नक्सल पीड़ितों ने निकाली विशाल रैली, नक्सलवाद खत्म करो, बस्तर को बचाओ के लगाए नारे, गृहमंत्री विजय शर्मा को बताई अपनी पीड़ा

जगदलपुर। नक्सली संगठन के शीर्ष नेता बसव राजू के मारे जाने के बाद बस्तर संभाग के सैकड़ों नक्सल पीड़ित परिवारों ने एकजुट होकर दंतेश्वरी मंदिर से एक विशाल रैली निकाली। इस रैली में शहीद जवानों, निर्दोष आदिवासियों और नक्सल हिंसा से प्रभावित आम नागरिकों के परिजन शामिल हुए। रैली के दौरान बस्तर की सड़कों पर नक्सल मुर्दाबाद और नक्सलवाद खत्म करो, बस्तर को बचाओ जैसे नारों की गूंज सुनाई दी। वर्षों का दर्द और संघर्ष लेकर लोग सड़कों पर उतरे और नक्सल आतंक के खिलाफ एकजुटता दिखाई।
रैली के समापन पर प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम एक धन्यवाद ज्ञापन गृहमंत्री विजय शर्मा को सौंपा गया। ज्ञापन में बसव राजू जैसे दुर्दांत नक्सली के खात्मे को एक बड़ी सफलता मानते हुए सरकार के प्रयासों की सराहना की गई। रैली के बाद गृहमंत्री विजय शर्मा ने पीड़ितों से मुलाकात की और उन्हें मंच से अपनी बात रखने का अवसर दिया। नक्सल हिंसा से पीड़ित लोगों ने खुलकर अपनी आपबीती और समस्याएं साझा कीं। गृहमंत्री ने प्रत्येक परिवार की पीड़ा को गंभीरता से सुना और भरोसा दिलाया कि उनकी बात अब अनसुनी नहीं जाएगी।
इस मौके पर गृहमंत्री विजय शर्मा ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि अब से हर जिले के एसपी हर बुधवार को नक्सल पीड़ितों की समस्याएं सुनेंगे। इसके लिए एक निर्धारित फॉर्मेट में शिकायतें दर्ज की जाएंगी, जो आईजी के माध्यम से सीधे सरकार तक पहुंचेगी और उस पर यथासंभव समाधान सुनिश्चित किया जाएगा। इससे नक्सल पीड़ितों की आवाज सीधे प्रशासनिक व्यवस्था तक पहुंचेगी और उन्हें न्याय मिलने का रास्ता खुलेगा।
आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौटें नक्सली : विजय शर्मा
मीडिया से बात करते हुए डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि इन आदिवासियों का क्या कुसूर था, इन्हें क्यों मारा गया, क्या गलती थी इनकी. उन्होंने नक्सलियों से भी अपील करते हुए कहा कि आज भी समय है, जो लोग भटके हुए हैं वे सामने आएं, आत्मसमर्पण करें और समाज की मुख्यधारा में लौटें। हम उन्हें अवसर देंगे, पुनर्वास देंगे, जीवन देंगे। सरकार हर उस व्यक्ति के साथ है जो हिंसा छोड़कर शांति और विकास की राह पर चलना चाहता है।
शहीद जवानों और निर्दोष आदिवासियों को दी गई श्रद्धांजलि
रैली का समापन शहीद जवानों और निर्दोष आदिवासियों को श्रद्धांजलि अर्पित कर किया गया। पूरे बस्तर संभाग से आए नक्सल पीड़ितों की यह एकजुटता केवल विरोध का स्वर नहीं बल्कि बदलाव का बिगुल था। इस रैली ने स्पष्ट कर दिया कि अब बस्तर चुप नहीं है, अब बस्तर डरता नहीं है। नक्सलवाद को खत्म करने का संकल्प अब जनता का है और सरकार उसके साथ खड़ी है।