Special Story

संकट की घड़ी में हमारी एकता ही देश की सबसे बड़ी ताकत है: मुख्यमंत्री श्री साय

संकट की घड़ी में हमारी एकता ही देश की सबसे बड़ी ताकत है: मुख्यमंत्री श्री साय

ShivMay 10, 20253 min read

रायपुर।    वर्तमान में चल रहे तनावपूर्ण परिस्थिति में सभी…

बड़ी खबर: भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ सीजफायर, विदेश मंत्रालय ने की पुष्टि

बड़ी खबर: भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ सीजफायर, विदेश मंत्रालय ने की पुष्टि

ShivMay 10, 20251 min read

नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के पाकिस्तान के…

May 10, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

डोंगरगढ़ में नवरात्रि का हुआ भव्य समापन: 8500 से अधिक ज्योति कलश हुए विसर्जित, उमड़ा आस्था का सैलाब…

डोंगरगढ़।  छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में रविवार देर रात (नवमीं) 8500 से अधिक ज्योति कलश महावीर तालाब में विसर्जित किए गए. चैत्र नवरात्रि के समापन पर भारी संख्या में श्रद्धालु मां बमलेश्वरी के दरबार पहुंचे थे. इस बार भी देश के अलावा विदेशों से भी भक्तों ने माता के नाम पर ज्योत जलवाई थी. ज्योत कलशों में से 7455 ऊपर मंदिर, 905 नीचे मंदिर, और 69 शीतला माता मंदिर में प्रज्वलित हुए थे. खास बात यह रही कि अमेरिका, दुबई, कनाडा, न्यू जर्सी, कतर जैसे देशों से भी भक्तों ने मां बमलेश्वरी मंदिर में ज्योत जलवाई थी. सभी ज्योत को महावीर तालाब में विसर्जित किया गया.

बता दें, विसर्जन का कार्यक्रम रविवार देर रात तक चला, जो लगभग तीन बजे तक जारी रहा. इस दौरान सैकड़ों महिलाएं सिर पर ज्योत लेकर जब मंदिर से तालाब तक निकलीं, तो ऐसा लगा मानो सितारे जमीन पर उतर आए हों. पूरा शहर भक्ति के प्रकाश से जगमगा उठा. झांकी के रूप में निकली ज्योत यात्रा नीचे बम्लेश्वरी मंदिर से शुरू होकर मुंबई-हावड़ा रेल ट्रैक, शीतला मंदिर होते हुए महावीर तालाब तक पहुंची. शीतला मंदिर में परंपरागत ‘माई ज्योत’ की भेंट भी हुई, जो सालों पुरानी परंपरा है.

श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए रेलवे ने मुंबई-हावड़ा मार्ग पर करीब तीन घंटे का ब्लॉक लिया, ताकि श्रद्धा का यह विशाल आयोजन सुरक्षित और शांतिपूर्ण तरीके से पूरा हो सके. पूरे नवरात्रि में महाराष्ट्र के सालेकसा से आए शहनाई वादकों की टीम ने भक्ति संगीत बजाया. आरती से लेकर ज्योत यात्रा तक हर दिन शहनाई की मधुर धुनों से माहौल भक्तिमय बना रहा. डोंगरगढ़ की नवरात्रि केवल पूजा पाठ का आयोजन नहीं, बल्कि एक माँ बम्लेश्वरी के लिए एक ऐसी आस्था की परंपरा है जो हर साल हजारों लोगों को जोड़ती है.