खैरागढ़ में गूंजा थिएटर का जादू, भारत रंग महोत्सव में देश-विदेश के कलाकारों का संगम, छत्तीसगढ़ की प्रतिभा को मिला मंच
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खैरागढ़। छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले खैरागढ़ ने इतिहास रच दिया है. दुनिया के सबसे बड़े थिएटर फेस्टिवल ‘भारत रंग महोत्सव’ (भारंगम) के 25वें संस्करण का हिस्सा बनकर इस छोटे मगर कला-संवेदनशील शहर ने अपनी अलग पहचान बनाई. 4 से 9 फरवरी 2025 तक आयोजित इस रंग महोत्सव में भारत सहित रूस, इटली, जर्मनी, नॉर्वे, चेक गणराज्य, नेपाल, ताइवान, स्पेन और श्रीलंका जैसे देशों के प्रसिद्ध थिएटर समूहों ने अपनी प्रस्तुतियों से समां बांधा.
खैरागढ़ में पहली बार भारत रंग महोत्सव, उत्साह चरम पर
पहली बार छत्तीसगढ़ के इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) द्वारा इस प्रतिष्ठित महोत्सव की मेजबानी का अवसर मिला. थिएटर के इस वैश्विक आयोजन ने छत्तीसगढ़ के कला प्रेमियों और रंगकर्मियों के उत्साह को नई ऊंचाइयां दी हैं.
28 जनवरी से 16 फरवरी 2025 तक चल रहे इस भव्य महोत्सव का आयोजन भारत के 10 प्रमुख शहरों के साथ-साथ नेपाल और श्रीलंका में भी किया गया. लेकिन खास बात यह रही कि खैरागढ़ पहली बार इस आयोजन का हिस्सा बना, जो पूरे प्रदेश के लिए गर्व की बात है.
खैरागढ़ बना थिएटर हब, छत्तीसगढ़ के कलाकारों को बड़ा मंच
इस छह दिवसीय आयोजन में देश-विदेश के शीर्ष थिएटर समूहों ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. भारत से भोपाल, कोलकाता, असम, पुडुचेरी, मुंबई और पुणे के नामचीन थिएटर ग्रुप्स भी शामिल हुए. यह आयोजन न केवल थिएटर प्रेमियों के लिए एक सुनहरा अवसर बना, बल्कि छत्तीसगढ़ के उभरते कलाकारों को भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाला साबित हुआ.
हर शाम थिएटर की भव्य प्रस्तुति, दर्शकों में जबरदस्त उत्साह
4 से 9 फरवरी तक हर शाम इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के मंच पर एक नया नाटक देखने को मिला. अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रस्तुतियों के साथ भारतीय थिएटर ग्रुप्स ने भी अपनी अद्भुत कहानियों, शानदार अभिनय और प्रभावशाली मंच सज्जा से दर्शकों को सम्मोहित कर दिया.
छत्तीसगढ़ की कला विरासत को नई पहचान
इस महोत्सव ने यह साबित कर दिया कि छत्तीसगढ़ सिर्फ लोककला और लोकसंगीत का केंद्र ही नहीं, बल्कि थिएटर की भी एक नई और समृद्ध भूमि बन रहा है. ‘भारत रंग महोत्सव’ के खैरागढ़ आने से छत्तीसगढ़ के रंगमंच कलाकारों को न केवल बड़े मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला, बल्कि अंतरराष्ट्रीय थिएटर ग्रुप्स के साथ जुड़ने और सीखने का भी अवसर मिला.
यह आयोजन छत्तीसगढ़ के लिए एक ऐतिहासिक अवसर साबित हुआ, जिससे खैरागढ़ एक नए सांस्कृतिक केंद्र के रूप में उभर रहा है. थिएटर प्रेमियों और कलाकारों के लिए यह एक अविस्मरणीय अनुभव रहा, जिसने प्रदेश के रंगमंच को नई दिशा दी है.