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विकसित भारत के सपने को साकार करने में युवाओं की है महत्वपूर्ण भूमिका: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

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ShivJan 21, 20253 min read

रायपुर।     उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज राजधानी रायपुर के…

छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष के खिलाफ हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस, जानिए क्या है मामला

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ShivJan 21, 20251 min read

रायपुर।   छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष अरुण मिश्रा के…

अमर शहीद हेमू कालाणी की प्रतिमा पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया माल्यार्पण

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ShivJan 21, 20253 min read

भोपाल।   मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को उज्जैन की…

January 22, 2025

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लोकसभा में सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने देश में कोयला उत्पादन बढ़ाने और आयात कम करने पर उठाए सवाल

रायपुर।  देश में कोयले का घरेलू उत्पाद बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए कोयला मंत्रालय लगातार कार्य कर रहा है। लोकसभा में रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल के सवाल पर कोयला एवं खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने बुधवार को यह जानकारी दी है। जिसके मुताबिक कोयला आयात को प्रतिस्थापित करने के लिए सरकार द्वारा कई उपाय किए गए हैं।

2020 में शुरू की गई गैर-विनियमित क्षेत्र (एनआरएस) लिंकेज नीलामी नीति में संशोधन के साथ, एनआरएस लिंकेज नीलामी में कोकिंग कोल लिंकेज की अवधि को 30 साल तक की अवधि के लिए संशोधित किया गया है। शक्ति नीति के संशोधित प्रावधानों के अंतर्गत विद्युत संयंत्रों को अल्पावधि के लिए पेशकश की गई कोयले तथा एनआरएस लिंकेज नीलामी में 30 वर्ष तक की अवधि के लिए कोकिंग कोल लिंकेज की अवधि में वृद्धि से कोयला आयात प्रतिस्थापन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।

सरकार ने वर्ष 2022 में निर्णय लिया है कि कोयला कंपनियों द्वारा विद्युत क्षेत्र के सभी मौजूदा लिंकेज धारकों की पूर्ण पीपीए आवश्यकता को पूरा करने के लिए कोयला उपलब्ध कराया जाएगा। विद्युत क्षेत्र के लिंकेज धारकों की पूर्ण पीपीए आवश्यकता को पूरा करने के सरकार के निर्णय से आयात पर निर्भरता कम होगी। कोयला आयात प्रतिस्थापन के उद्देश्य से कोयला मंत्रालय में एक अंतर- मंत्रालयी समिति (आईएमसी) का गठन किया गया है। जिसमे विद्युत मंत्रालय, रेल मंत्रालय, नौवहन, वाणिज्य , इस्पात, खान मंत्रालय, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय, उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, कोयला कंपनियों और बंदरगाही के प्रतिनिधि इस आईएममी के सदस्य है। आईएमसी के निर्देशों पर कोयला मंत्रालय द्वारा एक आयात डाटा प्रणाली विकसित की गई है ताकि मंत्रालय कोयले के आयात का पता लगा सके। कोयले की और अधिक घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाते हैं। साथ ही खनिज रियायत नियम , 1960 को संशोधित किया गया है जिससे कैप्टिव खान के प‌ट्टेदार द्वारा अतिरिक्त राशि के भुगतान पर कोयला या लिग्नाइट की बिक्री की अनुमति दी जा सके, जो खान से जुड़े अल्य उपयोग संयंत्र की आवश्यकता को पूरा करने के बाद एक वित्तीय वर्ष में उत्पादित कुल कोयाले या लिग्नाइट के 50 प्रतिशत तक हो। कोयला अथवा लिग्नाइट की निधर्धारित मात्रा की विक्री की अनुमति से कैप्टिव पट्टेदार कैप्टिय खानी से उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित होंगे। इसके अलावा कोयला ब्लॉकों के विकास में तेजी लाने के लिए कोयला मंत्रालय द्वारा नियमित समीक्षा की जायेगी। कोयला कंपनियों ने घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए भी कई कदम उठाए हैं। जिनमे कोल इंडिया लि ने कोयला उत्पादन में वृद्धि करने के लिए भूमिगत (यूजी) खानों में जहां कही व्यचहार्य हो, मुख्यतः सतत खनिकों के साथ व्यापक उत्पादन प्रौद्योगिकियां अपना रही है। सीआईएल ने परित्यक्त/बंद खान की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए हाईवाल खानों की भी योजना बनाई है। सीआईएल जहां कहीं संभव हो, बड़ी क्षमता वाली भूमिगत खानों की भी योजना बना रही है। सीआईएल की अपनी ओपनकास्ट खानों में पहले से ही उच्च क्षमता वाले एक्सकेवेटरों, डम्परों और सतही खनिकों में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी है।

सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लि. द्वारा नई परियोजनाओं को आधार प्रदान करने और मौजूदा परियोजनाओं के प्रचालन के लिए नियमित संपर्क किया जा रहा है। एससीसीएल ने कोयले की निकासी के लिए सीएचपी, क्रशर, मोबाइल क्रशर, प्री-वे-बिन आदि जैसी अवसंरचना विकसित करने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है। कोल मंत्रालय ने एनुअल कॉन्ट्रैक्ट क्वांटिटी को कुछ मामलों में नियामक आवश्यकता के 100% तक बढ़ा दिया गया है। जहां पहले एसीक्यू या तो नियामक आवश्यकता (गैर-तटीय) के 90% तक कम कर दिया गया था या जहां एसीक्यू को नियामक आवश्यकता (तटीय विद्युत संयंत्र) के 70% तक कम कर दिया गया था। एसीक्यू में वृद्धि के परिणामस्वरूप अधिक घरेलू कोयले की आपूर्ति होगी जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी।