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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री आनंद सर मंदिर परिसर में दर्शन कर सरोवर में पुष्प अर्पित किए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री आनंद सर मंदिर परिसर में दर्शन कर सरोवर में पुष्प अर्पित किए

ShivApr 11, 20252 min read

भोपाल।    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को श्री आनंदपुर धाम…

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उन्नत और समृद्ध रही है प्राचीन भारतीय वास्तुकला : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

ShivApr 11, 20253 min read

भोपाल।   मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्राचीनकाल…

संत, महात्मा ज्ञान और सन्मार्ग के हैं प्रेरणा पुंज : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

संत, महात्मा ज्ञान और सन्मार्ग के हैं प्रेरणा पुंज : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

ShivApr 11, 20253 min read

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश सरकार…

शिक्षा ही है विकास का मूलमंत्र- मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

शिक्षा ही है विकास का मूलमंत्र- मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

ShivApr 11, 20254 min read

रायपुर।   शिक्षा ही विकास का मूलमंत्र है। शिक्षा के बिना…

April 12, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

बच्चों के लिए मोबाइल बन रहा साइबर बुलिंग का बड़ा कारण, शिक्षकों को इस संबंध में जागरूक करने कार्यशाला आयोजित

रायपुर।   आधुनिक तकनीक और मोबाइल के अत्यधिक उपयोग ने बच्चों को साइबर बुलिंग के जोखिम में डाल दिया है। साइबर बुलिंग से बच्चों को बचाने और उन्हें सुरक्षित रखने के उद्देश्य से जिला शिक्षा अधिकारी रायपुर एवं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाईट) में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला में रायपुर और आसपास के क्षेत्रों के सभी स्कूलों के प्राचार्यों ने भाग लिया। मुख्य अतिथि सोनल गुप्ता, सदस्य बाल संरक्षण आयोग, ने साइबर बुलिंग के बढ़ते खतरे पर गहन चर्चा की और शिक्षकों से इस दिशा में सतर्क रहने का आग्रह किया। साइबर बुलिंग के अंतर्गत बच्चों के साथ हो रही छेड़छाड़, अपमानजनक टिप्पणियाँ, हतोत्साहित करने वाले संदेश और अन्य मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न शामिल हैं। शिक्षकों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वे न केवल बच्चों को शिक्षित करें बल्कि उन्हें इन खतरों से भी बचाएँ।

कार्यक्रम में जिला शिक्षा अधिकारी रायपुर डॉ. विजय कुमार खण्डेलवाल ने बताया कि साइबर बुलिंग आज के समाज के लिए एक गंभीर खतरा बन चुका है। बच्चों के बीच यह प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है, जिससे उनके मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि स्कूलों, खेल के मैदानों, कोचिंग संस्थानों और स्कूल के बाहर बच्चों के साइबर बुलिंग के शिकार होने की संभावना अधिक होती है। इस दौरान कुछ सामान्य संकेतों को पहचाना जा सकता है, जैसे कि बच्चों का असामान्य व्यवहार, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक संकेत, अत्यधिक मौखिक और शारीरिक झगड़े, छेड़खानी करने वाली टोली में शामिल होना, आक्रामक व्यवहार, नए छात्रों का उत्पीड़न, लगातार प्राचार्य कक्ष में जाना। कार्यशाला में विशेषज्ञों ने साइबर बुलिंग के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की और शिक्षकों को इसके रोकथाम के उपाय सुझाए। इस कार्यशाला का उद्देश्य बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और उन्हें एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करना था।