावा पुलिस की मौजूदगी ने ग्रामीणों के बीच विश्वास भी बढ़ाया है. गांव-गांव में नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाकर पुलिस सक्रिय नक्सलियों की तस्वीरें सार्वजनिक कर ग्रामीणों को सतर्क कर रही है. यदि सरकार इन सुरक्षा कैंपों को बंद कर जवानों को वापस बुलाती है, तो यह फैसला नक्सलियों की गतिविधियों को फिर से बढ़ावा दे सकता है, और ग्रामीणों में डर का माहौल बना सकता है.

सुरक्षा के साथ-साथ पुलिस सामाजिक कार्यों में भी जुटी है – नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्कूलों का संचालन किया जा रहा है, और खेल प्रतियोगिताओं के माध्यम से युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा है. यह प्रयास नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है.

देखिए वीडियो –