Special Story

दो बसों में भिड़ंत, हादसे में 5 यात्री घायल, महिला की हालात गंभीर

दो बसों में भिड़ंत, हादसे में 5 यात्री घायल, महिला की हालात गंभीर

ShivFeb 25, 20251 min read

रायपुर।   शहर के टाटीबंध इलाके में तेज रफ्तार बस ने…

रायपुर में डॉ. संजना खेमका द्वारा सर्वाइकल कैंसर अवेयरनेस कैंप का आयोजन, महिलाओं को किया गया जागरूक

रायपुर में डॉ. संजना खेमका द्वारा सर्वाइकल कैंसर अवेयरनेस कैंप का आयोजन, महिलाओं को किया गया जागरूक

ShivFeb 25, 20251 min read

रायपुर। श्री नारायणा हॉस्पिटल की गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. संजना खेमका द्वारा…

सड़क हादसा: हाइवा ने ऑटो को मारी टक्कर, एक की मौत, एक की हालत गंभीर…

सड़क हादसा: हाइवा ने ऑटो को मारी टक्कर, एक की मौत, एक की हालत गंभीर…

ShivFeb 25, 20251 min read

बालोद।  बालोद जिले के अर्जुन्दा थाना क्षेत्र के भरदाकला गांव…

February 25, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

छत्तीसगढ़ में स्टील उद्योगों को छूट की रहस्यमय कहानी: स्टील उत्पादकों ने ऊर्जा प्रभार में बड़ी छूट से बढ़ाया मार्जिन, लोहे का भाव 34 हजार से बढ़कर पहुंचा 53 हजार

रायपुर। सरकारें जब किसी उद्योग को जब कोई रियायत, छूट या सब्सिडी देती हैं तो उनका प्रमुख उद्देश्य यह होता है कि उत्पादन बढ़े और इसका अंतिम लाभ आम जनता को वह वस्तु सस्ती दरों पर उपलब्ध हो सके लेकिन छत्तीसगढ़ में विगत 4 वर्षों में उल्टी गंगा ही बहाई गई। विगत 5 वर्षों के आंकड़ों को देखा जाए तो इस मामले में बड़ी विरोधाभाषी तस्वीर नजर आती है। स्टील उत्पादकों ने उत्पादन तो बढ़ाया लेकिन दाम कम होने की बजाय बढ़ते चले गये। वर्ष 2018-19 में जहां 100 मिलियन टन उत्पादन पूरे देश में हुआ था और दर 33,833 रू. प्रति टन थी जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर 53,036 रू. प्रति टन हो गई।

यह दिलचस्प कहानी छत्तीसगढ़ के संदर्भ में विशेष तौर पर मौजूद है क्योकिं इसमें स्टील उद्योगपतियों के खाते में लाभ का मार्जिन बढ़ाने में मुख्य भूमिका तत्कालीन राज्य सरकार ने निभाई है। छत्तीसगढ़ राज्य इस बात के लिए प्रसिद्ध है कि देश के कुल स्टील उत्पादन का 30 प्रतिशत छत्तीसगढ़ में ही होता है। छत्तीसगढ़ में देश की सर्वाधिक गुणवत्ता वाली लौह अयस्क खदानें है। आम जनता को यह अपेक्षा रहती है कि हमारी खदानों, हवा, पानी और सरकारी मदद का लाभ जनता को सस्ते लोहे के रूप में मिले। लेकिन पूर्व राज्य सरकार का गड़बढ़झाला सामने आते ही लोग हैरान-परेशान हो रहे है। देश में स्टील उत्पादन के आंकड़ों में छत्तीसगढ़ के 30 प्रतिशत का आकलन किया जा सकता है।

गौरतलब है कि भारत में वर्ष 2017-18 में 100 मिलियन टन उत्पादन हुआ जबकि औसत वार्षिक दर 33,833 रू. प्रति टन थी। वर्ष 2019-20 में 104 मिलियन टन उत्पादन हुआ जबकि औसत वार्षिक दर 34,198 रू. प्रति टन थी। वर्ष 2020-21 में 112 मिलियन टन उत्पादन हुआ जबकि औसत वार्षिक दर 45,072 रू. प्रति टन थी। वर्ष 2021-22 में 118 मिलियन टन उत्पादन हुआ जबकि औसत वार्षिक दर 51,089 रू. प्रति टन थी। वर्ष 2022-23 में 125 मिलियन टन उत्पादन हुआ जबकि औसत वार्षिक दर 53,036 रू. प्रति टन थी। वर्ष 2023-24 में 142 मिलियन टन उत्पादन हुआ जबकि औसत वार्षिक दर 50,109 रू. प्रति टन थी।

इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि वर्ष 2021-22 में छत्तीसगढ़ में अचानक और आश्चर्यजनक ढंग से जो टैरिफ आदेश जारी किया गया था उसमें लोड फैक्टर छूट को अधिकतम 8 प्रतिशत से बढ़ा कर 25 प्रतिशत कर दिया गया था जबकि पॉवर कंपनी द्वारा इस प्रकार का कोई भी प्रस्ताव नियामक आयोग को नहीं भेजा गया था। इसके कारण स्टील उत्पादकों को प्रति वर्ष लगभग 750 करोड़ रु. का अतिरिक्त लाभ मिला था लेकिन प्रदेश में स्टील की दरों में कमी के बदले डेढ गुना तक वृद्धि की गई थी।